UP News: वाराणसी (Varanasi) के ज्ञानवापी (Gyanvapi) विवाद में अब नया मोड़ आ गया है. इलाहाबाद हाईकोर्ट (Allahabad High Court) में इस मामले में चल रही सुनवाई के दौरान आज यूपी सुन्नी सेंट्रल वक़्फ़ बोर्ड ने एक सप्लीमेंट्री एफिडेविट दाखिल किया. इस एफिडेविट में यह दावा किया गया कि ज्ञानवापी परिसर वक़्फ़ की संपत्ति है. इस संपत्ति को साल 1944 में ही वक़्फ़ कर दिया गया था. वक़्फ़ एक्ट 1936 के तहत वाराणसी के वक़्फ़ रिकार्ड में सौवें नंबर पर यह प्रॉपर्टी दर्ज भी है, इसलिए इस पर अब कोई दूसरा पक्ष किसी तरह का दावा नहीं कर सकता.
कुछ दिनों पहले मिला रिकॉर्ड - वक्फ बोर्ड
सुन्नी सेंट्रल वक़्फ़ बोर्ड की तरफ से कोर्ट में दलील दी गई कि इसका रिकार्ड उन्हें कुछ दिनों पहले ही मिला है, इसलिए इस बारे में हलफनामा अब दाखिल कर अदालत को जानकारी दी जा रही है. सुन्नी सेंट्रल वक़्फ़ बोर्ड के वकील पुनीत गुप्ता ने कोर्ट को जानकारी दी कि यह रिकार्ड पिछले दिनों ही वाराणसी की जिला अदालत को भी सौंपा जा चुका है. हालांकि हिंदू पक्षकारों ने सुन्नी सेंट्रल वक़्फ़ बोर्ड के इस एफ़िडिवेट पर एतराज जताया और अदालत से इसे खारिज किए जाने की मांग की. हिंदू पक्षकारों की तरफ से आज करीब डेढ़ घंटे तक इस हलफनामे के खिलाफ बहस भी की गई. हालांकि हिंदू पक्षकारों की बहस आज पूरी नहीं हो सकी.
हिंदू पक्ष को मिली एक सप्ताह की मोहलत
हिंदू पक्षकारों ने इस पर अपना जवाब दाखिल करने के लिए अदालत से कुछ दिनों की मोहलत दिए जाने की अपील की. अदालत ने हिंदू पक्ष की इस अपील को मंजूर करते हुए एक हफ्ते की मोहलत दी. हिंदू पक्ष को अपना जवाब एक हफ्ते में दाखिल करना होगा. हाईकोर्ट इस मामले में सत्रह अगस्त को फिर से सुनवाई करेगा. हिंदू पक्षकारों ने आज अदालत में कहा कि सुप्रीम कोर्ट की रूलिंग और अयोध्या के राम मंदिर फैसले के आधार पर कहा जा सकता है कि इस तरह के रिकार्ड को अब सुनवाई के बीच मंजूर नहीं किया जा सकता. वैसे भी वक़्फ़ प्रापर्टी का विवाद सिर्फ मुस्लिमों के आपसी विवाद पर ही लागू होता है. इस हिंदुओं या दूसरे धर्म के लोगों के साथ चल रहे विवाद पर लागू नहीं किया जा सकता.
यूपी सुन्नी सेंट्रल वक़्फ़ बोर्ड की बहस आज पूरी हो गई. मस्जिद इंतजामिया कमेटी की बहस पहले ही पूरी हो चुकी है. हिंदू पक्षकारों की दलीलें भी पेश की जा चुकी हैं. अब सिर्फ सप्लीमेंट्री एफिडेविट पर ही बहस होनी है. मामले की सुनवाई जस्टिस प्रकाश पाडिया की सिंगल बेंच में हो रही है. हिंदू पक्ष की तरफ से भगवान विश्वेश्वर विराजमान के वकील विजय शंकर रस्तोगी ने बहस की. अदालत ने विवादित परिसर की एएसआई से सर्वेक्षण कराए जाने के निचले अदालत के फैसले पर पहले से ही 31 अगस्त तक रोक लगा रखी है.
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