(Source: ECI/ABP News/ABP Majha)
Gyanvapi Case: ज्ञानवापी मस्जिद मामले की अब 18 सितंबर को होगी सुनवाई, मुस्लिम पक्ष ने इस फैसले को दी है HC में चुनौती
Gyanvapi Mosque Case: मुस्लिम पक्ष की ओर से दायर याचिका में ज्ञानवापी मस्जिद का 2021 में एक वकील की अध्यक्षता वाले आयोग की तरफ से सर्वेक्षण करने के वाराणसी कोर्ट के निर्देश को भी चुनौती दी गई है.
UP News: उत्तर प्रदेश में वकीलों की हड़ताल की वजह से मंगलावर को इलाहाबद हाईकोर्ट (Allahabad High Court) में ज्ञानवापी मामले (Gyanvapi Case) में सुनवाई नहीं हो सकी. इस मामले में न तो याचिकाकर्ता और न नहीं बचाव पक्ष की ओर से कोई वकील अदालत में पेश हुआ. हाईकोर्ट ने मंगलवार से ऑनलाइन माध्यम से सुनवाई की व्यवस्था शुरू की है. चीफ जस्टिस प्रीतिंकर दिवाकर (Pritinker Diwaker) की अदालत ने वकीलों की हड़ताल की वजह से ऑनलाइन माध्यम से सुनवाई की अनुमति दी है, लेकिन किसी वकील के पेश नहीं होने की वजह से कोर्ट ने इस मामले में सुनवाई की अगली तारीख 18 सितंबर तय की है.
वाराणसी की अदालत में दायर वाद की पोषणीयता को इलाहाबाद हाईकोर्ट में चुनौती दी गई है. मूल वाद में उस जगह पर मंदिर बहाल करने की मांग की गई है जहां वर्तमान में ज्ञानवापी मस्जिद मौजूद है. अंजुमन इंतेजामिया मस्जिद कमेटी की ओर से दायर इस याचिका में ज्ञानवापी मस्जिद का 2021 में एक अधिवक्ता की अध्यक्षता वाले आयोग की तरफ से सर्वेक्षण करने के वाराणसी की अदालत के निर्देश को भी चुनौती दी गई है.
28 अगस्त को हुई थी सुनवाई
इससे पहले, 28 अगस्त को मुख्य न्यायाधीश प्रीतिंकर दिवाकर की अदालत में जब इस मामले में सुनवाई शुरू हुई थी, तो अंजुमन इंतेजामिया मस्जिद कमेटी ने इस बात का उल्लेख किया था कि हाईकोर्ट की एकल पीठ की ओर से इस मामले में सुनवाई पूरी कर फैसला सुरक्षित रख लिया गया था. ऐसे में उस पीठ की ओर से फैसला दिया जाना चाहिए. हालांकि, चीफ जस्टिस ने कहा था कि हाईकोर्ट के नियमों के मुताबिक, जब किसी मामले में सुनवाई पूरी होने के बाद भी फैसला नहीं दिया जाता है तो मुख्य न्यायाधीश के पास उस मामले को किसी अन्य पीठ के पास भेजने या स्वयं उस पर सुनवाई करने का अधिकार होता है.
मस्जिद पक्ष के वकील ने की थी ये मांग
मुख्य न्यायाधीश ने कहा कि 15 मार्च 2021 से इस मामले में कई बार फैसला सुरक्षित किया गया है लेकिन निर्णय सुनाया नहीं गया है. इस पर, अंजुमन इंतेजामिया मस्जिद के वकील ने मामले का नए सिरे से अध्ययन करने के लिए समय दिए जाने और इस मामले में सुनवाई टालने का अनुरोध किया था, जिस पर अदालत की ओर से 12 सितंबर की तारीख तय की गई थी.
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