Gyanvapi Mosque Case: वाराणसी के ज्ञानवापी मस्जिद परिसर से जुड़ी याचिकाओं पर इलाहाबाद हाई कोर्ट में सुनवाई जारी रहेगी. हाई कोर्ट ने सुनवाई रद्द किए जाने और फैसला सुनाए जाने की मांग वाली मुस्लिम पक्ष की अर्जी को बुधवार (27 सितंबर) को खारिज कर दिया.
चीफ जस्टिस प्रीतिंकर दिवाकर की सिंगल बेंच 4 अक्टूबर को फिर से मामले पर सुनवाई करेगी. कोर्ट ने मुस्लिम पक्ष की सभी आपत्तियों को खारिज कर दिया है. इसके अलावा इस मामले में ज्ञानवापी परिसर के बेसमेंट (तहखाने) के ट्रांसफर की एप्लीकेशन पर वाराणसी के जिला जज न्यायालय ने बुधवार की सुनवाई के बाद अगली तारीख 29 सितंबर निर्धारित की है. हिंदू पक्ष ने परिसर के तहखाने को डीएम को सौंपने की मांग करते हुए जिला अदालत वाराणसी में एक नई याचिका दायर की थी.
हाई कोर्ट में पांच याचिकाओं पर सुनवाई
ज्ञानवापी विवाद से जुड़ी पांच याचिकाओं पर इलाहाबाद हाई कोर्ट एक साथ सुनवाई कर रहा है. इनमें से तीन याचिकाएं 1991 में वाराणसी की अदालत में दाखिल किए गए केस की पोषणीयता से जुड़ी हुई हैं. दो अर्जियां ASI के सर्वेक्षण आदेश के खिलाफ हैं. 1991 के मुकदमे में विवादित परिसर हिंदुओं को सौंप जाने और वहां पूजा अर्चना की इजाजत दिए जाने की मांग की गई थी. यह मुकदमा 1991 में वाराणसी की अदालत में दाखिल किया गया था.
हाई कोर्ट को मुख्य रूप से यही तय करना है कि वाराणसी की अदालत इस मुकदमे को सुन सकती है या नहीं. कोर्ट को यह तय करना है कि इन याचिकाओं पर आगे सुनवाई की जानी है या फैसला आना है. मुस्लिम पक्ष ने पहले भी तीन बार जजमेंट रिजर्व होने के बाद फिर से सुनवाई किए जाने के फैसले पर ऐतराज जताया था.
मुस्लिम पक्ष ने क्या कहा?
मुस्लिम पक्ष ने इलाहाबाद हाई कोर्ट के पुराने फैसले के आधार पर दोबारा सुनवाई नहीं किए जाने की दलील दी थी. मुस्लिम पक्ष की ओर से कहा गया था कि पिछले कई सालों में करीब 75 कार्य दिवसों पर इस मामले में सुनवाई हो चुकी है. ऐसे में अब इस मामले में फिर से सुनवाई नहीं की जा सकती.
हिंदू पक्ष ने नहीं किया विरोध
हिंदू पक्ष की तरफ से भी कहा गया कि फैसला जल्दी आना चाहिए. हालांकि हिंदू पक्ष ने दोबारा सुनवाई किए जाने के फैसले का विरोध नहीं किया था. इन पांचों अर्जियों पर सुनवाई के बाद कोर्ट ने 25 जुलाई को जजमेंट रिजर्व कर लिया था.
उन्होंने 28 अगस्त को इस मामले में फैसला सुनाए जाने की तारीख तय थी, लेकिन जस्टिस प्रकाश पड़िया के तबादले के बाद इस मामले की सुनवाई चीफ जस्टिस प्रीतिंकर दिवाकर की बेंच कर रही है. चीफ जस्टिस ने 28 अगस्त के आदेश में कहा था कि जस्टिस प्रकाश पड़िया की बेंच क्षेत्राधिकार नहीं होने के बावजूद इस मामले में सुनवाई कर रही थी.
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