Gyanvapi Case: वाराणसी के ज्ञानवापी मस्जिद परिसर मामले की सुनवाई जिला कोर्ट से लेकर सुप्रीम कोर्ट तक जारी है. इसी बीच मंगलवार (26 सितंबर) को ज्ञानवापी मामले के मुस्लिम पक्षकार वाराणसी (Varanasi) के प्राचीन मंदिर के महंत, पूर्व मंत्री व सामाजिक कार्यकर्ताओं से मिलने पहुंचे.


पक्षकारों की ओर से ज्ञानवापी मामले में उनसे हस्तक्षेप व मदद की अपील करते हुए कहा गया है कि कोर्ट का जो भी निर्णय होगा वह मान्य होगा, लेकिन कुछ लोगों द्वारा शहर की गंगा जमुना तहजीब और माहौल को खराब करने का प्रयास किया जा रहा है. इसलिए प्रबुद्धजनों को ज्ञानवापी मामले में अपने संदेश और एकता भाईचारे के पैगाम को जन-जन तक पहुंचाने का प्रयास करना चाहिए.


सलामत रहे शहर की गंगा जमुना तहजीब 


ज्ञानवापी मामले को लेकर मुस्लिम पक्ष की तरफ से अंजुमन इंतजामिया मस्जिद कमेटी के ज्वाइंट सेक्रेटरी एस. एम. यासीन और शहर ए मुफ्ती अब्दुल बातिन नोमानी ने संकट मोचन मंदिर के महंत प्रोफेसर विश्वम्भरनाथ नाथ मिश्र से मुलाकात की. जहां उन्होंने इस मामले को लेकर काशी के गंगा जमुना तहजीब को सलामत रखने के लिए हस्तक्षेप करने की अपील की. 


पूर्व मंत्री से की मुलाकात


इसके अलावा पक्षकारों ने पूर्व मंत्री वीरेंद्र सिंह से भी मुलाकात की. इस मुलाकात के बाद वीरेंद्र सिंह ने एबीपी न्यूज़ से बातचीत के दौरान कहा कि ज्ञानवापी मामले को लेकर इन पक्षकारों ने हमसे मुलाकात की है और हम उनका स्वागत करते हैं. इस मामले में सुनवाई चल रही है.


कोर्ट का निर्णय सभी को मान्य होगा


उन्होंने कहा कि पक्षकारों के साथ-साथ हम भी इस बात को स्वीकारते हैं कि कोर्ट का इस मामले में जो कुछ भी निर्णय होगा वह हम सभी को मान्य होगा, लेकिन कुछ लोगों की ओर से इस मामले की आड़ में माहौल को खराब करने का प्रयास किया जा रहा है. माहौल को खराब होने से बचाने के लिए एकता अमन का पैगाम देने वाले लोगों से लगातार मुलाकात की जा रही है.


बीजेपी पर साधा निशाना


भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) पर निशाना साधते हुए पूर्व मंत्री वीरेंद्र सिंह ने कहा कि इसकी आड़ में बीजेपी शहर के अमन चैन को खराब करने का प्रयास कर रही है. लोगों की आस्था और भावनाओं से जुड़ा ये गंभीर मामला कोर्ट में है और कोर्ट का इस मामले पर जो कुछ भी निर्णय होगा वह दोनों पक्षों के साथ-साथ सभी को स्वीकार्य होगा. दूसरी तरफ हिंदू पक्ष ने इस मामले पर अपना रुख स्पष्ट कर दिया है कि वह किसी भी मध्यस्थता के मूड में नहीं है.


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