Haldwani Banbhoolpura News: हल्द्वानी अतिक्रमण मामले पर पहली बार बोले सीएम धामी- बनभूलपुरा के लोग अदालत पर रखें भरोसा
Haldwani में Nainital High Court के रेलवे की भूमि में हुए अतिक्रमण हटाए जाने के निर्देश के बाद यह मामला अंतरराष्ट्रीय फलक पर पहुंच चुका है.
Haldwani Banbhoolpura: उत्तराखंड स्थित हल्द्वानी में नैनीताल हाईकोर्ट के रेलवे की भूमि में हुए अतिक्रमण हटाए जाने के निर्देश के बाद जहां एक और यह मामला अंतरराष्ट्रीय फलक पर पहुंच चुका है तो वहीं दूसरी ओर नैनीताल हाईकोर्ट के(Nainital High Court) फैसले के खिलाफ बनभूलपुरा के लोग सुप्रीम कोर्ट पहुंचे हैं. 5 जनवरी यानी गुरुवार को सुप्रीम कोर्ट में इस मामले में सुनवाई होनी है.
इस बीच इस मामले पर उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने कहा है कि सभी को न्यायालय पर विश्वास रखना चाहिए. मुख्यमंत्री ने कहा, "न्यायालय का जो भी फैसला आएगा. सरकार उसी हिसाब से काम करेगी. यह न्यायालय और रेलवे के बीच की बात है, राज्य सरकार इसमें कोई पार्टी नहीं है. उच्चतम न्यायालय का जो भी निर्णय आएगा, राज्य सरकार उस पर काम करेगी."
सुप्रीम कोर्ट आज करेगा सुनवाई
उधर सुप्रीम कोर्ट हल्द्वानी में रेलवे की 29 एकड़ जमीन पर अतिक्रमण हटाने के उत्तराखंड हाई कोर्ट के निर्देश को चुनौती देने वाली याचिका पर बृहस्पतिवार को सुनवाई करेगा. रेलवे के मुताबिक उसकी भूमि पर 4,365 लोगों ने अतिक्रमण किया हुआ है.
चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया डी.वाई. चंद्रचूड़, जस्टिस एस.ए. नजीर और जस्टिस पी.एस. नरसिम्हा ने अधिवक्ता प्रशांत भूषण की ओर से मामले का जिक्र किए जाने के बाद इसे सुनवाई के लिए स्वीकार किया.
निवासियों ने अपनी याचिका में दलील दी है कि हाई कोर्ट ने विवादित आदेश पारित करने में गंभीर त्रुटि की है क्योंकि भूमि के स्वत्वाधिकार को लेकर याचिकाकर्ताओं और निवासियों की याचिकाएं जिलाधिकारी के समक्ष लंबित है.
याचिका में किया गया ये दावा
याचिका में कहा गया है, ‘‘ हाई कोर्ट ने रेलवे अधिकारियों द्वारा सात अप्रैल, 2021 की कथित सीमांकन रिपोर्ट पर विचार नहीं करने की गंभीर त्रुटि की है.’’ निवासियों ने दलील दी कि रेलवे और राज्य के अधिकारियों द्वारा अपनाए गए ‘‘मनमाने और अवैध’’ दृष्टिकोण के साथ-साथ हाई कोर्ट द्वारा इसे बनाए रखने के कारण उनके आश्रय के अधिकार का घोर उल्लंघन हुआ है.
याचिकाकर्ताओं ने दावा किया कि उनके पास वैध दस्तावेज हैं जो स्पष्ट रूप से उनके वैध अधिकार को स्थापित करते हैं. उन्होंने कहा कि इसके अतिरिक्त, स्थानीय निवासियों के नाम नगर निगम के रिकॉर्ड में गृह कर रजिस्टर में दर्ज किए गए हैं और वे नियमित रूप से गृह कर का भुगतान कर रहे हैं.