हल्द्वानी में नाबालिग ने दिया बच्चे को जन्म, पुलिस DNA जांच से खोजेगी नवजात का पिता
Haldwani News: हल्द्वानी में सामने आए इस मामले को लेकर पुलिस ने नवजात बच्चे के डीएनए जांच कराने का निर्णय लिया. पुलिस ने हल्द्वानी पॉक्सो कोर्ट से इसकी अनुमति मांगी, जिसे कोर्ट ने मंजूरी दे दी.
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Uttarakhand News: नैनीताल जिले के हल्द्वानी में एक 16 वर्षीय नाबालिग लड़की द्वारा बच्चे को जन्म देने के मामले ने पूरे क्षेत्र में सनसनी फैला दी है. इस मामले में अब पुलिस ने नवजात के डीएनए जांच कराने का फैसला लिया है, जिसके लिए हल्द्वानी पॉक्सो कोर्ट ने अनुमति दे दी है. यह जांच नवजात के पिता की पहचान और इस संवेदनशील मामले की गुत्थी सुलझाने में अहम साबित हो सकती है.
यह मामला 18 दिसंबर को तब सामने आया, जब हल्द्वानी के सुशीला तिवारी अस्पताल में एक नाबालिग लड़की को पेट दर्द की शिकायत पर उसके परिजन लेकर पहुंचे. अस्पताल में डॉक्टरों की जांच में पता चला कि लड़की गर्भवती है और उसने कुछ ही समय बाद एक स्वस्थ बच्चे को जन्म दिया.
अस्पताल प्रबंधन ने घटना की गंभीरता को देखते हुए इसकी जानकारी पुलिस को दी. पुलिस ने तुरंत कार्रवाई करते हुए मामले की जांच शुरू कर दी. हालांकि, नाबालिग लड़की और उसकी मां ने इस बारे में कोई भी जानकारी देने से इनकार कर दिया.
जानकारी न मिलने के बावजूद पुलिस ने अज्ञात व्यक्ति के खिलाफ मुकदमा दर्ज कर लिया. मुखानी थाना प्रभारी विजय मेहता के अनुसार मामले की जांच के दौरान कई संदिग्ध लोगों से पूछताछ की गई है लेकिन अब तक पुलिस को ऐसा कोई सुराग नहीं मिला है, जिससे आरोपी का पता चल सके.
हल्द्वानी पॉक्सो कोर्ट से मांगी DNA जांच की अनुमति
इस मामले में पुलिस ने नवजात बच्चे के डीएनए जांच कराने का निर्णय लिया. पुलिस ने हल्द्वानी पॉक्सो कोर्ट से इसकी अनुमति मांगी, जिसे कोर्ट ने मंजूरी दे दी. जांच का जिम्मा एसआई दीपा जोशी को सौंपा गया है. उन्होंने बताया कि नाबालिग लड़की और उसके परिवार से कई बार पूछताछ की गई है, लेकिन वे कोई जानकारी देने को तैयार नहीं हैं.
पीड़िता और उसके परिवार ने साधी चुप्पी
डीएनए जांच के बाद ही नवजात के पिता का पता चल सकेगा. मुखानी थाना प्रभारी ने बताया कि सुशीला तिवारी अस्पताल में भर्ती बच्चे के डीएनए सैंपल विशेषज्ञ डॉक्टरों की देखरेख में लिए जाएंगे. जांच कर रही पुलिस टीम के लिए यह मामला चुनौतीपूर्ण बन गया है. पीड़िता और उसके परिवार की चुप्पी ने इस केस को और उलझा दिया है. परिवार के सहयोग के अभाव में पुलिस के पास डीएनए जांच ही एकमात्र रास्ता बचा है.
नाबालिग के गर्भवती होने और बच्चे के जन्म के मामले ने नैतिक और कानूनी दोनों ही दृष्टिकोण से समाज को झकझोर कर रख दिया है. नाबालिग लड़की के अधिकारों की रक्षा और अपराधी को सजा दिलाने के बीच पुलिस को बेहद संवेदनशीलता से काम करना होगा.
सभी की निगाहें डीएनए रिपोर्ट पर
नाबालिगों से जुड़े यौन अपराधों के मामलों में पॉक्सो (प्रोटेक्शन ऑफ चिल्ड्रेन फ्रॉम सेक्सुअल ऑफेंसेस) एक्ट के तहत कार्रवाई की जाती है. इस एक्ट के तहत अपराधी को कड़ी सजा दी जाती है. अब सभी की निगाहें डीएनए रिपोर्ट पर हैं, जो इस मामले को सुलझाने में निर्णायक साबित हो सकती है, पुलिस ने जांच को निष्पक्ष और पारदर्शी तरीके से अंजाम देने का आश्वासन दिया है.
पुलिस की जांच से पता चलेगा पूरा सच
इस पूरे मामले ने समाज में जागरूकता बढ़ाने और नाबालिगों की सुरक्षा सुनिश्चित करने की आवश्यकता को रेखांकित किया है. पुलिस की जांच और कोर्ट के फैसले के बाद ही इस संवेदनशील मामले का पूरा सच सामने आएगा.
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