Haldwani Protest: हल्द्वानी में अतिक्रमण हटाने को लेकर क्यों मचा है हंगामा, जानिए अब तक की 10 बड़ी बातें
Haldwani Protest: हल्द्वानी रेलवे स्टेशन के पास बनी अवैध कॉलोनी के 4 हजार से ज्यादा घरों को हटाने का मामला अब सुप्रीम कोर्ट पहुंच गया है. इस मामले में गुरुवार को कोर्ट में सुनवाई होगी.
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Haldwani Land Eviction: उत्तराखंड के हल्द्वानी रेलवे स्टेशन के पास बनी अवैध कॉलोनी को हटाने के फैसले का विरोध बढ़ता ही जा रहा है. नैनीताल हाईकोर्ट से जारी आदेश के बाद रेलवे की 2.2 किमी लंबी पट्टी पर बनी अवैध कॉलोनी बनभूलपुरा के 4 हजार से ज्यादा घरों पर संकट मंडरा रहा है. जिसके बाद से स्थानीय लोग लगातार इस फैसले का विरोध कर रहे हैं. वहीं इस मामले में अब कई सियासी दल भी उतर आए हैं. सपा, बसपा, कांग्रेस, AIMIM समेत कई विपक्षी दलों ने इस पर अपना विरोध जताया है. आइए आपको बताते हैं कि इस मामले में अब तक क्या-क्या हुआ है...
1. 20 दिसंबर को नैनीताल हाईकोर्ट ने रेलवे की 29 एकड़ जमीन पर अवैध अतिक्रमणकारियों को 7 दिन का नोटिस देकर तत्काल हटाने के निर्देश दिए. इसके साथ ही कहा कि अगर जरूरत पड़े तो जिला प्रशासन इसके लिए पैरा मिलिट्री फोर्स की मदद ले, फिर भी कोई दिक्कत हो तो बलपूर्वक कार्रवाई की जाए. इज्जत नगर के रेलवे पीआरओ राजेंद्र सिंह ने बताया कि कुल 4,365 अतिक्रमण हैं और इन्हें खाली करने के लिए स्थानीय समाचार पत्रों की मदद से नोटिस दिया गया है.
2. कोर्ट के आदेश के बाद रेलवे और राजस्व अधिकारियों की संयुक्त टीम ने गुरुवार (29 दिसंबर) को अतिक्रमण क्षेत्र का ड्रोन सर्वे किया था. स्थानीय निवासियों के विरोध के बीच उन्होंने अतिक्रमित क्षेत्रों का सीमांकन शुरू कर दिया है. जिसके बाद हजारों की संख्या में यहां रहने वाले लोग सड़क पर उतर आए, ये लोग तभी से लगातार विरोध कर रहे हैं.
3. लोगों ने अपना विरोध दर्ज कराने के लिए कैंडिल मार्च निकाला. उनका कहना है कि वो सालों से यहां पर रह रहे हैं. कई लोग तो ऐसे हैं जिनका जन्म भी यहीं पर हुआ है और अब ये बेघर होने की कगार पर आ गए हैं. सूत्रों के मुताबिक इस इलाके में 20 मस्जिद और 9 मंदिर शामिल हैं. लोगों की सरकार से मांग है कि पहले उन्हे विस्थापित किया जाए.
4. दरअसल साल 2013 में हाईकोर्ट में हल्द्वानी रेलवे स्टेशन और रेल पटरी के पास से बहने वाली गोला नदी में अवैध खनन को लेकर एक याचिका दायर की गई थी, जिसमें कहा गया कि यहां रहने वाले लोग नदी में अवैध खनन करते हैं. जिससे रेल की पटरियों और पुल को खतरा है. 2017 में यहां के 4376 कब्जेदारों को चिन्हित किया गया.
5. इसके बाद हाईकोर्ट में फिर से याचिका दायर की गई और कहा गया कि रेलवे द्वारा अतिक्रमण हटाने में देरी की जा रही है, जिसके बाद मार्च 2022 में हाईकोर्ट ने रेलवे को अतिक्रमण हटाने का प्लान बनाने को कहा. 20 दिसंबर को कोर्ट ने यहां से लोगों को 7 दिन का नोटिस देकर अतिक्रमण खाली कराने के निर्देश दिए.
6. वहीं इस मामले पर अब राजनीति भी शुरू हो गई हैं, सबसे पहले उत्तराखंड के पूर्व सीएम हरीश रावत राज्य सरकार से मांग करते हुए कहा कि ये मानवीय समस्या है. इसे केवल कानूनी या राजनीतिक समस्या के तौर पर न देखा जाए.
7. हरीश रावत के साथ AIMIM चीफ असदुद्दीन ओवैसी भी बनभूलपुरा निवासियों के समर्थन में आए. उन्होंने 2 जनवरी को ट्वीट कर कहा कि इंसानियत की बुनियाद पर हल्द्वानी के लोगों की मदद करनी चाहिए और उन्हें वहां से नहीं निकालना चाहिए. हल्द्वानी के लोगों के सर से छत छीन लेना कौन सी इंसानियत है?
8. बसपा सुप्रीमो मायावती ने कहा कि "उत्तराखण्ड स्टेट के हल्द्वानी में बर्फीले मौसम में ही अतिक्रमण हटाने के नाम पर हजारों गरीब व मुस्लिम परिवारों को उजाड़ने का अमानवीय कार्य अति-दुःखद. सरकार का काम लोगों को बसाना है, न कि उजाड़ना. सरकार इस मामले में जरूर सकारात्मक कदम उठाये, बीएसपी की यह मांग."
9. सपा प्रमुख अखिलेश यादव ने भी हल्द्वानी में पार्टी का प्रतिनिधिमंडल भेजने का फैसला किया है. प्रतिनिधिमंडल में सांसद एसटी हसन, पूर्व मंत्री और विधायक अताउर हसन, पूर्व सांसद वीरपाल सिंह, सपा नेता एसके राय, पूर्व विधायक अरशद खान, उत्तराखंड के प्रदेश प्रभारी अब्दुल मतीन सिद्दीकी, प्रमुख महासचिव सोएब अहमद सिद्दीकी, प्रदेश उपाध्यक्ष सुरेश परिहार, पंजाब प्रदेश प्रभारी कुलदीप सिंह भुल्लर और पूर्व विधायक सुल्तान बेग शामिल हैं. ये प्रतिनिधिमंडल चार जनवरी को हल्द्वानी जाएगा.
10. इस बीच उत्तराखंड के हल्द्वानी में रेलवे की जमीन पर अतिक्रमण कर बनाई गई झुग्गियों को हटाने का मामला सुप्रीम कोर्ट पहुंच गया है. वरिष्ठ वकील प्रशांत भूषण शीर्ष अदालत में इसे लेकर याचिका डाली है. सुप्रीम कोर्ट अतिक्रमण हटाओ अभियान के खिलाफ दाखिल इस अर्जी पर गुरुवार को सुनवाई करेगा. इससे पहले, स्थानीय विधायक सुमित हृदयेश भी एक याचिका दाखिल कर चुके हैं. अब दोनों याचिकाओं पर एक साथ सुनवाई होगी.
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