Haldwani News: हल्द्वानी के तराई पूर्वी वन विभाग से एक घायल बाघिन को इलाज के लिए कॉर्बेट टाइगर रिजर्व में बने रेस्क्यू सेंटर में इलाज के लिए लाया गया था. 8 दिनों से चिकित्सकों की एक टीम इसका इलाज कर रही थी. लेकिन शनिवार को इस बाघिन ने इलाज के दौरान दम तोड़ दिया. इससे वन्य जीव प्रेमियों को और वन महका में को बड़ा झटका लगा है. 


इलाज के दौरान बाघिन तोड़ा दम
कॉर्बेट टाइगर रिजर्व द्वारा ने बताया कि 23 नवंबर 2023 को हल्द्वानी के तराई पूर्वी वन विभाग के किशनपुर रेंज से एक घायल बाघिन को इलाज के लिए कॉर्बेट टाइगर रिजर्व में लाया गया था. इस बाघिन का इलाज कॉर्बेट टाइगर रिजर्व के ढेला जोन में बने रेस्क्यू सेंटर में किया जा रहा था. इलाज के दौरान इस बाघिन ने शनिवार को दम तोड़ दिया. कॉर्बेट टाइगर रिजर्व के डॉक्टर ने कई दिनों तक इस बाघिन को बचाने की कोशिश की. लेकिन इस बाघिन को बचाया न जा सका, बाघिन दम तोड़ दिया.


कॉर्बेट टाइगर रिजर्व के अधिकारियों ने बाघिन को बचाने के लिए डॉक्टरों की एक टीम बनाई थी, जो इस बाघिन का इलाज कर रही थी. वन्य जीव प्रेमियों की अगर मन तो एक बाघ का मरना किसी भी जंगल के लिए बेहद नुकसानदायक होता है. फॉरेस्ट इकोसिस्टम के लिए टाइगर काफी महत्वपूर्ण है उनके होने से जंगल का अस्तित्व कायम रहता है, उनकी मौत से जंगल के संतुलन पर फर्क पड़ता है,


12-16 वर्ष होती है बाघ की आयु
अमूमन एक बाघ की आयु औसतन आयु 12 से 16 वर्ष के आसपास होती है, पैदा होने के 3 वर्ष के अंदर ही वह युवा बन जाता है और अपना इलाका बनाने लगता है. वैसे तो दुनिया भर में किसी भी टाइगर की टेरिटरी 20 से 21 किलोमीटर की होती है, लेकिन कॉर्बेट टाइगर रिजर्व में यही टेरिटरी 5 से 6 किलोमीटर आंकी जाती है. 


रामनगर रेस्क्यू सेंटर में चल रहा था इलाज
कॉर्बेट टाइगर रिजर्व के अधिकारियों के अनुसार बाघिन को बचाने की हर मुमकिन कोशिश कि लेकिन बाघिन इस कदर घायल और बीमार थी कि उसको बचाया नहीं जा सका. इसको लेकर कॉर्बेट टाइगर रिजर्व के अधिकारियों में भी निराशा देखी जा रही है. उनका कहना है कि हमारे लिए किसी भी बाघ का मारना बेहद नुकसानदायक होता है, हम अपनी तरफ से हर जानवर को बचाने की कोशिश करते हैं, लेकिन कभी-कभी भगवान को कुछ और ही मंजूर होता है.


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