कानपुर. कोरोना महामारी में स्वास्थ्य व्यवस्था दुरुस्त करने के लिए प्रदेश सरकार ने सभी मेडिकल कालेजों को आपदा फंड के तहत करोड़ों की धनराशि आवंटित की थी. हैलट अस्पताल को भी 13 करोड़ 96 लाख से अधिक की रकम आवंटित की गई थी, लेकिन हैलट इस फंड का इस्तेमाल करना भूल गया. पिछले वित्तीय वर्ष में भेजी गई रकम का इस्तेमाल ना होने पर जब शासन से चेतावनी पत्र जारी किया गया, तब हैलट प्रशासन को होश आया कि इस रकम का इस्तेमाल होना था. स्वास्थ्य शिक्षा विभाग हैलट प्रशासन को अंतिम चेतावनी भी दी है. 


दरअसल, कोरोना की पहली लहर में बेहतर स्वास्थ्य सेवाएं हो सके इसको लेकर सभी मेडिकल कॉलेजों को आपदा फंड से रकम भेजी गई थी. कानपुर मेडिकल कॉलेज को 13 करोड़ 94 लाख 67 हजार रुपए भेजे गए थे. शासन का उद्देश्य इस रकम से बेहतर चिकित्सा सुविधा उपलब्ध कराना था. प्राचार्य को विशेष अधिकार भी दिए गए थे कि इस रकम का इस्तेमाल आने विवेक से कर सकते हैं, लेकिन जीएसवीएम मेडिकल कॉलेज में इसका इस्तेमाल करना ही भूल गया. वित्तिय वर्ष बीत जाने के बाद हैलट प्रशासन को होश आया. जिसके बाद शासन को एक पत्र लिखकर इस रकम के इस्तेमाल की अनुमति मांगी गयी.


क्या है नियम?
किसी वित्तीय वर्ष में भेजी गई आपदा रकम का इस्तेमाल हर हाल में उसी वर्ष करना होता है. फाइनेंशियल ईयर क्लोजिंग के बाद कोई भी फंड लैप्स हो जाता है. उसी नियम के तहत हैलट में भेजा गया महामारी आपदा फंड का बजट मार्च में स्वतः लैप्स हो गया था. ऐसे फंड के दूसरे वित्तीय वर्ष में इस्तेमाल के लिए राज्यपाल की विशेष अनुमति की आवश्यकता पड़ती है. इस मामले में भी राज्यपाल से स्पेशल अनुमति लेनी पड़ी. शासन ने चेतावनी देकर फिलहाल उस फंड को जारी कर दिया है.


हालांकि इस संदर्भ में हैलट के प्राचार्य डॉ आरबी कमल का कहना है कि पिछले वित्तीय वर्ष में इसका इस्तेमाल नहीं हो पाया था. इसके लिए शासन को पत्र लिख कर अनुरोध किया गया था, जिसको स्वीकार कर लिया गया है. अब इस फंड से नए मेडिकल इंस्ट्रूमेंट की खरीद होगी और जो भी पेंडिंग जरूरतें हैं उनको पूरा किया जायेगा.


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