कानपुर. हैलट अस्पताल में रेमडेसिविर इंजेक्शन फर्जीवाड़े का मामला तूल पकड़ता जा रहा है. इस नए विवाद के बाद मेडिकल कॉलेज में डॉक्टरों में दो फाड़ हो गए हैं. एक दूसरे के ऊपर आरोप-प्रत्यारोप का  दौर शुरू हो चुका है. प्राचार्य ने उप प्रधानाचार्य पर आरोप लगा कर उनको रेमडेसिविर इंजेक्शन जारी करने का नोडल अफसर बताया. जबकि उप प्रधानाचार्य का कहना है कि जब मुर्दों को रेमडेसिविर इंजेक्शन जारी किये गए तब वह खुद और उनका परिवार कोरोना पॉजिटिव था. इंजेक्शन कैसे जारी हुए ये डॉक्टर और स्टाफ बेहतर बता सकता है.


तीन सदस्यों की समिति कर रही जांच
गौरतलब है कि रेमडेसिविर इंजेक्शन के इस्तेमाल पर सवाल उठने के बाद GSVM कॉलेज में हंगामा मचा हुआ है. तीन सदस्यों की समिति मामले की जांच कर रही है. इस संदर्भ में प्राचार्य डॉ आरबी कमल ने पूरे मामले से पल्ला झाड़ते हुये कहा कि इसके लिए नोडल अफसर वाईस प्रिंसिपल डॉ ऋचा गिरी को बनाया गया था. इंजेक्शन जारी किए जाने की किसी भी तरह की जिम्मेदारी नोडल अफसर की होती है.


वहीं, डॉ ऋचा गिरी से बात की गई तो उन्होंने बताया कि जिस वक्त रेमडेसिविर इंजेक्शन जारी किये गए थे उस समय वह और उनका पूरा परिवार कोरोना पॉजिटिव था. ऐसे में उनकी जिम्मेदारी कैसे हो सकती है. गलत इंजेक्शन जारी किए जाने के लिए उस वक़्त ड्यूटी पर तैनात डाक्टर्स और स्टाफ जिम्मेदार हैं.


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