गोरखपुर: परिवार चलाने के लिए साइकिल का पंचर बना रहा है हैंडबॉल का नेशनल प्लेयर
कार्तिक तीन बार हैंडबॉल में यूपी का प्रतिनिधित्व कर चुके हैं. दुर्भाग्य ये है कि तीन बार नेशनल लेवल पर खेल चुके इस खिलाड़ी को परिवार का खर्च चलाने के लिए सड़क पर साइकिल का पंचर बनाना पड़ रहा है.
गोरखपुर, नीरज श्रीवास्तव: गुदड़ी के लाल...ये कहावत यूं ही नहीं कही गई. इसमें कुछ तो सच्चाई है जो सिस्टम को आईना दिखाने के साथ ये भी बताती है कि देश में प्रतिभाओं की कमी नहीं है. वे अपना रास्ता खुद ही बना लेते हैं और मंजिल भी तय कर लेते हैं. लेकिन, कठिन राहों में मुश्किलों के कांटों को कुछ कम किया जा सकता है. गोरखपुर के रहने वाले महज 17 साल के कार्तिक तीन बार हैंडबॉल में यूपी का प्रतिनिधित्व कर चुके हैं. दुर्भाग्य ये है कि तीन बार नेशनल लेवल पर खेल चुके इस खिलाड़ी को परिवार का खर्च चलाने के लिए सड़क पर साइकिल का पंचर बनाना पड़ रहा है.
पिता की हो चुकी है मौत गोरखपुर दुर्गाबाड़ी तिराहा के रहने वाले कार्तिक की जिंदगी साइकिल के पहियों के बीच बचपन से ही घूम रही है. कार्तिक भी वक्त के बदलने का इंतजार कर रहे हैं. 11 साल पहले कार्तिक के पिता की बीमारी से मौत हो चुकी है. वो भी इसी पंचर की दुकान से पहाड़ से परिवार का खर्च चलाते रहे हैं. जब उनकी मौत हुई, तो कार्तिक महज छह साल के ही थे. उन्हें तो ये भी ठीक से नहीं पता था कि उनके पिता अब लौटकर कभी वापस नहीं आएंगे. लेकिन, कम उम्र में ही परिवार की जिम्मेदारी का बोझ सिर पर आया, तो सब समझ में आ गया.
करते रहे हैंडबॉल की प्रैक्टिस साइकिल के पहिए की तरह ही उनकी जिंदगी भी गोल-गोल घूमती रही. लेकिन, छह साल के कार्तिक के भीतर भी हौसला कम नहीं रहा है. नन्हे कंधों पर परिवार की जिम्मेदारियों के बीच वे पढ़ते भी रहे और चार बहनों के बीच तीसरे नंबर पर होने के बावजूद एक बहन की शादी की जिम्मेदारी भी पूरी की. कार्तिक ने परिवार के खर्च और बहनों की पढ़ाई के साथ उनकी शादी की जिम्मेदारियों के बीच अपने शौक को मरने नहीं दिया. दिनभर मेहनत के बीच वो स्टेडियम में हैंडबॉल की प्रैक्टिस करते रहे.
पढ़ाई का भी रखते हैं ध्यान कार्तिक यूपी सबजूनियर टीम से 3 बार नेशनल खेल चुके हैं. लेकिन घर की आर्थिक परेशानियों की वजह से छोटी सी उम्र से साइकिल, मोटरसाइकिल का पंचर बनाते हैं. काम से समय निकालकर रोजाना स्टेडियम में अपने सपने को पूरा करने के लिए हैंडबॉल की भी प्रैक्टिस करते हैं. कार्तिक की तीनों बहनें भी पढ़ने में तेज हैं. उनके लिए कार्तिक दिन रात अपने सपने को दबाकर मेहनत करते रहते हैं. कार्तिक ने हाई स्कूल 55 और इंटर 65 प्रतिशत नम्बर से पास कर बीए में एडमिशन भी लिया है. खेल के साथ कार्तिक पढ़ाई पर भी पूरा ध्यान देते हैं.
इंडिया टीम से खेलेने का सपना कार्तिक यादव 2017 में यूपी हैंडबाल की 16 सदस्यीय टीम में शामिल हुए. कार्तिक ने बताया कि प्रदेश भर से ढेरों प्लेयर ट्रायल देने केडी सिंह बाबू स्टेडियम लखनऊ आए थे. इतने खिलाडियों के बीच उनका सेलेक्शन हुआ, तो उनकी खुशी का ठिकाना नहीं रहा. यूपी की टीम तमिलनाडू गई. जहां पर चार मैच भी जीते. सभी मैचों में कार्तिक ने अपने खेल से सबको चौंकाया. इसी तरह कार्तिक अलग-अलग टूर्नामेंट में तीन बार यूपी टीम के हिस्सा रह चुके हैं. स्कूल स्तर पर भी कई कम्प्टीशन खेल कर उन्होंने अपनी प्रतिभा का लोहा मनवाया है. कार्तिक का सपना है कि एक दिन इंडिया टीम से खेलें.
हो चुका हा घुटने का ऑपरेशन अभी एक साल पहले कार्तिक का खेल के दौरान घुटना टूट गया था. कार्तिक को ऐसा लग रहा था कि घुटना नहीं बल्कि उनका सपना टूटा है. जिसके आपरेशन में लाखों का खर्च रहा है. काफी दिनों तक पैसे के अभाव में वे घर पर पड़े रहे. जब कहीं से मदद नहीं मिली, तब रीजनल स्टेडियम के खिलाडियों और कोच नफीस अहमद ने पैसा कलेक्ट कर कार्तिक के घुटने का ऑपरेशन कराया. ऑपरेशन के बाद एक बार फिर कार्तिक ग्राउंड पर उतर चुके हैं. मुसीबत बस यही है कि उनके कंधे पर अभी भी खेल के साथ ही घर की जिम्मेदारियां हैं. जिसे कार्तिक को पूरा करना है.
कार्तिक की पोजिशन 7 नम्बर है दिन भर काम से थकने के बाद भी कार्तिक घर नहीं बैठते हैं. जहां से भी टाइम मिलता है तुंरत अपने सपने को पूरा करने के लिए शिद्दत से लग जाते हैं. कार्तिक को कहीं भी कोई खिलाड़ी कमजोर पड़ता है तो वहां उन्हें लगा दिया जाता है. वैसे इनकी पोजिशन 7 नम्बर है. लेकिन कार्तिक हर पोजिशन पर अच्छा प्रदर्शन करते हैं. इस खिलाडी को समय और मदद मिले तो इसे आगे जाने से कोई रोक नहीं पाएगा. ऐसे खिलाड़ियों को सरकारी मदद के साथ लोगों के हौसलाअफजाई की भी जरूरत है.
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