कौशांबी, एबीपी गंगा। वह सिराथू तहसील के कनवार गांव में भी गए, जहां से वर्षों पहले उनके पुरखों को अंग्रेज सूरीनाम मजदूरी कराने ले गए थे। दादा की जुबानी गांव के बारे में जो सुना था, उसी के आधार पर उन्होंने अपनी खोज शुरू की। हैंड्रिक अपने वंशजों तक पहुंचे और उस मिट्टी को खोज निकाला, जिसमें उनके पुरखों की जड़ें जुड़ी हैं। माल्टा से अपने पुरखों के पैतृक गांव पहुंचे हेंड्रिक का कहना है अब कुछ महीनों बाद दोबारा यहां अपने परिवार के साथ आकर विकास कार्य कराए जाने की बात कह रहे हैं।
माल्टा से आये हैंड्रिक का कहना है कि सिराथू तहसील के कनवार गांव से 1895 में अंग्रेज बड़ी संख्या में गिरमिटिया मजदूरों को अपने साथ सूरीनाम में ले गए। जिसमें उनके दादा सीताराम लोध भी शामिल थे। तमाम यातनाएं झेलते हुए सीताराम ने अपने बच्चों और परिवार का भरण पोषण किया। हैंड्रिक ने बताया, जब वह 12 वर्ष के थे, तब उनके दादा का निधन हो गया था। दादा की बतायी बातें उनके दिल मे बैठ गईं। जिसके बाद वह अपने पुरखों के वतन जाकर उनके अपने लोगों से मिलने के लिए बेचैन रहने लगे। एक कंपनी में डायरेक्टर के पद से रिटायरमेंट लेने के बाद वह भारत आये। जहां उन्होंने पुरखों की जड़ों को खोजते खोजते कौशाम्बी (तब इलाहाबाद) के कनवार गांव जा पहुंचे।
हैंड्रिक के दादा ने उन्हें बताया था कि उनका गांव कनवार रेल लाइन किनारे है। इसी आधार पर वह अपने पुरखों को खोजते खोजते यहां तक पहुंचे हैं। सात समंदर पार से पुरखों की जड़ों को खोजते हुए हैड्रिक कालका अपने गांव कनवार गांव पहुंचे तो वहां पर सैकड़ों लोगों की भीड़ जमा हो गई। हैंड्रिक कालका ने खुद की जांच पड़ताल के बाद रामप्रताप लोधी के परिवार को अपना बताया है। राम प्रसाद लोधी के घर पहुंचे हैड्रिक कालका ने उन्हें अपने गले से लगा लिया। परिवार के अन्य लोगों के साथ बेहद आत्मीयता से वह मिले। हैंड्रिक कालका का कहना है कि वह अपने पुरखों के गांव में स्कूल खुलवाने या फिर कोई दूसरा विकास कार्य करवाना चाहते हैं। जिस रामप्रताप लोधी के परिवार से हैंड्रिक कालका का संबंध जुड़ा है वह बेहद खुश नजर आ रहे हैं।
जिस परिवार से हैंड्रिक कालका का संबंध जुड़ रहा है वह बेहद गरीब हैं। परिवार के मुखिया मेहनत मजदूरी करके पेट पालते हैं। हैंड्रिक के बातों को सुनकर राम प्रताप लोधी का परिवार बेहद खुश जरूर नजर आ रहा है। हैंड्रिक कालका को उनके अपने पुरखों की जड़ों तक पहुंचाने में पवन तिवारी का खास किरदार है। पवन तिवारी व हैंड्रिक कालका की दोस्ती फेसबुक के जरिये हुई है। कनवार गांव में अपने परिजनों से मिलने के बाद हैंड्रिक कालका सिराथू तहसील कार्यालय भी पहुंचे। जहां उन्होंने एसडीएम राजेश कुमार श्रीवास्तव से मिलकर सरकारी अभिलेखों में अपने पूर्वजों का नाम तलाशना शुरू किया। एसडीएम का कहना है कि हैड्रिक माल्टा देश से आए है जो अपने पूर्वजों के पैतृक गांव में विकास कार्य कराए जाने की बात कह रहे हैं।