Hapur News: उत्तर प्रदेश के हापुड़ में लगभग 150 करोड़ रुपये की सरकारी जमीन को बेचने के मामले में 16 लोगों के खिलाफ 4 केस दर्ज किए गए हैं. हापुड़ जिलाधिकारी मेधा रूपम ने इस मामले में जांच कराई थी, जिसके बाद हकीकत सामने आई. पूरे मामले में जिलाधिकारी ने एक गोपनीय जांच रिपोर्ट बनाकर शासन को भेजी दी है. इस फर्जीवाड़े के उजागर होने के बाद इस जमीन की खरीद फरोख्त करने वालों की नीद उड़ी हुई है. वहीं, धौलाना तहसील के अधिकारी और कर्मचारियों में भी हड़कंप मचा हुआ है. आशंका जताई जा रही है कि इस मामले में कई अधिकारी भी फंस सकते हैं.
दरअसल, 16 सितंबर 2022 को सरकारी जमीन फर्जीवाड़े मामले में एक लेखपाल रामवीर ने जिलाधिकारी को शिकायती पत्र लिखा था. इसके बाद जिलाधिकारी ने जब इसमें एक टीम गठित कर जांच कराई, तो सारा खेल सामने आ गया. इसमें 14 करोड़ रुपये के सर्किल रेट वाली सरकारी जमीन घोटाले केस में जांच के दौरान कई अधिकारियों पर गाज गिर सकती है. इसको लेकर हापुड़ तहसील प्रशासन में हड़कंप मचा हुआ है.
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तहसील प्रशासन से सांठगांठ से बिकी जमीन
यह सरकारी जमीन धौलाना ग्राम पंचायत में चार अलग-अलग जगह पर 2.478 हेक्टेयर में फैली हुई है. आरोप है कि इस भूमि की फर्जी तरीके से पत्रावली तैयार कर कई लोगों ने चार बार बेचा है. धौलाना तहसील क्षेत्र में फर्जी दस्तावेजों के जरिए 1988 से यह घोटाला शुरू हुआ था. जमीन सरकारी होते हुए भी शातिर लोगों ने इसके फर्जी अभिलेख तैयार कर लिए और तहसील प्रशासन से सांठगांठ कर इसकी अमल दरामद भी करा ली थी. उच्च अधिकारियों को इसकी भनक तक नहीं लगी. वहीं, तहसील के जिम्मेदार तत्कालीन अधिकारियों एसडीएम और तहसीलदार पर आरोप है कि उन्होंने भूमाफिया के साथ मिलकर सरकार की जमीन को कौड़ियों के भाव बिकवा दिया.
यह एक बार नहीं बल्कि 4 बार हुआ, जब एक ही जमीन को फर्जी कागजों के जरिए बेचा गया. हापुड़ की धौलाना तहसील के खरीदारों के साथ ही दिल्ली की कई पार्टियों ने भी यहां जमीन खरीदी थी. वर्तमान में इस जमीन की कीमत लगभग 150 करोड़ रुपये बताई जा रही है. सरकारी भूमि को बेचने वाले एक आरोपी शख्स सुनील का नाम भी सामने आया है, जिसको इस सारे मामले का मास्टरमाइंड बताया जा रहा है और वह तहसील धौलाना में ही बेनामा लेखक है.
तहसील प्रशासन को नहीं थी इतने बड़े फर्जीवाड़े की जानकारी
जानकारी के मुताबिक, इस सारे मामले में अब लेखपाल केशव द्वारा चार एफआईआर धौलाना थाने में दर्ज कराई गई हैं, जिनमें 16 लोगों पर सरकारी जमीन को खरीदने और बेचने का आरोप लगा है. पुलिस अभी इस मामले में जांच कर रही है. जांच के बाद जो भी सामने आता है, उसपर कड़ी से कड़ी कार्रवाई करने की बात की जा रही है. जहां इस जमीन के खरीदार और विक्रेता पर मुकदमा तो दर्ज करा दिया गया है, लेकिन लेकिन एक बड़ा सवाल यह भी उठता है कि तहसील प्रशासन को इस जमीन के बारे में इतने वर्षों तक जानकारी क्यों नहीं थी? तहसील प्रशासन में सभी भू अभिलेख दर्ज रहते हैं. अगर उसके बावजूद भी इतने बड़े पैमाने पर सरकारी जमीन को कौड़ियों के भाव बेच दिया जाए तो धौलाना तहसील प्रशासन पर सवालिया निशान खड़े होते हैं. ऐसे में यह माना जा रहा है कि कोई सरकारी अधिकारी या कर्मचारी इस फर्जीवाड़े में शामिल हो सकता है.
हापुड़ एसपी दीपक भूकर ने बताया कि थाना धौलाना के लेखपाल द्वारा चार तहरीर दी गई थीं और गंभीर आरोप लगाए गए थे. इस संदर्भ में पुलिस ने चार एफआईआर दर्ज की गई हैं, जिसमें कुल 16 आरोपियों के नाम हैं. इन्वेस्टिगेशन में जो तथ्य सामने आएंगे, उनके आधार पर अग्रिम कार्रवाई की जाएगी.