Dehradun, Cant Seat: कैंट विधानसभा सीट (Cant Assembly Seat) से हरबंस कपूर(Harbansh Kapur)-उत्तराखंड के एकमात्र अजेय विधायक हैं. जब से इन्होंने जीतना शुरू किया तो पीछे मुड़कर नहीं देखा. जब भाजपा का झंडा थामने वाला कोई नहीं था, तब ये विधायक बन गए थे. यह सीट 2008 परिसीमन के अस्तित्व में आने के बाद भी हरबंस कपूर का गढ़ रही है. साल 2012 में पूर्व स्पीकर रहे हरबंस कपूर ने भाजपा से अगुवाई की तो कांग्रेस का झंडा लहराने देवेंद्र सिंह सेठी आये. कांग्रेस ने भाजपा दिग्गज को पछाड़ने की पुरजोर कोशिश की पर भाजपा विधायक हरबंस कपूर को हिला नहीं पाए. नतीजे में 5095 वोटों से भाजपा विधायक ने जीत दर्ज की. साल 2017 में इस सीट पर कांग्रेस ने अपने प्रवक्ता और कांग्रेस कमेटी के उपाध्यक्ष सूर्यकांत धस्माना पर दांव खेला. जिसमें उन्हें फिर से नाकामी हाथ लगी. जनता ने अपने विधायक का साथ न छोड़ा और 56.99 वोट प्रतिशत जीत के साथ हरबंस कपूर ने आठवीं बार विधायक के तौर पर शपथ ली. लगातार आठ बार की जीत यह बताने के लिए काफी है कि जनता के बीच उनकी पकड़ कितनी मजबूत है. पिछले पांच साल में हरबंस कपूर क्षेत्र में सक्रिय रहे हैं, लेकिन यह संदेश भी जाता रहा है कि वह अपने पुत्र को राजनीति में आगे करने के लिए बिसात बिछा रहे हैं. 


देहरादून कैंट विधानसभा सीट पर मतदाताओं की बात करें, तो देहरादून कैंट विधानसभा सीट में 1 लाख 31 हज़ार 808 वोटर हैं. जिसमें से 65,558 पुरुष हैं और 66250 महिलाएं हैं. 


विधानसभा कैंट की पांच बड़ी समस्याएं :-


1. क्षेत्र में सड़कों का चौड़ीकरण और लिंक मार्गो का सुदृढ़ीकरण
2. ट्रैफिक जाम 
3. नालों में जल भराव और गंदगी
4. कई क्षेत्रों में संपर्क मार्गों की खस्ताहाल स्थिति
5. अतिक्रमण  


हरबंस के नाम जीत का रिकॉर्ड


देहरादून कैंट विधानसभा सीट पर हरबंस कपूर कभी नहीं हारे. लगातार आठ बार जीतने के रिकार्ड बनाने वाले हरबंस कपूर को हराने का कांग्रेस कोई फार्मूला नहीं निकाल पाई, लेकिन उनके सामने सबसे बड़ी चुनौती बढ़ती उम्र है. 2017 में भी खराब सेहत के बावजूद उन्होंने चुनाव लड़ा था. इस बार बढ़ती उम्र के चलते भाजपा उनका विकल्प तलाश सकती है. हालांकि, हरबंस कपूर चाहेंगे कि अगर किसी कारण से वह चुनाव नहीं लड़ पाते हैं तो उनके बेटे अमित कपूर को टिकट दिया जाए. कपूर अपनी मजबूत छवि के बूते मैदान में उतरे बिना भी भाजपा की नैया पार करने का दम भरते हैं. उधर, कांग्रेस के लिए इस सीट पर कपूर का बड़ा कद जीत में रोड़ा बन रहा है. लंबे समय से सीट पर मेहनत कर रहे कांग्रेस उपाध्यक्ष सूर्यकांत धस्माना कैंट का किला तभी फतेह कर सकते हैं जब कपूर का गढ़ कमजोर हो जाए.



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