UP News: हरदोई में रेलवे के कार्यालय पर CBI की रेड से हड़कंप, सीनियर सेक्शन इंजीनियर को ले गई टीम
UP News: यूपी के हरदोई में बालामऊ जंक्शन पर स्थित कार्यालय में सीबीआई ने शुक्रवार को छापेमारी की. कई घंटो चली इस रेड के बाद यहां तैनात सीनियर सेक्शन इंजीनियर दिनेश कुमार को सीबीआई अपने साथ ले गई.
Hardoi News: यूपी के हरदोई जिले में बालामऊ जंक्शन पर स्थित कार्यालय एवं कार्यशाला सीनियर सेक्शन इंजीनियर उत्तर रेलवे बालामऊ के कार्यालय पर शुक्रवार को सीबीआई ने छापेमारी की. यहां कई घंटे तक सीबीआई की चली इस रेड के बाद यहां तैनात सीनियर सेक्शन इंजीनियर दिनेश कुमार को सीबीआई वाले अपने साथ गाड़ी में बैठा कर ले गए हैं.
सीबीआई की एक टीम बालामऊ जंक्शन पर स्थित सीनियर सेक्शन इंजीनियर दिनेश कुमार के कार्यालय पर पहुंची.शासन की दो गाड़ियों से पहुंचे सीबीआई के अधिकारियों ने कई घंटे तक कार्यालय में जांच पड़ताल की. सीबीआई के कर्मचारियों ने यहां कार्यालय में तैनात कर्मचारियों को बाहर निकाल दिया. उसके बाद सीनियर सेक्शन इंजीनियर दिनेश कुमार से कई घंटे तक पूछताछ की.
CBI की टीम सीनियर इंजीनियर को ले गई लखनऊ
सीबीआई की टीम ने छापेमारी के दौरान इंजीनियर दिनेश कुमार से कई सवाल पूछे. सीबीआई के अधिकारियों ने सीनियर सेक्शन इंजीनियर के कार्यालय में मौजूद कई अभिलेख अपने कब्जे में लिए उनको सीज कर दिया. इसके साथ ही एक लैपटॉप व अन्य उपकरण भी सीज कर दिए इसके बाद सीनियर सेक्शन इंजीनियर दिनेश कुमार को और सीज किए गए अभिलेखों के साथ लैपटॉप आदि को अपने साथ लेकर लखनऊ चले गए. सीबीआई से आए हुए अधिकारियों ने बताया कि फिलहाल वह कुछ बताने को अधिकृत नहीं है.
CBI की रेड से हड़कंप
जिस तरह से सीबीआई की रेड पड़ी है और सेक्शन इंजीनियर को लेकर अधिकारी अपने साथ गए हैं. इसको लेकर रेल महकमे में हड़कंप मचा हुआ है. सीनियर सेक्शन इंजीनियर का मोबाइल फोन और उनके पास से कुछ पैसे उनकी पत्नी को भिजवा दिए गए हैं.बताया जा रहा है कि एक जमीन संबंधित माप और ठेकेदारों को लेकर कई प्रकरण है. जिसके बाद सीबीआई की रेड हुई है. यह भी बताया जा रहा है कि किसी के द्वारा 10 हजार रुपये भी सीनियर सेक्शन इंजीनियर को दिए गए थे. जो बैग में पाए गए हैं. फिलहाल सीबीआई अब पूरे प्रकरण की जांच पड़ताल कर रही है.
ये भी पढ़ें: UP Crime News: देवरिया में हत्या-डकैती के मामले में 41 आरोपियों को 10-10 साल की सजा, 29 साल बाद आया फैसला