Hardoi News: मोहम्मद अनीस के सीने में कभी गूंजती थीं कुरआन की आयतें, अब शिवभक्ति में रम गया है फक्कड़पुरी का मन
Mohd Anees alias Fakkadpuri: मोहम्मद अनीस ने दांपत्य जीवन छोड़ने के साथ मुस्लिम समुदाय का भी परित्याग कर दिया. घर छोड़ने के बाद अनीस लखनऊ-हरदोई रोड पर कछौना कस्बे से बाहर रहने लगे.
UP News: कुरआन की आयतें छोड़ हरदोई के मोहम्मद अनीस का मन शिवभक्ति में रम गया है. शिवभक्त अनीस अब महंत फक्कड़पुरी के रूप में प्रसिद्ध हो चुके हैं. कछौना निवासी अनीस उर्फ फक्कड़पुरी के सीने में कभी कुरान की आयतों की सदायें गूंजती थीं, लेकिन अब उनकी आस्था भगवान शिव पर है. श्री पंचदश जूना अखाडा से दीक्षित, अनीस ने शादी के बाद घर त्याग दिया. शुरुआती दौर में मुस्लिम समाज के साथ सनातनियों का विरोध झेल चुके अनीस झुके नहीं. भगवान शिव की आराधना में लीन हुए अनीस को 43 वर्ष गुजरने का पता नहीं चला.
कुरआन की आयतें छोड़ शिवभक्त हुए मोहम्मद अनीस
जानकारों ने बताया कि अनीस का जन्म, लालन-पालन और निकाह मुस्लिम परिवार में हुआ था. मोहम्मद अनीस के भाई-बहन भी हैं. पिता का नाम मोहम्मद नन्हे बाबा है. बड़े बेटे मोहम्मद अनीस ने दांपत्य जीवन छोड़ने के साथ मुस्लिम समुदाय का भी परित्याग कर दिया. घर छोड़ने के बाद अनीस लखनऊ-हरदोई रोड पर कछौना कस्बे से बाहर रहने लगे.
उन्होंने बरगद पेड़ के नीचे रहने का ठिकाना बनाया. लखनऊ-हरदोई रोड पर शांतिकुंज आश्रम की स्थापना करने के बाद श्री पंचदास नाम जूना अखाड़ा से दीक्षा लेने चले गए. दीक्षा पूरी होने के बाद मोहम्मद अनीस महंत फक्कड़पुरी बन गए. फक्कड़पुरी उर्फ मोहम्मद अनीस ने बताया कि मंदिर से जुड़े हुए 43 साल हो गए. उनकी भगवान शिव में गहरी आस्था शुरू से थी.
नगा बाबा से गुरमंत्र लेने के बाद घर परिवार का परित्याग
सनातनी परंपरा के पैरोकार रहे मोहम्मद अनीस का झुकाव भगवान शिव में बचपन से था. उन्होंने बताया कि महंत यज्ञ कुंड नगा बाबा से गुरमंत्र लेने के बाद घर परिवार छोड़ दिया. मंदिर से जुड़ने के बाद पीछे मुड़कर नहीं देखा. मुस्लिम होने की वजह से बहुत विरोध का सामना करना पड़ा. हिंदू भी शिव की पूजा करने पर नाराज होते थे. वक्त बीतने के साथ धीरे- धीरे सब ठीक हो गया.
मंदिर के लिए मूर्तियां बनाना शुरू कर दिया. अब तक करीब 100 से अधिक मूर्तियां बना डाली हैं. सभी मूर्तियों की नियमित पूजा होती है. सुबह शाम आरती की जाती है. सावन में शिवपुराण का आयोजन होता है. इस बार दो माह सावन होने के कारण भव्य आयोजन हो रहा है. चार बीघे में मंदिर है और मंदिर में सभी भगवानों की मूर्तियां भी स्थापित हैं.
लखनऊ-हरदोई मार्ग पर कोतवाली कछौना क्षेत्र में आश्रम स्थापित करने के बाद शांतिकुंज उन्होंने नामकरण किया. शांतिकुंज आश्रम से आराध्य शिव पार्वती की सेवा में लग गए. स्थानीय लोग बताते हैं कि अनीस उर्फ फक्कड़ बाबा के आश्रम में पहुंचने पर शांति मिलती है. शांतिकुंज आश्रम में खुद की बनायी शिव पार्वती और पांचों पांडव की मूर्तियां स्थापित हैं. जंगल में सनातन महादेव के मंदिर से जुड़े बाबा फक्कड़पुरी उर्फ अनीस शिव आराधना करते हैं.
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