Mahashivatri 2022: हरदोई का ये मंदिर है बेहद मशहूर, दिन में तीन बार बदलता है शिवलिंग का रंग?
Shiv temple: यूपी के हरदोई जिले में संकटहरण सकाहा शिव मंदिर है. इस मंदिर की ये खासियत है कि ये शिवलिंग दिन में तीन बार अपना रंग बदलता है. लोग ये भी मानते हैं कि प्रतिवर्ष इसका आकार भी बढ़ जाता है.
Sankatharan Temple in Hardoi: यूपी के हरदोई जिले में संकट हरण सकाहा शिव मंदिर लोगों की आस्था का केंद्र है. हजारों की संख्या में लोग यहां दर्शन करने आते हैं. इस पौराणिक मंदिर के शिवलिंग की खासियत यह है कि दिन में तीन बार शिवलिंग अपना रंग बदलता है. यही नहीं प्रतिवर्ष इसका आकार भी बढ़ जाता है. इस शिवलिंग के प्राकट्य का आज तक कोई पता नहीं लगा पाया है. कहा जाता है कि इस पौराणिक शिवलिंग की उत्पत्ति सैकड़ों वर्ष पूर्व हुई और यह हजारों वर्ष पुराना है. यह धार्मिक स्थल लोगों की आस्था का केंद्र है. महाशिवरात्रि और सोमवार को यहां पर मेले का आयोजन होता है जिसमें हजारों की संख्या में श्रद्धालु मंदिर में दर्शन कर भगवान शिव से मनोकामना पूर्ति के लिए प्रार्थना करते हैं. श्रद्धालुओं का मानना है कि यहां आकर उनकी मनोकामना पूर्ण होती है.
कहां स्थित है शिव मंदिर?
हरदोई जिले में जिला मुख्यालय से 18 किलोमीटर दूर विकासखंड बावन के सकाहा गांव में ये पौराणिक शिवमंदिर स्थित है. इस प्राचीन मंदिर से जुड़ी तमाम रोचक कहानियां और तथ्य जुड़े हुए हैं. इस प्राचीन और चमत्कारी शिवलिंग की महत्ता को जानकर दूर-दूर से आज भी लोग यहां आते हैं और भगवान शिव की आराधना करते हैं. मान्यता है कि यहां आने वाले लोगों के ऊपर कोई भी संकट क्यों न हो उसे भगवान शिव अवश्य ही हर लेते हैं. साथ ही यहां मौजूद भगवान शिव के सिद्ध शिवलिंग के सामने सच्चे मन से अपनी मुराद मांगने वाले भक्तों की सभी मनोकामनाएं भी पूर्ण हो जाती है.
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मंदिर के पुजारी सूर्य कमल गोस्वामी ने दी ये जानकारी
मंदिर के पुजारी सूर्य कमल गोस्वामी बताते हैं कि 1951 में बेहटागोकुल थाने में तत्कालीन थानाध्यक्ष शिव शंकर लाल वर्मा ने इस चमत्कारी शिवलिंग को बेहटागोकुल थाना परिसर में स्थापित करवाने के लिए यहां की खुदाई करवाई थी. कई दिन तक लगातार खुदाई करने के बाद भी शिवलिंग का कोई छोर नहीं मिला और नीचे से पानी आना शुरू हो गया. तब दारोगा ने खुदाई रुकवाकर पानी जाने के बाद खुदाई शुरू कराने का निर्णय लिया. कहते हैं कि भगवान भोलेनाथ ने दारोगा को सपने में दर्शन देकर उनके शिवलिंग को यथावत रहने दिए जाने का आदेश दिया. तभी उस दरोगा ने यहां बने छोटे से साधारण मंदिर को एक भव्य और विशाल मंदिर में परिवर्तित करवाया.
सेठ लाला लाहौरी मल से जुडी क्या है अफवाह?
इसी तरह एक और कहानी सेठ लाला लाहौरी मल से भी जुड़ी हुई है. अफवाह है कि सेठ लाला लाहौरी मल के बेटे को फांसी की सजा हो गई थी. तब घूमते टहलते इस शिवलिंग के महत्व और महिमा से अनजान सेठ लाहोरी मल ने दुखी मन से अपने बेटे की फांसी की सजा माफ किए जाने की मन्नत मांगी. तभी अगले दिन उसके बेटे को दी जाने वाली फांसी की सजा माफ हो गई. तभी से सेठ ने इस मंदिर में विकास कार्य कराना शुरू किया था. इसी तरह के तमाम तथ्य इस शिवलिंग से जुड़े हुए हैं जो इसकी महत्ता को प्रदर्शित करते हैं. पौराणिक संकट हरण सकाहा शिव मंदिर में मौजूद इस विशाल शिवलिंग के इतिहास से आज भी लोग अनजान हैं. यहां तमाम खोजकर्ता आए और गए लेकिन कोई भी इस शिवलिंग के इतिहास की जानकारी नहीं जुटा सका. यहां के लोगों का कहना है कि उनके दादा और परदादा के समय में भी ये शिवलिंग यहां यथावत मौजूद था. ये शिवलिंग एक स्वयं भू शिवलिंग है जिसका प्राकट्य स्वयं ही हुआ था. लोगों का मानना है कि इसमें स्वयं भगवान शिव का वास है.
शिवलिंग दिन में तीन बार बदलता है अपना रंग
इस प्राचीन शिवलिंग से तमाम चौंकाने वाले रोचक तथ्य भी जुड़े हुए हैं. सुबह के समय इस शिवलिंग का रंग भूरा होता है तो दोपहर और शाम के बीच इसका रंग काला हो जाता है. वहीं रात्रि में इसका रंग सुनहरा हो जाता है. इतना ही नहीं ये शिवलिंग पूर्व में छोटे आकार का था जो आज बेहद विशाल हो गया है. कहते हैं कि समय दर समय इस शिवलिंग के आकार में वृद्धि हो रही है. यहां के पुजारी और कुछ अन्य लोगों ने इस मंदिर के इतिहास की जानकारी दी और इसकी महत्ता का गुणगान किया. यहां प्रत्येक सोमवार महाशिवरात्रि और सावन के महीने में हजारों की संख्या में भक्तों का तांता देखने को मिलता है. यहां भक्तों और श्रद्धालुओं की भीड़ को संभालने के लिए यहां भारी संख्या में पुलिसकर्मियों की तैनाती भी की जाती है. इस शिवलिंग को संकट हरण के नाम से भी जाना जाता है क्योंकि यहां के भगवान शिव सभी के संकटों को हर लेते हैं और मनोकामनाओं को पूर्ण करते हैं.
कई राजनेता अपनी जीत की मनोकामना लेकर यहां आते हैं
इस मंदिर की आस्था जिले में ही नहीं देश के अन्य भागों में भी फैली हुई है. कई राजनेता अपनी जीत की मनोकामना लेकर यहां आते हैं और पूजन अर्चन करते हैं. पूर्व मंत्री रघुराज प्रताप सिंह राजा भैया, नरेश अग्रवाल जैसे दिग्गजों के द्वारा भी मनोकामना पूर्ण होने पर मंदिर के जीर्णोद्धार के लिए सहयोग राशि के पत्थर लगे हैं. इसके अलावा जनपद के तमाम विधायक और सांसद भी यहां पूजा अर्चना करने पहुंचते हैं और इच्छा पूर्ति के लिए मनोकामना करते हैं.
ये संकट हरण सकाहा महादेव का मंदिर 70 से 80 साल पुराना है. यहां पर जो भी श्रद्धालु अपनी मनोकामनाओं को लेकर आते हैं उनकी सभी मनोकामनाएं पूर्ण होती है. सभी भक्तों का यहां से कल्याण होता है. बाबा की सुन्दर दया सभी भक्तों पर हमेशा बनी रहती है.
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