Swami Avimukteshwaranand Saraswati: उत्तराखंड के चार धाम गंगोत्री, यमुनोत्री, और बद्रीनाथ की यात्रा अगले छह महीने तक शीतकाल के लिए बंद कर दी गई. इस दौरान कोई भी श्रद्धालु इन जगहों पर पूजा-पाठ करने के लिए नहीं पहुंच सकता है. चारधाम यात्रा को लेकर ज्योतिष्पीठ के शंकराचार्य स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद सरस्वती ने एक नई परंपरा की शुरुआत की है जिससे उत्तराखंड में धार्मिक आस्था के साथ ही लोगों के व्यापार में भी वृद्धि हो सके.  


शंकराचार्य स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद सरस्वती शीतकालीन चार धाम यात्रा बंद होने के बाद आज गंगा पूजन कर पुनः चार धाम यात्रा के लिए रवाना हुए. इनका उद्देश्य है कि भगवान 12 महीने अपने निवास पर वास करते हैं शीतकालीन में भी यात्रा सुचारू रूप से चले यह संदेश श्रद्धालुओं को देने के लिए इनके द्वारा इस यात्रा की शुरुआत की गई है.


6 महीनों के लिए बंद है चारधाम यात्रा
शंकराचार्य अविमुक्तेश्वरानंद सरस्वती का कहना है कि चार धाम यात्रा सबसे उत्तम मानी गई है.देश और विदेश से लाखों की संख्या में श्रद्धालु चार धाम यात्रा पर आते हैं. लेकिन ये यात्रा लोगों के लिए सिर्फ छह महीने ही चलती है. जबकि बाकी के 6 महीने ये यात्रा बंद रहती है. जिसकी वजह से भक्त केवल छह महीने तक ही यात्रा कर सकते हैं. 


'उत्तराखंड की सुधरेगी आर्थिक स्थिति'
शंकराचार्य अविमुक्तेश्वरानंद सरस्वती का कहना है कि भगवान हर वक्त वहां विराजमान रहते हैं, बस शीतकालीन बर्फबारी होने के कारण भगवान की पूजा अन्य स्थान पर होती है. अगर उस स्थान पर भी श्रद्धालु जाकर यात्रा करें तो उनको पुण्य का फल प्राप्त होता है. इस यात्रा के माध्यम से हम श्रद्धालुओं में संदेश देना चाहते कि भगवान यहां हमेशा विराजमान है चाहे शीतकाल हो या ग्रीष्मकल शंकराचार्य अविमुक्तेश्वरानंद सरस्वती का कहना है कि उत्तराखंड में चार धाम यात्रा धार्मिक दृष्टि के साथ ही आर्थिक स्थिति भी उत्तराखंड की मजबूत करती है.


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