Haridwar News: पाकिस्तान के पूर्व चीफ जस्टिस ने स्वर्ण जयंती महोत्सव में लिया हिस्सा, गीता को लेकर कही ये बड़ी बात
पाकिस्तान (Pakistan) सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) के रिटायर्ड चीफ जस्टिस खलीलुर्रहमान रम्दे ने गुरुवार को हरिद्वार (Haridwar) में एक स्वर्ण जयंती महोत्सव में हिस्सा लिया.
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Uttarakhand News: धर्म के नाम पर जहां एक तरफ भारत में उग्र विरोध प्रदर्शन किए जा रहे हैं तो वहीं धर्म नगरी हरिद्वार (Haridwar) में एक अनोखी तस्वीर देखने को मिली. हरिद्वार में कलखल स्थित श्री हरेराम आश्रम (Hare Ram Ashram) में स्वर्ण जयंती महोत्सव (Golden Jubilee Festival) आयोजित किया गया. महोत्सव में पाकिस्तान (Pakistan) सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) के रिटायर्ड चीफ जस्टिस खलीलुर्रहमान रम्दे शामिल हुए.
जहां उन्होंने उर्दू काव्य दिल की गीता के हिंदी संस्करण का विमोचन किया, साथ ही उन्होंने इंसानियत का पैगाम देते हुए कहा कि सभी धर्म एक हैं. कोई धर्म नहीं सिखाता आपस में बैर रखना, धर्म का अर्थ है लोगों को जोड़ना ना कि उन्हें तोड़ना.
क्या बोले पूर्व चीफ जस्टिस?
खलीलुर्रहमान रम्दे का कहना है कि भगवत गीता हिंदू धर्म की धार्मिक किताब है. मगर इसका अनुवाद एक मुसलमान ने उर्दू में किया और वह भी शायरी में दिल मोहम्मद कोई आम इंसान नहीं थे. वह कई महत्वपूर्ण पदों पर रहे हैं. 90 साल पहले इन्होंने भगवत गीता का उर्दू में अनुवाद किया और नाम रखा 'दिल की किताब'. इनका कहना है कि हिंदी और संस्कृत में लिखी गई भागवत गीता का एक मुसलमान ने उर्दू में अनुवाद किया.
इसको लेकर ब्रिटिश गवर्नमेंट ने उनको सम्मानित किया. इस किताब का अनुवाद करने में उस वक्त एक हजार रुपए लगे थे. यह राशि उस वक्त बहुत थी इसलिए हमें एक बात याद रखनी चाहिए कि धर्म सबको एक करता है. धर्म का इस्तेमाल हमें लोगों को एक करने के लिए करना चाहिए, ना कि तोड़ने के लिए.
उग्र विरोध प्रदर्शन
धर्म के नाम पर जिस तरह से इस वक्त भारत में उग्र विरोध प्रदर्शन किए जा रहे हैं. वह कहीं ना कहीं कट्टरपंथी सोच को उजागर कर रहे हैं. धर्म नगरी हरिद्वार में आयोजित स्वर्ण जयंती महोत्सव में उन कट्टरपंथियों को एक संदेश दिया गया है कि धर्म नहीं सिखाता आपस में बैर रखना धर्म के नाम पर लोगों को एकजुट किया जाता है.
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