हरिद्वार: कुंभ करीब है तो कुंभ नगरी हरिद्वार को भी खूबसूरत बनाया जा रहा है. गंगा पर बने पुलों और मंदिरों को भगवा और पीले रंग में रंगा जा रहा है. ताकि यहां आने वाले श्रद्धालुओं को आध्यात्मिक एहसास हो सके. खासकर हर की पौड़ी पर तमाम पुलों, मंदिरों के साथ पुरोहितों के बैठने की गद्दी और छत्रियां भी इन्हीं रंगों में नजर आएंगी.
कुंभ के दौरान हरिद्वार खूबसूरत नजर आए और हरिद्वार में आध्यात्मिक एहसास हो सके इसके लिए धर्म नगरी को अलग-अलग तरह से सजाया जा रहा है. कहीं पेंटिंग्स बनाई जा रही हैं तो कहीं दीवारों पर भारतीय और उत्तराखंड की संस्कृति को उकेरा जा रहा है. लेकिन इनके साथ अब हरिद्वार के तमाम पुल, मंदिर एक ही रंग में नजर आएंगे. खासकर हर की पौड़ी को पीले और भगवा रंग में सजाया गया है. इसके साथ ही अब हर की पौड़ी पर भी तमाम पुरोहितों और पंडितों को एक ड्रेस कोड दिया जाएगा.
इतना ही नहीं हर की पौड़ी पर पुरोहितों की गद्दिओं और छतरियां भी पीले और भगवा कलर की होंगी. जिसकी तैयारियां जोरों पर चल रही है. गंगा सभा के महामंत्री तन्मय वशिष्ठ ने कहा कि भगवा कलर आध्यात्मिक एहसास देता है और पीला रंग मां सरस्वती का माना जाता है इसलिए खासकर हर की पौड़ी को इन्हीं रंगों से खूबसूरत बनाया जा रहा है.
कुंभ नगरी को सजाने में लंबे समय से जुटा है प्रशासन
वहीं मेला प्रशासन भी कुंभ नगरी को सजाने में लंबे समय से जुटा हुआ है और प्रमुख स्थानों पर कलरिंग की जा रही है. ताकि कुंभ के दौरान हरिद्वार सुंदर नजर आए. उप मेला अधिकारी अंशुल सिंह ने बताया कि हरिद्वार के नाम से ही आध्यात्मिक एहसास होता है. इसलिए पीले और भगवा कलर को तय किया गया था. अब तमाम स्थानीय होटल वालों ने भी इन रंगों को चुना है.
हरिद्वार कुंभ नगरी होने के साथ-साथ आध्यात्मिक नगरी भी है. यहां लाखों की संख्या में साधु-सन्यासी रहते हैं जिनकी वेशभूषा भगवा और पीले रंग की ही होती है. कुंभ में आने वाले तमाम सन्यासी भी इन्हीं रंगों के कपड़े पहनकर आते हैं. इसलिए हरिद्वार को भी इन दो रंगों से सजाया जा रहा है ताकि हरिद्वार में आने वाले हर श्रद्धालुओं को आध्यात्मिक एहसास हो सके.
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