हरिद्वार: हरिद्वार में कुंभ के दौरान आने वाले साधु-संतों को भी कोरोना की निगेटिव रिपोर्ट लानी होगी. कुंभ के नोटिफिकेशन के बाद यह प्रक्रिया लागू हो जाएगी. हालांकि अखाड़ा की पेशवाई के लिए तमाम साधु-संत हरिद्वार पहुंचने शुरू हो गए हैं. फिलहाल सभी संत बिना किसी रजिस्ट्रेशन और कोरोना की निगेटिव रिपोर्ट के आ रहे है. ऐसे में कई राज्यों में कोरोना के बढ़ते मामलों के बाद प्रशासन के सामने चुनौती हो गई है और साधु संत इससे नाराज हैं.


कुंभ की शुरुआत अभी नहीं हुई है, लेकिन साधु-संतों के हरिद्वार आने से कुंभ जैसा माहौल दिखने लगा है. हरिद्वार अब पूरी तरह से भगवा रंग में नजर में आने लगा है. लेकिन कोरोना के साए में हो रहे इस महाकुंभ ने संतों की भी टेंशन बढ़ा दी है. क्योंकि कुंभ के नोटिफिकेशन होने के बाद हरिद्वार आने वाले सभी संतो को कोरोना की निगेटिव रिपोर्ट लानी होगी. हालांकि इस बात से साधु-संत नाराज हैं लेकिन केंद्र और राज्य सरकार की एसओपी में यह सभी कड़े नियम रखे गए हैं. जिलाधिकारी सी रविशंकर का साफ कहना है कि जब कुंभ मेले का नोटिफिकेशन जारी हो जाएगा तो कुंभ में आने वाले हर एक श्रद्धालु को कोरोना की निगेटिव रिपोर्ट लानी ही होगी. उसमें चाहे संत हों या फिर आम श्रद्धालु.


संतों में नाराजगी और बढ़ गई है


केंद्र और राज्य सरकार द्वारा जारी की गई एसओपी से साधु संत पहले से ही नाराज हैं. लेकिन अब कुंभ के दौरान करोना की निगेटिव रिपोर्ट लाने की बाध्यता से साधु-संतों में और नाराजगी बढ़ गई है. अखाड़ा परिषद के अध्यक्ष नरेंद्र गिरी महाराज का साफ कहना है कि किसान आंदोलन हो या फिर चुनाव हो, वहां कोरोना नहीं हो रहा है. लेकिन हरिद्वार कुंभ का जिक्र आते ही कोरोना शुरू हो जाता है. ऐसे में सरकार को पहले ही यह तय करना चाहिए था कि कुंभ होगा या नहीं. या फिर साधु-संतों को भरोसे में लेकर निर्णय लेना चाहिए.


बता दें कि कुंभ की रौनक साधु-संतों से ही होती है और इस बार साधु-संतों के लिए ना तो टेंट की व्यवस्था पूरी तरह हो पाई है और ना ही कोई बड़ा धार्मिक आयोजन होगा. अब कुंभ के दौरान संतों को भी कोरोना की निगेटिव रिपोर्ट लाने की बाध्यता से संतों में नाराजगी और बढ़ गई है.


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