प्रयागराज: हरिद्वार में कुछ दिनों बाद शुरू हो रहे कुंभ मेले को लेकर उत्तराखंड के सरकारी अमले ने पोर्टल पर रजिस्ट्रेशन और तीन दिनों की नेगेटिव आरटीपीसीआर रिपोर्ट लाए जाने का जो फरमान जारी किया है, उस पर प्रयागराज के माघ मेले में मौजूद संत-महात्माओं ने मिली-जुली प्रतिक्रिया जताई है. कुछेक संत जहां इस फैसले का समर्थन करते हुए इस पर अमल किये जाने की बात कह रहे हैं, तो वहीं कुछ लोग इसे गैर ज़रूरी बताते हुए इस पर सवाल खड़े कर रहे हैं. बहरहाल इस निर्देश की सूचना मिलने के बाद माघ मेले में मौजूद तमाम संतों और धर्माचार्यों ने अपनी तैयारियां शुरू कर दी है.
कुंभ मेले के ज़िम्मेदार अफसर कोर्ट के आदेश की दुहाई देकर संतों को व्यक्तिगत तौर पर फोन पर बातचीत करते हुए उनसे सभी प्रक्रियाएं जल्द से जल्द पूरी करने की अपील कर रहे हैं. प्रयागराज में इन दिनों माघ मेला लगा हुआ है. देश के तमाम संत महात्मा आस्था के इसी मेले में धूनी रमाए हुए हैं. यहां मौजूद संतों के पास पिछले दो दिनों से हरिद्वार कुंभ के आयोजन से जुड़े ज़िम्मेदार लोगों के फोन आ रहे हैं. इसके साथ ही इन्हे व्हाट्स एप्प और ई मेल पर एक फ़ार्म भी भेजा जा रहा है. इसी फ़ार्म के प्रारूप में सभी संत महात्माओं व उनके सहायकों और भक्तों को रजिस्ट्रेशन कराना ज़रूरी होगा. इसके साथ ही सभी को अपनी पहचान साबित करने की कोई आईडी भी देनी होगी. हरिद्वार पहुंचने पर तीन दिनों के अंदर की आरटीपीसीआर की नेगेटिव रिपोर्ट भी देनी होगी.
संतों की आ रही है मिली जुली प्रतिक्रिया
चित्रकूट से आए बिनेका बाबा ने इस फैसले को वक़्त की ज़रूरत बताते हुए अपने यहां से 135 लोगों की सूची भी तैयार कर ली है. उनका कहना है कि महामारी के इस मुश्किल वक़्त में यह बेहद ज़रूरी है. दूसरी तरफ धर्माचार्य स्वामी अधोक्षजानंद देवतीर्थ ने इसे गैर ज़रूरी करार दिया है और फैसले पर सवाल उठाए हैं. उनका कहना है कि उत्तराखंड सरकार अभी तक संतों को ज़मीन व दूसरी सुविधाएं मुहैया नहीं करा पाई है. असल मुद्दे से ध्यान भटकाने के लिए इस तरह के अनर्गल और गैर ज़रूरी कदम उठाए जा रहे हैं.
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