हरिद्वार: 11 मार्च को हरिद्वार में पहला बड़ा शाही स्नान होने जा रहा है. शाही स्नान को लेकर जिला प्रशासन और मेला प्रशासन तैयारियों में जुटा हुआ है. कुंभ का ये पहला शाही स्नान होगा जिसमें लाखों की संख्या में श्रद्धालु स्नान करने आएंगे. शाही स्नान पर सबसे महत्वपूर्ण पहलू अखाड़ों के संत होते हैं क्योंकि अखाड़ों के स्नान की टाइमिंग लगभग एक जैसी ही होती है. इसको लेकर प्रबंधन करना पुलिस के लिए सबसे बड़ी चुनौती होती है.
तय की गई समय की अवधि
मेला पुलिस ने सभी अखाड़ों के स्नान के लिए समय की अवधि तय कर दी है, ताकि स्नान के दौरान किसी भी तरह की दिक्कत ना आए. एसएसपी मेला जन्मेजय खंडूरी ने बताया कि शाही स्नान कुंभ के दौरान सबसे महत्वपूर्ण होते हैं. इसलिए, अखाड़ों के साथ मिलकर सभी अखाड़ों के स्नान की टाइमिंग तय की जाती है. उसी टाइमिंग पर सभी अखाड़े अपने-अपने अनुसार स्नान करते हैं.
अखाड़े भी पूरी तरह से तैयार हैं
निरंजनी अखाड़े के सचिव राम रतन गिरी का कहना है कि 11 मार्च को पहला शाही स्नान है और इसके लिए अखाड़े भी पूरी तरह से तैयार हैं. इस बार सबसे पहले जूना अखाड़ा शाही स्नान करेगा जो आपसी रजामंदी के आधार पर तय किया गया है. वहीं, उन्होंने कहा कि हर अखाड़े के स्नान का वक्त निश्चित होता है इसलिए सभी को वक्त पर पहुंचना जरूरी होता है.
श्रद्धालुओं से कोरोना की निगेटिव रिपोर्ट लाने की अपील
वहीं, दूसरी ओर कोरोना के साए में हो रहे कांवड़ मेले से जिला प्रशासन और मेला प्रशासन की भी चिंता बढ़ी हुई है. हालांकि, जिला प्रशासन ने पहले ही श्रद्धालुओं से कोरोना की निगेटिव रिपोर्ट लाने की अपील की थी. उत्तराखंड के बॉर्डर पर आने वाले कांवड़ यात्रियों की लगातार चेकिंग की जा रही है. यही वजह है कि हर साल की अपेक्षा इस बार कांवड़ यात्रियों की संख्या में भी कमी आई है.
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