Haridwar Kumbh Mela 2021: 30 दिनों का होगा महाकुंभ, संतों ने जताई नाराजगी
उत्तराखंड सरकार ने स्पष्ट कर दिया है कि हरिद्वार महाकुंभ मात्र 30 दिनों का होगा. सरकार के इस फैसले का संत समाज विरोध कर रहा है. संतों ने कहा कि उत्तराखंड शासन और मेला प्रशासन कुंभ को कैसे सीमित कर सकता है, ये हिंदुओं की आस्था से जुड़ा हुआ है.
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हरिद्वार: कुंभ मेले को लेकर केंद्र सरकार और राज्य सरकार की तरफ से एसओपी जारी की गई थी. मगर अभी राज्य सरकार ने कुंभ मेले का नोटिफिकेशन जारी नहीं किया है. कुंभ मेले की अवधि को लेकर लगातार कयास लगाए जा रहे थे कि कुंभ कितने वक्त का होगा. उत्तराखंड सरकार ने अब स्पष्ट कर दिया है कि महाकुंभ मात्र 30 दिनों का होगा. यानी एक अप्रैल से 30 अप्रैल के बीच महाकुंभ का आयोजन किया जाएगा. इस फैसले का संत समाज विरोध कर रहा है. संतों ने कहा कि सरकार की इच्छाशक्ति ही नहीं है, कुंभ मेला कराने की. उत्तराखंड शासन और मेला प्रशासन कुंभ को कैसे सीमित कर सकता है, ये हिंदुओं की आस्था से जुड़ा हुआ है.
अतिरिक्त ट्रेनें और बसें नहीं चलाई जाएंगी उत्तराखंड शासन की तरफ से कुंभ मेले को लेकर अभी तक नोटिफिकेशन जारी नहीं किया गया है. मगर अब सरकार कुंभ को सीमित करने जा रही है. कुंभ अब एक महीने का किया जाएगा इसको लेकर मुख्य सचिव ने भी बयान भी जारी किया है. उन्होंने साफ कहा कि कुंभ मेले में अतिरिक्त ट्रेनें और बसें नहीं चलाई जाएंगी.
संतों में आक्रोश सीमित कुंभ को लेकर संतों में आक्रोश देखने को मिल रहा है. अखाड़ा परिषद के उपाध्यक्ष देवेंद्र सिंह शास्त्री का कहना है कि जब ट्रेनें ही नहीं चलाएंगे तो हरिद्वार श्रद्धालु कैसे आ पाएंगे. प्रयागराज में वहां की सरकार ने स्पेशल ट्रेनें और बसें चलाई हैं क्या वहां कोरोना नहीं है. वहां भव्य तरीके से माघ मेला मनाया जा रहा है और ये तो कुंभ से भी बड़ा मेला है. कुंभ मेले की तिथियां सरकार की तरफ से घोषित की गईं थीं, उसको अब सीमित कैसे किया जाएगा.
कोरोना गाइडलाइन्स का पालन किया जा रहा है महानिर्वाणी अखाड़े के सचिव रविंद्र पुरी का कहना है कि कोरोना महामारी के प्रकोप से शासन भयभीत है मगर संत अपनी परंपरा के अनुसार ही कुंभ मेले को मनाएंगे. कोरोना की गाइडलाइन्स का पालन सख्ती से किया जा रहा है, इसकी इतनी आवश्यकता नहीं है क्योंकि भारत में कई राज्यों में बड़ी-बड़ी जनसभाएं की जा रही हैं. आंदोलन हो रहे हैं. वृंदावन में मिनी कुंभ और प्रयागराज में माघ मेला किया जा रहा है. हरिद्वार में पहली बार कुंभ नहीं हो रहा है शासन को धार्मिक भावना के अनुसार कार्य करना चाहिए.
समाज में अच्छा संदेश नहीं जाएगा वहीं, अग्नि अखाड़े के सचिव महंत साधनानंद का कहना है कि प्रशासन अपने तरीके से कुंभ तिथि की घोषणा करता है, मगर पर्व हर्षोल्लास से मनाया जाता है. हम आज से ही कुंभ मेला मना रहे हैं. ये कुंभ मेला कोई कलंक ना बने. कुंभ मेले में आने वाले श्रद्धालुओं के दुख न हो इसको लेकर कार्य करना चाहिए. जब देश गुलाम था, मुस्लिम शासन और अंग्रेजों के शासन में भी इस तरह पीड़ित नहीं किया गया. इस तरह से कुठाराघात करने से समाज में अच्छा संदेश नहीं जाएगा.
स्पेशल ट्रेनों पर पाबंदी नहीं लगनी चाहिए पंचायती निर्मल अखाड़े के कोठारी जसविंदर सिंह का कहना है कि स्पेशल ट्रेनों पर पाबंदी नहीं लगनी चाहिए. हरिद्वार कुंभ में श्रद्धालु कैसे आ पाएंगे. क्योंकि, सभी श्रद्धालुओं के पास अपने साधन नहीं होते हैं. पूरे देश से हरिद्वार में ट्रेनें आनी चाहिए. कुंभ मेले को समय सीमा में नहीं बांधा जा सकता है. हरिद्वार आने वाले श्रद्धालुओं की भावना का ख्याल रखा जाना चाहिए.
सरकार मन से कुंभ कराने की इच्छुक नहीं भारत साधु समाज के प्रवक्ता रविंद्रानंद सरस्वती का कहना है कि सनातन धर्म को मानने वाली सरकार केंद्र और राज्य में है और ये चाहे तो सभी नियमों का पालन कराते हुए भव्य कुंभ का आयोजन कर सकते हैं. लेकिन, इसके लिए इच्छा शक्ति होनी जरूरी है और इन आदेशों को देखकर लगता है कि सरकार मन से कुंभ कराने की इच्छुक नहीं है.
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