Trivendra Singh Rawat in Lok Sabha: हरिद्वार के सांसद और पूर्व मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने एक बार फिर पर्यावरण और किसानों के हितों की पैरवी करते हुए गंगा समेत अन्य नदियों में हो रहे अवैध खनन का मुद्दा लोकसभा में उठाया. उन्होंने अवैज्ञानिक खनन पर गहरी चिंता व्यक्त करते हुए कहा कि माफिया नदियों को अंधाधुंध खोद रहे हैं, जिससे जलस्त्रोत और किसानों की आजीविका दोनों प्रभावित हो रहे हैं. सांसद ने सरकार से अवैध खनन पर सख्ती से रोक लगाने और प्रभावित क्षेत्रों में सुधारात्मक कार्रवाई की मांग की.


त्रिवेंद्र सिंह रावत, जो अक्सर अपने स्पष्ट विचारों और मुद्दों पर खुलकर बोलने के लिए जाने जाते हैं, उन्होंने इस बार संसद में किसानों और पर्यावरण से जुड़े इस महत्वपूर्ण मुद्दे को उठाया. उन्होंने कहा कि हरिद्वार जैसे धार्मिक और कृषि प्रधान क्षेत्र में गंगा के तल को अवैज्ञानिक तरीकों से खोदे जाने से न केवल किसानों को नुकसान हो रहा है, बल्कि यह गंगा की पवित्रता पर भी आघात है.


बीते साल भारी बारिश से 60 प्रतिशत गन्ने की फसल बर्बाद- त्रिवेंद्र सिंह रावत
उन्होंने विशेष रूप से हरिद्वार जिले का उल्लेख करते हुए कहा कि यहां की गन्ना फसल को भारी नुकसान हुआ है. पिछले साल की भारी बारिश के दौरान जिले में गन्ने की 60 प्रतिशत फसल बर्बाद हो गई, जिससे चीनी मिलों को पर्याप्त गन्ना नहीं मिल सका. उन्होंने गंगा और सोनाली नदी के तटीय क्षेत्रों को संरक्षित करने के लिए स्थायी समाधान की मांग की.


गंगा संरक्षण के लिए ठोस कदम उठाए सरकार
त्रिवेंद्र सिंह रावत का यह कदम न केवल राजनीतिक रूप से प्रासंगिक है, बल्कि मातृसदन जैसे संगठनों को भी बल देता है, जो गंगा में हो रहे अवैध खनन के खिलाफ लंबे समय से संघर्ष कर रहे हैं. वर्तमान में मातृसदन के एक साधक पिछले चार दिनों से अनशन पर हैं. उनके परमाध्यक्ष स्वामी शिवानंद ने आरोप लगाया है कि माननीय न्यायालय के निर्देशों के बावजूद गंगा में रिवर ड्रेजिंग के नाम पर अवैध खनन जारी है. रावत ने इस मुद्दे पर मातृसदन के विरोध को न्यायसंगत बताते हुए सरकार से गंगा संरक्षण के लिए ठोस कदम उठाने की अपील की. उनके इस रुख को राजनीतिक तौर पर भी गंगा किनारे बसे किसानों और पर्यावरण प्रेमियों के बीच सराहना मिल रही है.


क्षेत्र में आपदाओं से अर्थव्यवस्था पर नकारात्मक प्रभाव
त्रिवेंद्र सिंह रावत ने संसद में आपदा प्रबंधन संशोधन बिल पर चर्चा के दौरान हरिद्वार जिले में आपदाओं से होने वाले नुकसान को रेखांकित किया. उन्होंने कहा कि हर साल प्राकृतिक आपदाओं के चलते किसानों और क्षेत्रीय अर्थव्यवस्था को भारी नुकसान उठाना पड़ता है. उन्होंने मांग की कि गंगा और अन्य नदियों के तटीय सुरक्षा बंधों का निर्माण प्राथमिकता के आधार पर किया जाए. त्रिवेंद्र सिंह रावत का यह कदम एक बार फिर यह साबित करता है कि वह जमीनी मुद्दों को उठाने में हिचकिचाते नहीं हैं. चाहे वह राज्य के भीतर किसानों की समस्याओं का मुद्दा हो, गंगा संरक्षण हो या अवैध खनन के खिलाफ आवाज उठाना, रावत अपनी राजनीतिक स्पष्टता और दृढ़ता के लिए जाने जाते हैं.


उनकी इस पहल से एक मजबूत राजनीतिक संदेश भी जाता है कि भाजपा के भीतर पर्यावरण और किसानों के मुद्दे प्राथमिकता में हैं. यह आगामी चुनावों में हरिद्वार और अन्य प्रभावित क्षेत्रों में भाजपा के पक्ष में सकारात्मक प्रभाव डाल सकता है. गंगा में अवैध खनन का मुद्दा केवल पर्यावरण का नहीं, बल्कि सामाजिक, आर्थिक और धार्मिक महत्व का भी है. त्रिवेंद्र सिंह रावत द्वारा संसद में इसे जोरदार ढंग से उठाना उनके नेतृत्व और जमीनी जुड़ाव का एक और उदाहरण है.


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