Haridwar News: लिव इन रिलेशनशिप (Live-in-Relationship) एक ऐसी व्यवस्था है, जिसमें दो लोग जिनका विवाह नहीं हुआ है वो साथ रहते हैं और एक पति-पत्नी की तरह आपस में संबंध रखते हैं. कई बार लम्बे समय तक संबंध बने रहते है और कुछ में संबंध जल्द ही खत्म हो जाते हैं. इस प्रकार के संबंध विशेष रूप से पश्चिमी देशों में बहुत आम है. भारत की सुप्रीम कोर्ट ने लिव इन रिलेशनशिप के समर्थन में एक निर्णय सुनाते हुए कहा था कि यदि दो लोग लंबे समय से एक दूसरे के साथ रह रहे हैं तो उन्हें शादीशुदा ही माना जाएगा. 


हरिद्वार (Haridwar) में संत समाज लिव इन रिलेशनशिप के खिलाफ है और भारत सरकार से मांग कर रहा है कि इस मामले में कठोर कानून बनाया जाए, जिससे आज महिलाओं के साथ हो रही घटनाएं रुक सकें. अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद के अध्यक्ष महंत रविंद्रपुरी का कहना है कि सुप्रीम कोर्ट द्वारा लिव इन रिलेशनशिप में रहने को लेकर एक आदेश दिया गया था, मगर यह आदेश भारतीय संस्कृति और सभ्यता के खिलाफ है. इस पर पूर्णविचार होना चाहिए, आज के वक्त में पश्चिमी देश भी इससे परेशान हैं. 


महंत रविंद्रपुरी ने आगे कहा कि भारत में हमारी संस्कृति के अनुसार ही विवाह होने चाहिए आज भारत में देखने को मिल रहा है कि अलग-अलग धर्म से जुड़े लोग लिव इन रिलेशनशिप में रहते हैं और उसके बाद कई महिलाओं की हत्या हो चुकी है. राज्य और भारत सरकार को इस मामले में विचार विमर्श करके सख्त कानून बनाना चाहिए. इसके साथ ही माता-पिता भी अपने बच्चों को शिक्षा के साथ संस्कार दें, जिससे आज महिलाओं के साथ हो रही घटनाओं को रोका जा सके.


'कठोर शब्दों में करता हूं निंदा'
निरंजनी अखाड़े के आचार्य महामंडलेश्वर कैलाशानंद गिरि ने कहा, ''मैं कठोर शब्दों में लिव इन रिलेशनशिप की निंदा करता हूं विवाह हमारी भारतीय परंपरा के अनुसार होना चाहिए सनातन धर्म की बेटियां किसी के बहकावे में ना आए भारत सरकार से हम मांग करते हैं इस मामले में कठोर से कठोर कानून लाकर लिव इन रिलेशनशिप को समाप्त किया जाए. जिस परंपरा के अनुसार विवाह होता था उसी परंपरा के अनुसार विवाह किया जाए. इससे आज जो महिलाओं के साथ घटनाएं हो रही है, वह नहीं होगी. जब तक लोग दंड और न्याय परंपरा से नहीं डरेंगे, तब तक महिलाओं के साथ हो रहा घिनौना अपराध बंद होने वाला नहीं है.''


निरंजनी अखाड़ा के महामंडलेश्वर ललितानंद गिरि का कहना है कि लिव इन रिलेशनशिप में रहना सनातन परंपरा के खिलाफ है. परिवार के लोगों को आगे आकर इस तरह बच्चों के रहने पर उनको समझाना चाहिए. इनका कहना है कि यह पश्चिमी सभ्यता है. आज इसे भारत में भी बच्चे अपना रहे हैं. मगर यह हमारी सनातन परंपरा में नहीं है. सरकार को इसमें कानून बनाना चाहिए.


'पीएम मोदी इस तरफ ध्यान दें'
युवा भारत साधु समाज के अध्यक्ष शिवानंद का कहना है कि आज देश में महिलाओं के साथ जिस तरह की घटनाएं हो रही है. यह बहुत ही निंदनीय है, कोई भी समाज इस तरह की भावना उत्पन्न करना नहीं चाहता. मगर कुछ लोगों द्वारा ऐसी घटनाएं की जा रही है. उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी द्वारा धर्मांतरण को लेकर जिस तरह का कानून बनाया गया है. ऐसा ही कानून पूरे देश में लागू होगा, तो देश में हो रही महिलाओं की हत्या-लव जेहाद की घटनाएं कम हो जाएगी. देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भी इस तरफ विशेष ध्यान दें. उनका कहना है कि सरकार तो इस पर काम कर रही है मगर परिवार और बच्चों को भी सतर्क रहना चाहिए.


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