हरिद्वार में मौनी अमावस्या के मौके पर श्रद्धालुओं ने लगाई आस्था की डुबकी, घाटों पर उमड़ी भीड़
मौनी अमवस्या पर धर्मनगरी हरिद्वार में हजारों श्रद्धालुओं ने गंगा स्नान कर पुण्य लाभ अर्जित किया. मौनी अमावस्या के दिन गंगा स्नान, दान और पितरों का तर्पण करने से विशेष पुण्य फल प्राप्त होता है.

Haridwar News: धर्मनगरी हरिद्वार में मौनी अमावस्या के पावन अवसर पर हजारों श्रद्धालुओं ने गंगा स्नान कर पुण्य लाभ अर्जित किया. सुबह से ही हर की पौड़ी सहित अन्य गंगा घाटों पर आस्था का जनसैलाब उमड़ पड़ा. स्नान के साथ ही श्रद्धालुओं ने दान-पुण्य कर सुख-समृद्धि की कामना की. मान्यता है कि मौनी अमावस्या के दिन गंगा स्नान, दान और पितरों का तर्पण करने से विशेष पुण्य फल प्राप्त होता है.
श्रद्धालु देर रात से ही हरिद्वार पहुंचने लगे थे, ताकि ब्रह्म मुहूर्त में गंगा स्नान कर सकें. सुबह होते-होते हर की पौड़ी, सुभाष घाट, सप्तऋषि घाट, प्रेमनगर घाट और अन्य स्थानों पर बड़ी संख्या में भक्त एकत्रित हो गए. गंगा जल में डुबकी लगाने के बाद श्रद्धालुओं ने तिल, चावल, वस्त्र और अन्य सामग्रियों का दान कर अपने पितरों को तर्पण किया.
ज्योतिषाचार्या ने बताया मौनी अमवस्या का महत्व
ज्योतिषाचार्य पंडित मनोज त्रिपाठी के अनुसार, माघ मास के कृष्ण पक्ष की अमावस्या को मौनी अमावस्या कहते हैं. इस दिन मौन रहकर गंगा स्नान करने और दान-पुण्य करने से कई गुना फल प्राप्त होता है. शास्त्रों में इस दिन को विशेष रूप से पुण्यकारी बताया गया है. कहा जाता है कि इस दिन पवित्र नदियों में स्नान करने से पापों का नाश होता है और मोक्ष की प्राप्ति होती है.
मौनी अमावस्या का संबंध ध्यान और तपस्या से भी जुड़ा है. इस दिन मौन धारण कर जप-तप करने से मानसिक शुद्धि होती है और आध्यात्मिक उन्नति प्राप्त होती है. विशेष रूप से प्रयागराज में कुंभ के दौरान पड़ने वाली मौनी अमावस्या का महत्व और बढ़ जाता है, क्योंकि इस समय विशेष योग बनते हैं, जो साधना के लिए उत्तम माने जाते हैं.
दान करने से पित्तरों का आशीर्वाद होता है प्राप्त
मौनी अमावस्या पर दान-पुण्य करने की परंपरा प्राचीन काल से चली आ रही है. शास्त्रों में उल्लेख है कि इस दिन तिल मिश्रित मिठाई, चावल, कंबल, ऊनी वस्त्र और अन्न का दान करने से कई गुना पुण्य फल प्राप्त होता है. साथ ही, जो व्यक्ति इस दिन अपने पितरों के निमित्त तर्पण और पिंडदान करता है, वह पितृ दोष से मुक्त हो जाता है. ऐसी मान्यता है कि इससे पितर सात पीढ़ियों तक आशीर्वाद प्रदान करते हैं और मोक्ष प्राप्त करते हैं.
गंगा स्नान के दौरान श्रद्धालुओं की भीड़ को देखते हुए पुलिस-प्रशासन ने सुरक्षा के पुख्ता इंतजाम किए थे. हर की पौड़ी समेत सभी प्रमुख घाटों पर पुलिस बल तैनात किया गया था. जल पुलिस और एनडीआरएफ की टीमें भी मुस्तैद रहीं, ताकि किसी भी अप्रिय घटना को टाला जा सके. ट्रैफिक पुलिस ने शहर में सुचारू यातायात व्यवस्था बनाए रखने के लिए विशेष इंतजाम किए.
गंगा को साफ रखने के लिए श्रद्धालुओं से अपील
हरिद्वार नगर निगम और गंगा सभा ने सफाई व्यवस्था का विशेष ध्यान रखा. घाटों पर सफाई कर्मियों को तैनात किया गया था, ताकि गंगा की स्वच्छता बनी रहे. साथ ही, श्रद्धालुओं से अपील की गई कि वे गंगा में प्लास्टिक या अन्य अपशिष्ट पदार्थ न डालें. गंगा स्नान के साथ-साथ हरिद्वार में विभिन्न धार्मिक कार्यक्रमों का भी आयोजन किया गया. कई मंदिरों और आश्रमों में हवन, यज्ञ और भजन-कीर्तन किए गए. श्रद्धालु गंगा आरती में शामिल होकर मां गंगा का आशीर्वाद प्राप्त कर रहे हैं.
मौनी अमावस्या पर आए श्रद्धालु गीता देवी ने कहा, "हम हर साल इस दिन गंगा स्नान करने आते हैं. इससे मन को शांति मिलती है और आध्यात्मिक ऊर्जा प्राप्त होती है." वहीं, प्रयागराज से आए एक अन्य श्रद्धालु अजय शुक्ला ने बताया, "हमने स्नान के बाद दान-पुण्य किया और अपने पितरों के लिए तर्पण किया. इससे जीवन में सुख-शांति आती है."
"हर हर गंगे" के जयघोष से भक्तिमय हुआ वातावरण
मौनी अमावस्या के अवसर पर हरिद्वार में आस्था का अनूठा नजारा देखने को मिला. हर की पौड़ी पर जब श्रद्धालुओं ने एक साथ गंगा जल में डुबकी लगाई, तो पूरा वातावरण भक्तिमय हो उठा. गंगा तटों पर "हर हर गंगे" के जयघोष गूंजते रहे.
कुल मिलाकर, मौनी अमावस्या पर हरिद्वार में श्रद्धालुओं का उत्साह देखने लायक था. स्नान, दान और भक्ति के इस संगम ने एक बार फिर धर्मनगरी को आध्यात्मिक ऊर्जा से भर दिया.
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