Uttarakhand News: हरिद्वार पुलिस की एंटी ह्यूमन ट्रैफिकिंग यूनिट ने पिछले साल 100 से ज्यादा बच्चों को परिजनों से मिलवाया है. परिजन बच्चों के मिलने की उम्मीद छोड़ चुके थे. बच्चों को सामने पाकर खुशी के आंसू रोक नहीं सके. एसपी सिटी स्वतंत्र कुमार सिंह ने बताया कि घर से नाराज होकर या रास्ता भटक कर हरिद्वार पहुंचने वाले बच्चे भिक्षावृत्ति के दलदल में फंस रहे हैं. परिजनों से बिछड़े बच्चों को गंगा घाटों पर भीख मांगते हुए देखा जा सकता है. पुलिस प्रशासन समय समय पर बच्चों का रेस्क्यू करता है. उन्होंने कहा कि हरिद्वार में भीख मांगनेवाले बच्चों की संख्या में लगातार इजाफा देखने को मिल रहा है.


पुलिस ने परिजनों से बच्चों को मिलाया


पुलिस परिजनों की तलाश कर बच्चों को हवाले कर देती है. दूर दराज के इलाकों से भटककर हरिद्वार पहुंचे बच्चे भिक्षावृत्ति का पेशा शुरू कर देते हैं. पुलिस का प्रयास है

कि बच्चों को भीख मांगने से रोका जाए. धर्मनगरी हरिद्वार में भंडारे और दान साल भर चलते रहते हैं. दान मिलने के कारण भी हजारों की तादाद में भिखारी मौजूद रहते हैं. हर की पैड़ी समेत अन्य गंगा घाटों पर छोटे-बड़े, महिला-पुरुष सभी वर्ग के लोग भीख मांगते हुए मिल जाएंगे. भिखारियों में कुछ भटके या परिजनों से नाराज होकर आए बच्चे भी होते हैं.


 


भिक्षावृत्ति के दलदल से किया रेस्क्यू


एसपी ने कहा कि बच्चों के घरों से भागने की वजह नासमझी होती है. हरिद्वार पुलिस की एंटी ह्यूमन ट्रैफिकिंग यूनिट बिछड़े बच्चों को परिजनों से मिलाने का काम कर रही है. हरिद्वार में भिक्षावृत्ति का कारोबार भी बड़े पैमाने पर चलता है. ऐसे में कई बच्चे हरिद्वार पहुंचने पर भीख मंगवानेवाले रैकैट के चंगुल में फंस जाते हैं. भिक्षावृत्ति के दलदल में फंसे बच्चों को निकालने के लिए हरिद्वार प्रशासन और पुलिस लगातार काम कर रहे हैं. बच्चों के भीख मांगने का एक मनोवैज्ञानिक पक्ष भी है. जानकार बताते हैं कि मनोभावों को व्यक्त नहीं कर पानेवाले बच्चे अवसाद का शिकार हो जाते हैं. 


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