Uttarakhand News: उत्तराखंड में हरिद्वार (Haridwar) के ज्वालापुर विधानसभा के पूर्व विधायक सुरेश राठौर (Jwalapur Assembly Former MLA Suresh Rathore) ने रविदास अखाड़े की घोषणा की है और भ्रष्टाचार में लिप्त पूर्व आईएफएस अधिकारी किशन चंद को अखाड़े का महासचिव घोषित किया है. उन्होंने अपने अखाड़े को 15वें अखाड़े के रूप में स्थापित करने का ऐलान किया है. इसके साथ ही आने वाले कुंभ (Kumbh Mela) में निरंजनी अखाड़े के साथ रविदास अखाड़े के साधु संत शाही स्नान भी करेंगे. इस मामले में अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद (All India Akhara Parishad) के अध्यक्ष महंत रविंद्रपुरी ने साफ कहा है कि आदि गुरु शंकराचार्य द्वारा स्थापित किए गए तेरह अखाड़ों द्वारा ही कुंभ में शाही स्नान किया जाता है, इससे अलग किसी के अखाड़े को मान्यता नहीं है.  


पूर्व विधायक सुरेश राठौर ने इसपर क्या कहा 
बीजेपी के पूर्व विधायक सुरेश राठौर ने अपने आप को पीठाधीश्वर कहते हुए रविदास अखाड़े की घोषणा की. सुरेश राठौर का कहना है कि हम 15वें रविदास अखाड़े की घोषणा कर रहे हैं क्योंकि देश में 25 करोड़ से ज्यादा हमारी जनसंख्या है और देश में कम जनसंख्या वालों द्वारा अखाड़े बनाए गए हैं. दो कुंभ मेलो में हमारे द्वारा कैंप लगाए गए हैं, मगर हमारे द्वारा अब विधिवत अखाड़े की घोषणा की गई है. हमने अखाड़ा परिषद अध्यक्ष और साधु-संतों से इस मामले पर चर्चा भी की है. हमारे समाज के लोगों की इच्छा थी कि हमारा भी अखाड़ा बने क्योंकि किन्नर समाज और ब्राह्मण समाज की संख्या बहुत कम है उनके द्वारा भी अपना अखाड़ा बनाया गया है. इस अखाड़े में पूर्व आईएफएस अधिकारी किशन चंद महामंत्री के रूप में कार्य करेंगे. हमारे अखाड़े में नागा संन्यासी और ग्रस्त लोगों को भी सन्यास की दीक्षा दी जाएगी, मगर ब्रह्मचर्य का पालन अनिवार्य होगा.


अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद ने क्या कहा
वहीं इस मामले पर अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद के अध्यक्ष महंत रविंद्रपुरी ने साफ कहा है कि आदि गुरु शंकराचार्य द्वारा स्थापित किए गए 13 अखाड़ों को ही मान्यता प्राप्त है. सुरेश राठौड़ द्वारा बनाई गई संस्था में कुछ गलतियां हो सकती है जिसे उनके द्वारा सही किया जाएगा जो सनातन परंपरा के अनुरूप हो. उनका कहना है कि कई लोगों द्वारा अखाड़े बनाए गए हैं मगर कुंभ मेले में सिर्फ 13 अखाड़ों को ही मान्यता मिलती है. इसके अतिरिक्त किसी को भी मान्यता नहीं दी जाती है. अगर उनके संत कुंभ में शाही स्नान करना चाहते हैं तो किसी भी अखाड़े के साथ जाकर स्नान कर सकते हैं. अभी इस मामले में मेरी उनसे वार्ता नहीं हुई है, जल्दी ही उनसे वार्ता की जाएगी ताकि सनातन परंपरा के अनुरूप कार्य हो. साधु वही बन सकता है जो अपने घर को छोड़कर संन्यास की राह पर चले.


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