Uttarakhand News: उत्तराखंड में नई शिक्षा नीति (New Education Policy) को लागू करके सरकार (Government of Uttarakhand) छात्रों का भविष्य उज्जवल बनाने के भले ही लाख दावे कर रही हो, लेकिन प्रदेश में प्राइमरी एजुकेशन (Primary Education) के हालात उतने अच्छे नहीं है जितने सरकारी दावों में दिखाए और सुनाए जाते हैं. कई स्कूलों की हालत तो बेहद खराब है. कहीं बच्चों के बैठने के लिए बेंच नहीं है तो कहीं सिर पर छत नहीं है और बच्चे खुले मैदान में पढ़ रहे हैं. ऐसे में ठंड का मौसम होने की वजह से बच्चों को काफी दिक्कत हो रही है. बच्चे न ठीक से पढ़ पा रहे हैं और न ही शिक्षक उन्हें पढ़ा पा रहे हैं. 


ऐसी ही एक तस्वीर हरिद्वार (Haridwar) के राजकीय प्राथमिक विद्यालय (Government Primary School) नंबर 5 ज्वालापुर से आई है. यहां बच्चे खुले आसमान के नीचे पढ़ते हुए देखे जा सकते हैं. सरकारी दावों को आईना दिखाने वाली इस तरह की तस्वीरें पहले भी राज्य के अलग-अलग हिस्सों से आ चुकी हैं. सवाल है कि सरकार इसे लेकर कब कदम उठाएगी और कम से कम सभी स्कूलों के पास अपना भवन होगा.


खुले आसमान के नीचे पढ़ाई
हरिद्वार जिले के सरकारी एजुकेशन सिस्टम में यूं तो कई खामियां हैं, लेकिन हरिद्वार के शहरी क्षेत्र में कुछ प्राइमरी स्कूल बिना छत के चल रहे हैं. इन स्कूलों में छात्र-छात्राओं को खुले आसमान के नीचे बैठकर पढ़ना पड़ रहा है. ज्वालापुर क्षेत्र के प्राइमरी स्कूल नंबर 12 और नंबर 5 में छत नाम की कोई चीज नहीं है. यहां बच्चे पेड़ की छांव में या त्रिपाल के नीचे बैठकर पढ़ाई करने को मजबूर हैं. इतना ही नहीं तेज हवा चलने और बारिश हो जाने पर बच्चों की छुट्टी कर दी जाती है.


अधिकारी ने इसपर क्या कहा
सरकारी स्कूलों के दयनीय हालत पर शिक्षा विभाग के बड़े अधिकारी भी कानूनी मजबूरियां गिना रहे हैं. जिला शिक्षा अधिकारी के के गुप्ता का कहना है कि स्कूलों की भूमि किराए की है और भूमि मालिक मरम्मत नहीं करने दे रहे हैं. भूमि के मालिकों को समझाने की कई बार कोशिश की गई है. उम्मीद है कि जल्दी ही बात बन जाएगी.


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