Uttarakhand Assembly Election: कांग्रेस के भीतर दो महीने से गहराया सियासी संकट दूर होने के साथ ही चुनावी बिगुल भी बज गया है. हरीश रावत के खेमे में चुनाव से पहले जीत और जश्न का माहौल है. क्योंकि चुनाव प्रचार समिति के अध्यक्ष होने के नाते इस बार चुनाव की कमान हरीश रावत के हाथ में होगी. साथ ही अपने खास गणेश गोदियाल को प्रदेश अध्यक्ष बनवाकर हरीश ने यह भी बता दिया है कि टिकटों के पैनल तैयार होने में भी हरदा की भूमिका रहेगी. हालांकि यह पहली बार हुआ कि प्रदेश अध्यक्ष और नेता प्रतिपक्ष दोनों ही गढ़वाल से होंगे. 


कांग्रेस की इस नई कहानी में प्रीतम सिंह का किरदार प्रदेश अध्यक्ष से बदलकर नेता प्रतिपक्ष में तब्दील कर दिया गया है. श्रीनगर विधानसभा सीट से पिछले विधानसभा चुनाव में बीजेपी के धनसिंह रावत से शिकस्त खाने के बाद हरीश रावत के खास गणेश गोदियाल की प्रदेश अध्यक्ष जैसे महत्वपूर्ण पद पर ताजपोशी कर दी गयी. चार कार्यकारी अध्यक्ष भी बनाये गए हैं, जिनमें भुवन कापड़ी का नाम भी शामिल है. कापड़ी को इसलिए मजबूत किया जा रहा है क्योंकि वो पिछला विधानसभा चुनाव मात्र ढाई हजार वोटों से वर्तमान मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी से हारे थे और इसी खटीमा सीट से फिर लड़ेंगे.


कुल मिलकर हरीश रावत ने सियासी शतरंज की जो बिसात बिछाई थी उस पर वह बाजी जीतने की ओर अग्रसर प्रतीत हो रहे हैं. चुनाव प्रचार समिति का अध्यक्ष बनना और अपनी पसंद के नेता को अध्यक्ष बनवाना इसके प्रमाण के तौर पर देखे जा रहे हैं. प्रदेश अध्यक्ष और नेता प्रतिपक्ष जैसे दोनों महत्वपूर्ण पद गढ़वाल को दे दिए जाने पर हरीश रावत की सहमति के पीछे भविष्य की रणनीति रही. अक्सर ये दोनों पद एक मंडल में होते नहीं है, लेकिन हरीश रावत ने यह इसलिए होने दिया ताकि चुनाव के लिए गठित होने वाली चुनाव संचालन समिति की कमान अपने पास रहे. चुनाव संचालन समिति के अध्यक्ष को ही अमूमन तौर पर मुख्यमंत्री का चेहरा माना जाता रहा है. चुनाव प्रचार समिति में भी ज्यादातर नेता हरीश कैम्प के हैं. कोषाध्यक्ष के लिए आर्येंद्र शर्मा का नाम हरीश खेमे को झटका देने वाला है.


तिलक राज बेहद को कार्यकारी अध्यक्ष बनाकर पंजाबी बिरादरी में सेंधमारी की कोशिश की गयी है. बेहद उधमसिंह नगर जिले से आते हैं और एक बार कैबिनेट मंत्री भी रह चुके हैं. इसके अलावा जीतराम को भी हरीश रावत का करीबी माना जाता है. जीतराम अनुसूचित जाति से आते हैं, लेकिन कार्यकारी अध्यक्ष के लिए रंजीत रावत का नाम चौंकाने वाला है. किसी समय हरीश के खास रहे रंजीत रावत अब प्रीतम सिंह कैम्प के मजबूत नेता हैं. जब हरीश रावत मुख्यमंत्री थे तब रंजीत ही एक तरह से सरकार चलाते थे, लेकिन अब दोनों के बीच कट्टरता है और पिछले सल्ट विधानसभा के उप चुनाव में हरीश ने रंजीत रावत के बेटे का टिकट भी नहीं होने दिया था.


कौन हैं नए अध्यक्ष गणेश गोदियाल?
प्रदेश कांग्रेस के नए अध्यक्ष गणेश गोदियाल पौड़ी जिले की श्रीनगर सीट से दो बार विधायक चुने गए हैं. उन्होंने एक बार धनसिंह रावत व एक बार रमेश पोखरियाल को चुनाव हराया और विधानसभा पहुंचे. हरीश रावत सरकार में उन्हें संसदीय सचिव बनाकर कैबिनेट मंत्री का दर्जा दिया गया था. शुरुआती दौर में उनकी राजनीति सतपाल महाराज की छत्रछाया में आगे बढ़ी और फिर वह हरक सिंह रावत कैम्प में आ गए, लेकिन इन दोनों नेताओं के भाजपा में जाने के बाद गोदियाल ने हरीश रावत का दामन थाम लिया. अभी वह हरीश रावत के सिपहसालार के रूप में देखे जाते हैं.


हरदा का चुनाव प्रचार समिति पर भी कब्ज़ा 
किसी भी चुनाव से पहले किसी भी राजनीतिक दल की चुनाव प्रचार समिति बहुत अहम मानी जाती है, हरीश रावत उसके अध्यक्ष बने और अपने ख़ास राज्यसभा सांसद प्रदीप टम्टा को उपाध्यक्ष और एक और खास पूर्व मंत्री दिनेश अग्रवाल को संयोजक बनवाने में भी हरीश कामयाब रहे. इसलिए माना जा रहा है कि एलानिया अंदाज में न सही, लेकिन पार्टी ने हरीश रावत को चेहरा घोषित कर दिया है.


(हरीश रावत उत्तराखंड के कुंमाऊ क्षेत्र से आते हैं. कुंमाऊ में बड़े भाई को 'दा' या 'दाज्यू' बोला जाता है.)


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