Uttarakhand Election: हरीश रावत के आने से हॉट सीट बनी लाल कुआं, बीजेपी के इस नेता से है कड़ा मुकाबला
Uttarakhand Election2022: लालकुआं विधानसभा सीट पर पूर्व सीएम हरीश रावत के आने से मुकाबला बेहद दिलचस्प हो गया है. बीजेपी ने अपने सिटिंग विधायक का टिकट काटकर मोहन बिष्ट को मैदान में उतारा है.
Uttarakhand Election 2022: उत्तराखंड की लालकुआं विधानसभा सीट भी खटीमा की तरह हॉट सीट बन गई है, क्योंकि इस सीट से पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत चुनावी मैदान में हैं, उनके सामने बीजेपी ने मोहन बिष्ट को टिकट दिया है. भाजपा ने सिटिंग विधायक नवीन दुमका का टिकट काटकर मोहन बिष्ट पर भरोसा जताया है. जिसके बाद से लाल कुआं विधानसभा सीट उत्तराखंड की दूसरी हॉट सीट बन गई है. इस सीट पर बीजेपी और कांग्रेस के बीच कड़ा मुकाबला है.
लालकुआं सीट का इतिहास
लालकुआं सीट उत्तराखंड के नैनीताल जिले में आती है. जो 2008 के परिसीमन के बाद के बाद अस्तित्व में आई. जिसके बाद यहां 2012 में पहली बार विधानसभा चुनाव हुआ, जिसमें निर्दलीय प्रत्याशी हरीश चंद्र दुर्गापाल ने जीत दर्ज की थी. 2017 के विधानसभा चुनाव में भाजपा के नवीन दुमका ने कांग्रेस के हरीश चंद्र दुर्गापाल को हराया था. इस बार लाल कुआं विधानसभा क्षेत्र की जनता किसको विधायक चुनेंगी, ये 14 फरवरी को जनता को तय करना है. हरीश रावत के मैदान में आ जाने से इस सीट पर मुकाबला बेहद दिलचस्प हो गया है. इसके साथ ही मैदान में आम आदमी पार्टी और बसपा भी डटी है.
अब तक किसको कितने वोट मिले
अभी तक के चुनावों में लाल कुआं विधानसभा सीट से 1 बार भाजपा और एक बार निर्दलीय प्रत्याशी ने जीत दर्ज की है. इस सीट पर पहले विधानसभा चुनाव में निर्दलीय प्रत्याशी हरीश चंद्र दुर्गापाल को 25000 वोट मिले थे, जबकि भाजपा के उम्मीदवार नवीन चंद्र दुमका को 16341 वोट मिले. 2017 के विधानसभा चुनाव में भाजपा के नवीन चंद्र दुमका को 44293 वोट मिले और उन्होंने जीत दर्ज की. उनके बाद कांग्रेस से हरीश चंद्र दुर्गापाल को 17185 वोट मिले थे. 2017 के इस सीट पर 54.81% वोट पड़े थे.
लालकुआं का जातीय समीकरण
लालकुआं विधानसभा क्षेत्र में कुल मतदाताओं की संख्या 1 लाख 20 हजार के करीब है. जिसमें 62650 पुरुष और 57380 महिलाएं शामिल है. जातीय समीकरण की बात करें तो लाल कुआं विधानसभा सीट में हर जाति वर्ग के लोग रहते हैं. इस विधानसभा क्षेत्र में ब्राह्मण और राजपूत मतदाताओं की संख्या ज्यादा है. जो इस सीट पर हार जीत का फैसला करते हैं. वहीं अन्य पिछड़ा वर्ग और अनुसूचित जाति के मतदाताओं की भूमिका भी इस सीट पर अहम रहती है.
ये भी पढ़ें-