रुड़की, एबीपी गंगा। रुड़की और लक्सर को जोड़ने वाला मार्ग की हालत इतनी खस्ता हो चुकी है कि अब ये राजनीति का मुद्दा बन गया है. रुड़की से लक्सर के बीच करीब 22 किमी लंबे स्टेट हाइवे है. मगर ढंढेरा से लेकर लक्सर तक करीब 20 किमी के हिस्से में रोड की हालत एकदम खस्ता हो चुकी है. आलम ये है कि रोड जगह-जगह से टूटी हुई है. ना तो इसकी मरम्मत की जा रही है और ना ही इसे दोबारा बनाया जा रहा है. यही वजह है कि अब इस मार्ग पर राजनीति भी शुरू हो गई है. पूर्व सीएम हरीश रावत ने मार्ग की खस्ताहालत को लेकर प्रदेश सरकार पर निशाना साधा है.


दरअसल, मार्ग में जगह जगह पड़े गड्ढे किसी हादसे का न्योता दे रहे हैं. मगर रोड की मरम्मत का काम नहीं किया जा रहा है. बरसात के दिनों में तो रोड की हालत और खराब हो चुकी है. 2022 के चुनाव नजदीक हैं, ऐसे में मार्ग को लेकर अब राजनीति भी शुरू हो गई है. पूर्व सीएम हरीश रावत ने इसे लेकर प्रदेश सरकार पर हमलावार हैं. हरीश रावत सूबे की त्रिवेंद्र सरकार को घेरने की कोशिश कर रहे हैं.


बजट भी वापस
लक्सर शहर को रुड़की से जोड़ने वाली ये अहम सड़क है. जिससे हर दिन बड़ी संख्या में वाहन गुजरते हैं. साथ ही सावन के महीने में कांवड़ यात्री भी इसी सड़क से होकर हरिद्वार जाते हैं. साथ ही लक्सर में कई उद्योग भी लगे हैं, जिनमें कच्चा माल लाने और तैयार माल ले जाने के लिए बड़े बड़े वाहन इसी सड़क से आते हैं. बावजूद इसके कोई ध्यान नहीं दिया जा रहा है. चिंता की बात ये है कि सड़क के लिए केंद्र सरकार द्वारा भेजा गया बजट भी वापस मंगवा लिया गया है. ऐसे में लोगों के लिए ये सड़क सिरदर्द बन चुकी है.


राजनीति की भेंट चढ़ी सड़क
मार्ग की खस्ताहालत की वजह से यहां अब तक ना जाने कितने ही लोग जान गवां चुके हैं. ये मार्ग लक्सर और खानपुर विधानसभा क्षेत्र में आता है. लक्सर से भाजपा के विधायक संजय गुप्ता हैं जबकि खानपुर से कांग्रेस से बागी होकर भाजपा में गए कुंवर प्रणव सिंह. मगर इन दोनों ही नेताओं ने सड़क के निर्माण में कोई पैरवी नहीं की. कहा जा रहा है कि ये सड़क राजनीति के भेंट चढ़ गई है. यही वजह है कि हरीश रावत ने भी सड़क के बहाने त्रिवेंद्र सरकार को घेरने की कोशिश की है.


सड़क के सहारे विधानसभा की राह
हरीश रावत हरिद्वार में काफी सक्रिय रहे हैं. 2009 में वे यहां से सांसद भी चुने गए थे. मगर 2017 के विधानसभा चुनाव में हरीश रावत हरिद्वार ग्रामीण और किच्छा सीट से विधानसभा का चुनाव हार गए हैं. इतिहास बताता है कि हरीश रावत की राजनीति हरिद्वार पर भी केंद्रित रही है. वो लोगों के बीच जाकर एक जमीनी नेता के रूप में पेश करते आए हैं. एक बार फिर से जिस तरह से हरीश रावत हरिद्वार में सक्रिय दिखे हैं. उससे साफ है कि वो मैदानी क्षेत्र की जनता के मुद्दे उठाकर अपनी सियासी जमीन एक बार फिर से मजबूत करने में जुट गए हैं.


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