UP By Election 2024: हरियाणा विधानसभा चुनाव में कांग्रेस को मिली हार से उसके सामने उत्तर प्रदेश में कई चुनौतियों के आने का अंदेशा बढ़ गया है. माना जा रहा है कि हरियाणा में कमजोर प्रदर्शन के कारण अब उसे उपचुनाव में सपा के सामने गठबंधन को बचाने के लिए झुकना पड़ेगा.


राजनीतिक जानकारों के अनुसार, मध्य प्रदेश के बाद हरियाणा में भी कांग्रेस ने सपा को एक भी सीट नहीं दी. इसके बाद सपा प्रमुख अखिलेश यादव ने अपनी पार्टी को उस चुनाव से अलग कर लिया था. इसके बाद यूपी उपचुनाव में सीट बंटवारे पर चर्चा बंद हो गई और दोनों दलों ने अपनी-अपनी तैयारियां शुरू कर दीं. 


उपचुनाव के सपा तैयार
सपा ने पहले से ही 10 सीटों के लिए तैयारी मुकम्मल कर ली है, जबकि कांग्रेस भी उन सीटों पर चुनाव की योजनाएं बना चुकी है, जहां उपचुनाव होने हैं. अगर हरियाणा में कांग्रेस को मनचाहा परिणाम मिलता, तो सपा से बातचीत फिर से शुरू हो सकती थी, लेकिन अब यह मुश्किल हो गया है. 


चाहे मध्य प्रदेश हो या हरियाणा, कांग्रेस ने दोनों राज्यों में इंडिया गठबंधन के तहत सपा को कोई सीट नहीं दी. इससे सपा को अपने कदम वापस खींचने पड़े. उत्तर प्रदेश में सपा मजबूत है और वह अपने हिसाब से निर्णय लेगी. अब समाजवादी पार्टी पहले परिस्थितियों को परखेगी, फिर कोई फैसला लेगी.


कांग्रेस पर सपा ने साधा निशाना
सपा के प्रवक्ता डॉ. आशुतोष वर्मा ने कहा, "यह साबित हो गया है कि क्षेत्रीय दलों के बिना कांग्रेस बीजेपी को हराने में सक्षम नहीं है. कांग्रेस ने हरियाणा में सपा का कोई जनाधार नहीं बता कर अनदेखी की. फिर सपा मुखिया ने बड़ा दिल दिखाया और हरियाणा में कोई उम्मीदवार नहीं उतारा." 


सपा के प्रवक्ता वर्मा ने कहा, "महाराष्ट्र में हमारा संगठन है और हमारे विधायक भी हैं, लेकिन कांग्रेस यूपी के उपचुनाव में पांच सीटें मांग रही है. इसका मतलब यह है कि वह गठबंधन को आगे नहीं ले जाना चाहती. उनके प्रदेश अध्यक्ष 10 सीटें लड़ने का दावा कर रहे हैं, लेकिन उनके पास संगठन कहां है?" 


डॉ. आशुतोष  वर्मा ने कहा, "2022 के चुनाव के आंकड़ों पर नजर डालें तो जिन सीटों पर उपचुनाव होने हैं, सपा वहां कई सीटों पर पहले नंबर पर थी, जबकि कांग्रेस चौथे या पांचवें स्थान पर रही थी. उन्होंने कहा, "अगर हर बार बड़ा दिल सपा प्रमुख अखिलेश यादव ही दिखाएंगे, तो कांग्रेस कब दिखाएगी?" 


'बिना कांग्रेस बीजेपी को हराना मुश्किल'
कांग्रेस के प्रवक्ता अंशू अवस्थी ने कहा, "देश और प्रदेश के मतदाता यह बात समझते हैं कि बिना कांग्रेस के बीजेपी को हराना मुश्किल है. इसलिए दूसरे राजनीतिक दलों के नेताओं को बयानबाजी करने से पहले राजनीतिक गंभीरता का ध्यान रखना चाहिए. इस समय देश में जो संवैधानिक संकट है, उससे लड़ने के लिए हमें एक साथ आना होगा."


'कांग्रेस बारगेनिंग की स्थिति में नहीं'
वरिष्ठ राजनीतिक विश्लेषक सिद्धार्थ कलहंस के अनुसार, "हरियाणा में प्रदर्शन के बाद यूपी के उपचुनाव में कांग्रेस को जो मिले, वह सही है, लेकिन ज्यादातर सीटों पर वे कमजोर स्थिति में हैं. कांग्रेस अब बारगेनिंग की स्थिति में नहीं है और इसका असर 2027 तक रह सकता है."


सिद्धार्थ कलहंस ने कहा, "कांग्रेस को महाराष्ट्र में भी सपा को अपने कोटे की सीटें देनी होंगी, क्योंकि उद्धव ठाकरे और शरद पवार अपने हिस्से की सीटें सपा को नहीं देंगे. हरियाणा के नतीजों ने कांग्रेस पर दबाव बढ़ा दिया है और अब वह यूपी में किसी भी कीमत पर गठबंधन तोड़ने का जोखिम नहीं उठा सकती, अन्यथा उसे बड़ा नुकसान हो सकता है."


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