रायबरेली, डॉ पंकज सिंह। जनाब मजहब देख कोई इश्क या दोस्ती नहीं करता क्योंकि यह दिल केसरिया या हरे रंग से नहीं बल्कि लाल रंग से भरा है। इन्हीं पंक्तियों को चरितार्थ करते हुए सोनिया गांधी के संसदीय क्षेत्र रायबरेली में एक अनूठा प्रेम विवाह संपन्न हुआ।
धर्म व समुदाय को दरकिनार कर 20 साल एक साथ बिना ब्याह के रहने वाले हिंदू-मुस्लिम दंपति ने आखिरकार 20 साल बाद ब्याह रचा ही लिया। इस ब्याह की चर्चा जिले ही नहीं पूरे प्रदेश में है। रायबरेली के ऊंचाहार थाना क्षेत्र के पयागपुर नन्दौरा के रहने वाले भारत लाल का प्रेम प्रसंग हसीरुन निशा से 20 साल पहले शुरू हुआ था। प्रेम परवान चढ़ने के बाद दोनों बिना किसी रीतरिवाज या शादी ब्याह के एक दूसरे के साथ रहने लगे। लेकिन 20 साल बाद भारत लाल व हसीरुन निशा ने शादी के बंधन में बंधने का निर्णय लिया और दोनों हिंदू रीति रिवाज से शादी के बंधन में बंध गए।
दोनो के प्रेम में धर्म नहीं आया आड़े
भारत लाल व हसीरुन निशा के प्रेम के आगे उनका धर्म भी आड़े हाथों नहीं आया। धर्म की दीवारों को तोड़ते हुए दोनों प्रेमी युगल ने अपने प्रेम को परवान ही नहीं चढ़ने दिया बल्कि उसे उत्कर्ष सीमा तक पहुंचाया और समाज की परवाह किए बिना बिन शादी ब्याह के एक साथ प्रेम पूर्वक 20 साल गुजारे। 20 साल बाद अपने उस प्रेम को सामाजिक मान्यता देने के लिए दोनों ने कमर कस ली और अंततः दोनों विवाह के मजबूत बंधन में बंध गए।
ग्रामीण भी रहे साथ
20 साल बाद प्रेम को पहचान देने के लिए दोनों ने विवाह की क्या ठानी कि पूरा गांव खुशी से झूम गया। पूरे गांव के लोगों ने भारत लाल व हसीरुन निशा के इस फैसले से खुश दिखे और उनके इस फैसले में कदम से कदम मिलाकर चलने का निर्णय भी लिया। यही कारण रहा कि दोनों का प्रेम विवाह ग्रामीणों की उपस्थिति में हिन्दू रीति रिवाज से सकुशल संपन्न हुआ और हसीरुन निशा अपना नाम परिवर्तित करके मालती बन गई।
कायम की मिसाल
समाज में हिंदू-मुस्लिम के इस प्रेम विवाह की चर्चा जोरों पर है और लोग इस बात को कहते हुए भी नहीं चूक रहे हैं कि जहां एक तरफ पूरा देश हिंदू-मुस्लिम लड़ाई में एक दूसरे को मारने-काटने पर उतारू हैं तो वहीं दूसरी तरफ हिंदू-मुस्लिम एक होकर एक साथ जीवन गुजारने के लिए प्रेम विवाह करके एकता की मिसाल कायम कर भाईचारे का संदेश दे रहे हैं।