(Source: ECI/ABP News/ABP Majha)
ना जेब में पैसा, ना खाने को रोटी, सड़क पर सोया फिल्म इंडस्ट्री का ये अनमोल मोती
हिंदी सिनेमा में ऐसे-ऐसे कलाकार हुए हैं जो मरने का बाद भी अमर हो गए हैं। ये कलाकार भले ही दुनिया में रहे ना रहें लेकिन इनका काम इन्हें हमेशा जिंदा रखता है
हिंदी सिनेमा में ऐसे-ऐसे कलाकार हुए हैं जो मरने का बाद भी अमर हो गए हैं. ये कलाकार भले ही दुनिया में रहे ना रहें लेकिन इनका काम इन्हें हमेशा जिंदा रखता है. बहुत से कलाकारों को विरासत में कुछ ऐसी अनमोल कला मिल जाती है जिसकी कल्पना करना भी दूर की बात है, और वो उसे संवारकर रखते भी हैं और पहले से ज्यादा निखारते भी हैं. ऐसे ही एक मशहूर गीतकार हुए हसरत जयपुरी.
हिंदी फिल्मों के मशहूर गीतकार हसरत जयपुरी का नाम पहले या कह सकते हैं कि उनका असली नाम इकबाल हुसैन था. हसरत बचपन से ही बड़े शायराना मिजाज के थे. हसरत जयपुरी की मां का नाम था फिरदौसी बेगम था, उन्हें जो भी शेरो- शायरी का शौक था वो उन्हें उनकी मां से विरासत में मिला था, मां तो शायर नहीं थीं और ना ही उन्हें शौक था, लेकिन उनके नाना अपने जमाने के मशहूर शायर थे. बस नाना के गुण हसरत में आ गए. मां को बेटे का शायरी करना जरा भी पसंद नहीं था लेकिन हसरत ने उनकी एक ना सुनी. मां ने अपनी बात मनवाने के लिए उन्हें धमकी दे डाली की अगर शायरी करोगे तो मेरे घर से बाहर निकल जाओ. मां के इन्हीं शब्दों ने इकबाल हुसैन को हिंदी सिनेमा काa नायाब हीरा हसरत जयपुरी बना दिया.
दरअसल, मां के घर से निकालने के बाद इकबाल मुंबई पहुंच गए. मुंबई पहुंचकर उन्होंने जीवन का असली संघर्ष देखा, उस वक्त ना जेब में पैसा, ना खाने के लिए रोटी और ना ही इतने बड़े अंजान शहर में कोई पहचान वाला. उन्होंने बहुत सी रातें फुटपाथ पर सो कर गुजारीं, लेकिन ऐसा कब तक चलता, कुछ दिनों के बाद उन्हें एहसास हुआ कि खाने के लिए कुछ तो कमाना पड़ेगा. काफी ढूंढने के बाद इकबाल को बस कंडक्टर की नौकरी मिल गई, लेकिन शेरों-शायरी से खुद को वो दूर नहीं रख पाए. शायर होने के साथ-साथ इकबाल साहब बड़े ही दिलफेक हुआ करते थे जब भी बस में कोई खूबसूरत लड़की नजर आती तो वो उसका टिकट ही नहीं काटते थे. पेट पालने के लिए वो कंडक्टरी करते थे और अपने शौक को पूरा करने के लिए मुशायरे में जाने लगे और इन्हीं मुशायरों की वजह से उनकी जिंदगी ने हसीन मोड़ लिया. ऐसे ही एक दिन मुशायरे में पृथ्वीराज कपूर की नजर इकबाल पर पड़ी और उन्होंने राज कपूर से इकबाल को मिलवा दिया. उस वक्त राज कपूर अपनी आने वाली फिल्म 'बरसात' की तैयारियों में लगे हुए थे. फिर क्या था पिता पृथ्वीराज के कहने पर राज कपूर ने इकबाल को अपनी इस फिल्म में गाना लिखने का काम दे दिया. इकबाल ने अपना पहला गाना लिखा जिसके बोल थे, 'जिया बेकरार है छाई बहार है'. गाना लोगों को बेहद पसंद आया. इस गाने के हिट होने के बाद उन्होंने फिल्म इंडस्ट्री के लिए बहुत से गाने लिखे. इतना ही नहीं राज कपूर की तो लगभग हर फिल्म के गाने हसरत ने ही लिखे.
पहली फिल्म के बाद ही हसरत फिल्म इंडस्ट्री में मशहूर होने लगे और उनकी जोड़ी शंकर जयकिशन और शैलेंद्र जैसे संगीतकारों के साथ बन गई. इस तिकड़ी ने कई गाने लिखे लेकिन जब साल 1971 में जयकिशन का देहांत हुआ तो ये तिकड़ी बिखर गई.
बात करें हसरत जयपुरी की पर्सनल लाइफ की तो उन्होंने साल 1953 में शादी की, उनके तीन बच्चे हैं और तीनों इस समय मुंबई में ही रहते हैं. 17 सितम्बर 1999 को लंबी बीमारी के चलते उनका निधन हो गया. मगर दुनिया के लिए वो अमर हो गए.