Hate Speech Case: हेट स्पीच में सजा, कब तक चुनावी राजनीति में कदम नहीं रख पाएंगे आजम खान?
Azam Khan Political Career: आजम खान साल 1980 से राजनीति में सक्रिय हैं और रामपुर के 10 बार विधायक रह चुके हैं. हेट स्पीच मामले में सजा के एलान के बाद उनकी विधायकी भी चली गई है.
Azam Khan: उत्तर प्रदेश की राजनीति में पहली बार ऐसा हुआ है कि हेट स्पीच के मामले में दोषी पाए जाने पर किसी विधायक की सदस्यता रद्द हुई हो. रामपुर की एमपी-एमएलए कोर्ट ने समाजवादी पार्टी नेता आजम खान को भड़काऊ भाषण के मामले में दोषी पाया और 3 साल की सजा सुनाई और उनकी रामपुर सदर सीट के विधायक की कुर्सी छिन गई. अब अगले 6 साल तक आजम खान चुनावी हुंकार नहीं भर सकते. इसी के साथ यूपी पॉलिटिक्स में 27 अक्टूबर का दिन इतिहास में दर्ज हो गया. विशेषज्ञों का कहना है कि एमपी-एमएलए कोर्ट का यह फैसला इसलिए अहम है, क्योंकि शायद आगे से कोई भी नेता अमर्यादित भाषा का इस्तेमाल करने से पहले सोचे.
अब चर्चा का विषय यह है कि इस 3 साल की सजा के मायने आजम खान के लिए क्या होंगे? सजा के एलान के कुछ समय बाद ही उन्हें जमानत मिल गई थी, इसलिए उन्हें जेल तो नहीं जाना पड़ेगा. लेकिन, उनके राजनीतिक करियर पर बहुत बड़ा संकट आ गया है. नियम यह है कि किसी विधायक को कोर्ट अगर कम से कम दो साल की सजा सुना दे, तो विधानसभा से उसकी सदस्यता रद्द हो जाती है. इसके बाद दोषी के ऊपरी कोर्ट में चुनौती देने के बाद अगर निचली अदालत का फैसला गलत पाया जाए, तो वह बाइज्जत बरी हो सकता है और उसे विधायकी भी वापस मिल सकती है.
अगले विधानसभा चुनाव में नहीं लड़ पाएंगे आजम खान?
हालांकि, बड़ी बात यह है कि कोर्ट के मामले कई साल तक विचाराधीन रहते हैं. ऐसे में जरूरी नहीं कि आजम खान जिस न्याय की उम्मीद कर रहे हैं, वह उन्हें जल्दी मिल जाए. आजम खान 6 साल तक चुनाव नहीं लड़ सकते. यह भी संभव है कि ऊपरी अदालत में याचिका दाखिल करने के बाद उनका मामला इतने साल तक विचाराधीन ही रहे. सपा नेता कोशिश पूरी करेंगे, लेकिन 2027 के यूपी विधानसभा चुनाव में वह अपनी भागीदारी शायद न दे सकें.
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क्या यह आजम खान के करियर का अंत?
दूसरी बड़ी बात यह है कि आजम खान का सियासी करियर 40 साल से ज्यादा का है. वह समाजवादी पार्टी के संस्थापक सदस्यों में से एक हैं और कई वर्षों का राजनीतिक अनुभव रखते हैं. साल 2022 में उनकी उम्र 74 साल हो गई है. 27 अक्टूबर 2022 को उनके राजनीतिक सफर पर 6 साल का बैन लग गया. यानी अब वह 2028 में वापस से चुनाव लड़ सकेंगे. तब तक आजम खान 80 वर्ष के हो जाएंगे. सवाल यह है कि क्या तब तक वह इस स्थिति में होंगे कि प्रदेश की राजनीति और विधानसभा संभाल पाएं? या फिर रामपुर कोर्ट के इस फैसले को आजम खान के सियासी सफर का अंत कहा जा सकता है?
चुनाव से पहले समाजवादी पार्टी पर पड़ सकता है बुरा असर
आजम खान के खिलाफ कोर्ट के इस फैसले का असर अखिलेश यादव पर भी पड़ेगा. प्रदेश में निकाय चुनाव आने वाले हैं और सपा के लिए मुस्लिम वोट बैंक काफी महत्वपूर्ण है. ऐसे में सपा का बड़ा मुस्लिम चेहरा, आजम खान की विधायकी छिन जाना वोटर्स को जो संदेश देगा, वह सपा के लिए अच्छा नहीं है. इसके अलावा, 2024 के लोकसभा चुनाव में भी आजम खान की भागीदारी नहीं होगी और 2027 के यूपी विधानसभा में आजम खान नहीं लड़ पाएंगे.