लखनऊ. हाथरस मामले में इलाहाबाद हाईकोर्ट की लखनऊ बेंच में सोमवार को सुनवाई हुई. इस दौरान कोर्ट ने हाथरस के स्थानीय प्रशासन को फटकाई लगाई. इस मामले में कोर्ट ने स्वत: संज्ञान लिया था. इस मामले कोर्ट अब दो नवंबर को अपना फैसला सुनाएगी. कोर्ट में यूपी सरकार का पक्ष एडिशनल एडवोकेट जरनल वीके शाही ने रखा.
इससे पहले सुनवाई के दौरान पीड़िता के परिवार ने अपनी बात रखते हुये कोर्ट में कहा कि उनको नहीं पता दाह संस्कार वाला शव उनकी बेटी का या किसी और का है. परिवार ने कहा बिना सहमति के ही अंतिम संस्कार कर दिया गया. पीड़िता की वकील सीमा कुशवाहा ने बताया कि कोर्ट में सरकार संतोषजनक जवाब नहीं दे पाई.
हाथरस कांड में आज की सुनवाई बंद कमरे के अंदर हुई. पीड़ित परिवार के अलावा डीजीपी, एडीजी लॉ एंड आर्डर, एसीएस होम के अलावा कमरे में कोई नहीं था. जयदीप नारायण माथुर और प्रदीप भट्टाचार्य भी सुनवाई में मौजूद रहे. कोर्ट ने दोनों वकीलों को हाथरस कांड में अपना सलाहकार बनाया है.
सीबीआई ने शुरु की जांच
गौरतलब है कि हाथरस केस में यूपी सरकार ने सीबीआई जांच की सिफारिश की थी. वहीं, शनिवार को सीबीआई ने यह केस अपने हाथों में ले लिया था. जांच एजेंसी ने रविवार को मुख्य आरोपी संदीप के खिलाफ धारा 307, 376 डी, 302, एससी/एसटी एक्ट की धारा 3 तहत केस दर्ज कर लिया है.
आपको बता दें कि सीबीआई की टीम रविवार को हाथरस पहुंची. इस दौरान टीम ने स्थानीय प्रशासन और पुलिस से सभी दस्तावेज मांगे हैं. इससे पहले 3 अक्टूबर को सीएम योगी आदित्यनाथ के निर्देश पर अपर मुख्य सचिव गृह अवनीश अवस्थी और डीजीपी हितेश चंद्र अवस्थी ने हाथरस पहुंचकर पीड़ित परिवार से मुलाकात की थी. इसके बाद सीबीआई जांच की सिफारिश की गई थी.
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