हाथरस कांड के सभी चारों आरोपियों ने जेल से SP को चिट्ठी लिखकर खुद को बेकसूर बताया है. चिट्ठी में कहा गया है कि आरोपियों की पीड़िता के साथ दोस्ती थी. दोनों की आपस में बातचीत भी होती थी, लेकिन मौके पर पिटाई आरोपियों ने नहीं की. बल्कि पीड़िता की मां और भाई ने पिटाई की, जिसके बाद उसकी मौत हो गई. चिट्ठी में चारों आरोपी संदीप, रामू, रवि और लवकुश के हस्ताक्षर और उनके अंगूठे के निशान भी हैं.
आरोपियों ने चिट्ठी में लिखा है कि उनकी लड़की से दोस्ती थी. फोन पर बात होती थी. इसी वजह से उस दिन मां और भाई ने लड़की की पिटाई की थी. ये लोग मौके पर बाद में पहुंचे थे. उन्हें पानी भी पिलाया था, लेकिन उल्टा उन्हें ही फंसा दिया गया. आरोपियों ने यूपी पुलिस से निष्पक्ष जांच की मांग की है.
पीड़िता के परिवार ने हाईकोर्ट में याचिका दायर की
उधर हाथरस में कथित तौर पर गैंगरेप और हत्या की शिकार युवती के परिवार ने इलाहाबाद हाईकोर्ट में याचिका दायर कर दावा किया है कि जिला प्रशासन ने अवैध रूप से उन्हें उनके घर में कैद कर रखा है. उन्हें इस कैद से छुटकारा दिलाया जाए और घर से बाहर जाने और लोगों से मिलने की अनुमति दी जाए. इस याचिका में पीड़िता के परिवार का प्रतिनिधित्व वाल्मीकि समाज के लिए काम करने वाला एक संगठन कर रहा है. पीड़िता के पिता, पीड़िता की मां, दो भाई और दो अन्य परिजन ने यह याचिका दायर की है.
इस याचिका में आरोप लगाया गया है कि 29 और 30 सितंबर को जिला प्रशासन ने याचिकाकर्ताओं को उनके घर में अवैध रूप से नजरबंद कर दिया और उन्हें किसी से मिलने नहीं दिया गया. हालांकि, बाद में कुछ लोगों को उनसे मिलने की अनुमति दी गई, लेकिन अब भी जिला प्रशासन याचिकाकर्ताओं को उनकी इच्छा से अपने घर से बाहर नहीं जाने दे रहा है.
याचिकाकर्ताओं का आरोप है कि उन्हें लोगों से मिलने या बातचीत करने से रोका गया है जिससे उनकी अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता और सूचना प्राप्त करने के अधिकारों का हनन हो रहा है.
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