हाथरस: हाथरस में अत्याचार की शिकार युवती के गांव में आज सुबह से ही पुलिसिया इंतजाम था. सुबह से ही पत्रकारों को गांव के बाहर ही रोक दिया गया और पुलिस के जवानों को तैनात कर दिया गया.


पुलिस के अधिकरी और जवान जो भी मौके पर थे, उनमें से किसी के पास कोई जवाब नही था कि क्यों रोका जा रहा है. दलील ये दी गई कि लखनऊ से आई तीन सदस्यों की एसआईटी जांच के लिए पहुंची है इसलिए रोका गया है.


एसआईटी की टीम परिवार के पास पांच घंटे तक रही. टीम ने पीड़ित परिवार से बात की. इस दौरान मीडिया के गांव में घुसने पर पूरी तरह से रोक थी. इतना ही नहीं एसआईटी की टीम के जाने के बाद भी किसी को अंदर नही जाने दिया गया.


SIT की टीम पीड़िता के घर सुबह करीब 9 बजे पहुंची. यह टीम करीब साढ़ें पांच घंटे तक रुकी रही. इस दौरान ABP न्यूज़ की टीम द्वारा कई बार कहने के बावजूद अंदर जाने की इजाजत नहीं दी गई.


दोपहर 2.28 मिनट पर SIT पीड़िता के परिवार से मिलकर रवाना हुई, फिर ठीक 8 मिनट बाद हाथरस के DM और SSP पूरे क़ाफ़िले के साथ पीड़िता के परिजनों से मिलने पहुंचे.


इस मामले में सवालों के घेरे में घिरे डीएम प्रवीन कुमार फिर परिवार के पास पहुंचे साथ में वर्दीधारी पुलिस कप्तान भी थे और उनका पूरा लाव लशकर भी. जाहिर है परिवार थोड़ा सहमा हुआ था. ये अधिकारी दो घंटे तक परिवार को समझाने के अंदाज में धमकाते रहे.


हालांकि डीएम साहब को अंदाजा नही था कि परिवार उनके रौब के आगे भले न कुछ बोले लेकिन उनकी बातों को अपने मोबाइल में रिकॉर्ड कर रहा था. डीएम साहब ने तरह-तरह की बातें कीं यहां तक बोले कि जो मिल रहा है उसे ले लें. डीएम साहब ने कोरोना का भी भय दिखाया और कहा कि लड़की अगर कोरोना से मर जाती तो क्या मिलता.


डीएम साहब यह असंवेदनशील बात बोलते वक्त यह भी भूल गए कि एक पिता ने अपनी बेटी खोई है और एक मां ने अपनी लाडली, लेकिन सत्ता और कुर्सी का नशा ही है जो डीएम ये बात कह गए .


डीएम साहब द्वारा कही यह बात कभी सामने नहीं आती अगर परिवार ने एबीपी न्यूज को इसकी क्लिप न भेजी होती. डीएम साहब ने यह भी कहा कि दो दिन में मिडिया चला जाएगा हम ही रहेंगे. उन्होंने कहा आज भी मिडिया वाले नहीं आए लेकिन ये बात छुपा गए कि गांव के बाहर खुद उन्होंने ही मीडिया रोक रखा था.


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