हाथरस कांड: मामले की सीबीआई जांच और मुकदमा दिल्ली स्थानांतरित करने के लिए न्यायालय में याचिका
हाथरस कांड को लेकर सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की गई है. याचिका में अपराध की जांच सीबीआई या शीर्ष अदालत या उच्च न्यायलाय के किसी पीठासीन या सेवानिवृत्त न्यायाधीश की अध्यक्षता में विशेष जांच दल से कराने का अनुरोध किया गया है.
नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट में बुधवार को एक याचिका दायर कर हाथरस में 19 वर्षीय दलित लड़की से सामूहिक दुष्कर्म और हत्या मामले की जांच सीबीआई या विशेष जांच दल से कराने और इस मामले को दिल्ली की अदालत में स्थानांतरित करने का अनुरोध किया गया है. ये याचिका सामाजिक कार्यककर्ता सत्यमा दुबे ने दायर की है. याचिका में अपराध की जांच सीबीआई या शीर्ष अदालत या उच्च न्यायलाय के किसी पीठासीन या सेवानिवृत्त न्यायाधीश की अध्यक्षता में विशेष जांच दल से कराने का अनुरोध किया गया है.
उत्तर प्रदेश के हाथरस जिले में 14 सितंबर को चार व्यक्तियों ने युवती के साथ कथित रूप से सामूहिक दुष्कर्म किया था. बुरी तरह जख्मी हालत में युवती को सोमवार को दिल्ली के सफदरजंग अस्पताल में इलाज के लिए भेजा गया जहां मंगलवार को उसकी मौत हो गई थी. युवती की रीढ़ की हड्डी में गंभीर चोट थी, शरीर लकवाग्रस्त था और उसकी जीभ कटी हुई थी. युवती को पहले अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय के जवाहरलाल नेहरू मेडिकल कॉलेज एवं अस्पताल में भर्ती कराया गया था, जहां से बाद में उसे सफदरजंग अस्पताल भेजा गया था.
दुष्कर्म के प्रयास का विरोध करने पर आरोपियों ने युवती की गला दबाकर हत्या करने का प्रयास किया था. मामले में चार आरोपियों को गिरफ्तार कर लिया गया है. याचिकाकर्ता ने इस मामले को सुनवाई के लिए दिल्ली स्थानांतरित करने का अनुरोध न्यायालय से किया है और आरोप लगाया है कि राज्य के प्राधिकारी आरोपियों के खिलाफ कोई भी कार्रवाई करने में विफल रहे. इन आरोपियों ने पहले दलित समुदाय की इस युवती से दुष्कर्म किया और फिर बुरी तरह से उसे जख्मी कर दिया. याचिका में कहा गया है कि मेडिकल रिपोर्ट के अनुसार पीड़िता की जीभ काट दी गई थी और उसके गले और रीढ़ की हड्डी को भी आरोपियों ने तोड़ दिया था.
याचिका में कहा गया है कि, ''याचिका एक सामाजिक कार्यकर्ता और महिला है, जो महिलाओं के साथ हो रहे अन्याय से आहत है और पेश मामले में भी संबंधित प्राधिकारियों ने कोई कार्रवाई नहीं की. यही नहीं, पुलिस ने मृतक के शव का अंतिम संस्कार भी कर दिया, जो उसके परिवार के साथ बहुत बड़ा अन्याय है.'' याचिका में दावा किया गया है कि पुलिस ने कहा था कि परिवार की इच्छा के अनुसार ही अंतिम संस्कार किया जा रहा है, जो सही नहीं है क्योंकि खुद पुलिसकर्मियों ने ही मृतक के शव का अंतिम संस्कार कर दिया और यहां तक कि मीडिया को इसकी रिपोर्टिंग करने से भी रोक दिया गया.
याचिका में ये भी कहा गया है कि, ''याचिकाकर्ता इस बर्बरतापूर्ण हमला, दुष्कर्म और हत्या की घटना की शिकार पीड़ित के लिए न्याय की गुहार कर रही है.'' याचिकाकर्ता इस मुकदमे की तेजी से सुनवाई सुनिश्चित करने का अनुरोध कर रही है.
पीड़ित का पार्थिव शरीर भारी पुलिस बंदोबस्त के बीच मंगलवार की शाम उत्तर प्रदेश ले जाने से पहले युवती के पिता और परिवार के सदस्य सफदरजंग अस्पताल के बाहर धरने पर बैठ गए, इससे वहां अचानक ही विरोध प्रदर्शन शुरू हो गया था. इस घटना के बाद समाज के विभिन्न वर्गों ने पीड़ित के लिए न्याय की मांग को लेकर जगह-जगह विरोध प्रदर्शन किया था.
यह भी पढ़ें: