Hathras Gangrape Case: क्या हाथरस में नहीं हुआ था रेप? अदालत ने तीन आरोपियों को किया बरी, एक को इस मामले में उम्रकैद
Hathras Gangrape Case: हाथरस मामले में कोर्ट ने फैसला सुना दिया है, एससी/एसटी अदालत ने इस मामले में गुरुवार को एक व्यक्ति को दोषी ठहराया और तीन अन्य को बरी कर दिया.
Hathras Rape Case: हाथरस कांड को लेकर कोर्ट ने फैसला सुना दिया है. हाथरस केस के चार आरोपियों में से कोर्ट ने एक को दोषी माना है और तीन को बरी किया है. हाथरस कांड में कोर्ट ने रेप के केस में चारों आरोपियों को बरी किया है. हालांकि कोर्ट ने आरोपी संदीप को धारा 3/110 SC-ST एक्ट और 304 ipc के तहत दोषी माना है. कोर्ट ने संदीप को आजीवन कारावास और 50 हजार रुपये के जुर्माने की सजा सुनाई है. एससी/एसटी अदालत ने गुरुवार को हाथरस मामले में एक व्यक्ति को दोषी ठहराया और तीन अन्य को बरी कर दिया. कोर्ट ने माना कि चार आरोपी संदीप (20), रवि (35), लव कुश (23) और रामू (26) में से संदीप अपराध का दोषी था.
वहीं हाथरस कांड में फैसला आने के बाद बरी हुए लोगों के परिवारजनों में खुशी की लहर है. बरी हुए लवकुश के परिजनों ने न्यायालय के फैसले पर खुशी जताई है. वहीं कोर्ट के फैसले पर लवकुश के परिजनों ने कहा कि इस मामले में हमें भगवान और न्यायालय पर पूरा भरोसा था. हाथरस कांड की पीड़िता पक्ष के वकील महिपाल सिंह ने मीडिया के सामने कोर्ट का फैसला बताते हुए कहा कि कोर्ट ने मुख्यारोपी संदीप पर एससी/एसटी एक्ट और आईपीसी की धारा 304 के तहत दोष सिद्ध हुआ है. वहीं फैसला आने के बाद लड़की के परिवार ने कहा कि वह अदालत के फैसले से संतुष्ट नहीं है और कहा कि वह इस मामले की हाई कोर्ट में अपील करेंगे.
जानें क्या था हाथरस कांड
पश्चिमी उत्तर प्रदेश के हाथरस जिले के बूलगढ़ी गांव में सितंबर 2020 में में एक 19 वर्षीय दलित युवती के साथ रेप का मामला सामने आया था. इस मामले में गांव के चार युवक आरोपी थे, वहीं पीड़िता की दिल्ली के सफदरजंग अस्पताल में इलाज के दौरान घटना के 15 दिन बाद मौत हो गई थी. चार लड़कों पर आरोप था कि उन्होंने युवती की गला दबाकर हत्या करने की कोशिश की थी. वहीं इस मामले में युवती के भाई ने गांव के ही संदीप ठाकुर के खिलाफ मुकदमा दर्ज कराया था. हालांकि बाद में युवती के बयान के आधार पर गांव के ही तीन अन्य युवक लवकुश सिंह, रामू सिंह और रवि सिंह को भी इस केस में आरोपी बनाया गया. इस घटना को लेकर बड़े स्तर पर विरोध प्रदर्शन हुआ था, क्योंकि पुलिस ने बिना परिजन की अनुमति के युवती का अंतिम संस्कार रात में कर दिया था.
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