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हाथरस पूछ रहा प्रशासन, स्वास्थ्य मंत्री, जनता और सरकार से 24 सवाल, कौन देगा जवाब?

Hathras Stampede: उत्तर प्रदेश में हाथरस के सत्संग में 121 लोगों की जान चली गई. अब सवाल वही कि हाथरस में जो लोग कल मारे गये उसका जिम्मेदार कौन है.

Hathras Stampede Latest Updates: दर्द ,जख्म ,आंसू ,परेशानी ,नाराजगी और गुस्सा हाथरस का हादसा इतना बड़ा है कि ये तमाम शब्द छोटे पड़ चुके हैं. हंसते खेलते सैकड़ों परिवार में मौत का मातम है. किसी ने बहन को खोया है तो किसी की मां और किसी की बेटी हमेशा हमेशा के लिए दूर चली गई है.

सवाल ये कि हाथरस में जो हुआ उसका जिम्मेदार कौन है ? कौन हैं वो लोग जिन्होंने अपनी जिम्मेदारी नहीं निभाई और सौ से ज्यादा लोगों की मौत की वजह बन गए. पुलिस की जांच जारी है. सूबे के आला अधिकारी कल से ही हाथरस के फुलरई गांव में हैं. सीएम योगी आदित्यनाथ भी दोपहर को हाथरस पहुंचे. घटनास्थल पर गये. पूरी रिपोर्ट ली और घायलों से मिले.

FIR में क्या है?
सवाल फिर वही कि हाथरस में जो लोग कल मारे गये उसका जिम्मेदार कौन है? पुलिस ने जो एफआईआर दर्ज की है उसमें आयोजकों पर जिम्मेदारी डाली है. 
 
एफआईआर के अनुसार कार्यक्रम के मुख्य प्रवचन कर्ता सूरजपाल उर्फ भोले बाबा प्रवचन के बाद गाड़ी से जा रहे थे तब लोगों ने गाड़ी गुजरने के रास्ते से धूल समेटना शुरू कर दिया. कार्यक्रम स्थल से निकल रही भीड़ के दबाव के कारण नीचे बैठे और झुके श्रद्धालु दबने कुचलने लगे. जीटी रोड के दूसरी ओर लगभग तीन मीटर गहरे खेतों में भरे पानी एवं कीचड में बेतहाशा दबती कुचलती भागती भीड को आयोजन समिति और सेवादारों ने डंडों से जबरदस्ती रोक दिया जिसके कारण दवाब बढ़ा और लोग कुचलते चले गये.

यूपी में 'बाबा' के खिलाफ क्यों खामोश खड़े हैं बाबा के बुलडोजर? अब उठ रहे ये सवाल

ये हैं वो सवाल जिनके जवाब का इंतजार-
- सवाल ये कि क्या हाथरस का प्रशासन भीड़ का अंदाजा नहीं लगा सका ?
- भीड़ ज्यादा जुटी तो प्रशासन ने रोकने के कोशिश क्यों नहीं की ?
- 80 हजार की परमिशन तो 2.5 लाख लोग कैसे पहुंच गए ?
- ज्यादा भीड़ जुटी तो आला अधिकारियों को जानकारी दी या नहीं ?
- भीड़ की सुरक्षा और भगदड़ रोकने के लिए इंतजाम क्यों नहीं किये थे ?

प्रशासन से सवाल

1. 80 हजार की परमिशन 2.5 लाख की भीड़ कैसे जुटी? 

2. साकार हरि के सेवादारों के सहारे 2.5 लाख लोगों को क्यों छोड़ा?

3.FIR में बाबा साकार हरि का नाम क्यों नहीं?

4. करीब 2 बजे घटना के बाद बाबा मैनपुरी गया, क्यों नहीं रोका? 

5. बाबा को हाथरस से मैनपुरी जाने में लगे होंगे 3 घंटे, क्या आप सोते रहे?

6. 24 घंटे से बाबा को पकड़ पाने में यूपी पुलिस क्यों है नाकाम?

सरकार से सवाल
1. हर बार लाखों की भीड़ जुटती है सरकार ने गाइडलाइंस क्यों नहीं तय की?

2.बिना इंतजामों के ऐसे बड़े आयोजन की परमिशन क्यों मिल जाती है?

3.पहले हुए इस तरह के हादसों से सबक क्यों नहीं लिया जाता?

4. सिर्फ आयोजकों पर कार्रवाई से क्या 121 मौतों के जख्म भरे जा सकते हैं? 

 स्वास्थ्य मंत्री से सवाल
1. 24 घंटे से ज्यादा का वक्त बीता, आपकी चुप्पी की वजह क्या?

2.हादसे के 24 घंटे बीतने के बाद भी आप हाथरस क्यों नहीं गए?

3.अस्पताल की दयनीय स्थिति के काऱण लोग मरे, आप फिर भी चुपचाप देखते रहे?

4.अस्पताल में डॉक्टर, दवा, ऑक्सीजन कुछ नहीं था, आपने देखा क्या?

जनता से सवाल
1.अंधविश्वास की जद में आकर कब तक जान गंवाएंगे?

2.आधुनिक युग में ढोंगी बाबाओं के चंगुल में कब तक फंसते रहेंगे?

3.121 लोग बाबा के लिए मर गए, उसने अब तक एक शब्द भी क्यों नहीं बोला?

4.क्या किसी के पैरों की धूल आपकी जान से ज्यादा कीमती है?

5.क्या सूरजपाल उर्फ भोले बाबा मृतकों के परिवार बोझ उठाएगा? 
 
हाथरस का खुफिया विभाग क्या कर रहा था ?
ये वो सवाल हैं जिसका जवाब देश जानना चाहता है. ये तो रही कार्यक्रम स्थल की तैयारी की बात. सवाल तो इस बात का भी है कि जब लोग भीड़ में गिरने और दबने कुचलने लगे तब पुलिस और प्रशासन की टीम कहां थी? सवाल उठने के बाद पुलिस अधिकारी चुप्पी साधे हुए हैं. सोशल मीडिया पर बाबा के कार्यक्रमों के जो पुराने वीडियो मौजूद हैं उसमें साफ तौर पर दिख रहा है कि लाखों की भीड़ जुटती है. तो फिर हाथरस का खुफिया विभाग क्या कर रहा था ?

ऐसा नहीं है कि जिम्मेदारी निभाने में सिर्फ पुलिस और प्रशासन फेल रहा. हाथरस कांड में लापरवाही का मानो चक्रव्यूह सा रचा गया था. पुलिस,प्रशासन ,स्वास्थ्य विभाग और आयोजक.इन चारों की लापरवाही के चक्रव्यूह में फंस कर सौ से ज्यादा महिला, पुरुष और बच्चों की जान गई. 

और बात सिर्फ लापरवाही ही की नहीं है. आगरा के जिला अस्पताल में भर्ती घायल महिला के पति ब्रजमोहन जो बता रहे हैं वो अलग ही एंगल दे रहा है. ब्रजमोहन दावा कर रहे हैं कि शुरुआत में 10- 15 बाहरी लोगों ने धक्का मुक्की की..ये बाहरी लोग कौन थे. ये बाबा से जुड़े लोग थे, प्रशासन से जुड़े थे या फिर कोई और ? बाबा के सत्संग में शीला मौर्या नाम की महिला कांस्टेबल की ड्यूटी लगी थी.. घाय़ल शीला अस्पताल में भर्ती हैं और जो बता रही हैं वो अलग ही कहानी है.

शीला मौर्य ने कहा कि भगदड़ नहीं मची थी, आंखों के सामने अचानक से अंधेरा छा गया मैं गिर गई. शीला की आंखों के सामने अंधेरा क्यों छाया इसकी क्या वजह हो सकती है ये जांच में ही सामने आएगा.

एबीपी न्यूज की पड़ताल में घटना को लेकर जो बातें सामने आई हैं उसमें मुख्य रूप से 3 चीजें प्रमुख हैं 

पहली तो ये कि चरणों की धूल के लिए लोग झुके थे भीड़ को बाबा के सेवादारों ने रोका और भगदड़ मच गई.

दूसरी ये कि चश्मदीद बता रहे हैं कि 10-15 लोगों ने धक्का मुक्की की जिससे भगदड़ मची.

तीसरी ये जो महिला कांस्टेबल बता रही हैं कि आंखों के सामने अंधेरा छा गया .

सवाल बाबा पर भी
हाथरस हादसे को लेकर आयोजक पर तो सवाल उठ ही रहे हैं. सवाल बाबा पर भी है. पुलिस आयोजकों को तलाश रही है.सिर्फ आयोजकों को जिम्मेदार ठहराकर जिम्मेदारी से पल्ला नहीं झाड़ा जा सकता है. 

हाथरस हादसे के चक्रव्यूह का एक हिस्सा भर हैं आयोजक. जिम्मेदारी प्रशासन, पुलिस और स्वास्थ्य विभाग की भी तो बनती है. अब सवाल ये कि इन विभागों में जो लोग जिम्मेदार पदों पर बैठे हैं.. जिनकी जिम्मेदारी थी सब कुछ सही से कराने की वो क्या कर रहे थे 

प्रशासन- पुलिस और स्वास्थ्य विभाग की. कमियां तीनों जगह है. कल जिस जगह सत्संग सुनने के लिए लोगों की भीड़ लगी थी आज बारिश की वजह से वहां पानी भरा हुआ है. गुस्साए कुछ लोगों ने बाबा के पोस्टर पर ईंट पत्थर फेंके हैं. 

कहां हैं बाबा के सेवादार?
बाबा के इस कार्यक्रम का आयोजन जिन लोगों ने किया था उनके नाम कार्यक्रम स्थल के पास लगे पोस्टर पर लिखे हुए हैं

देव प्रकाश मधुकर ,महेश चंद्र ,अनार सिंह ,संजू यादव ,चंद्र देव ,राम प्रकाश

एबीपी न्यूज के रिपोर्टर ने हाथरस से लेकर एटा तक इन आयोजकों की तलाश की. घर घर गये, बात करने की कोशिश की लेकिन सबके फोन ऑफ मिले. ज्यादातर आयोजक हाथरस के दमदपुरा मोहल्ले के रहने वाले हैं. सिर्फ अनार सिंह की पत्नी से मुलाकात हुई.

अनार सिंह की पत्नी ने बताया कि मुख्य आयोजक देव प्रकाश मधुकर था. हमारी टीम मधुकर के घर पहुंची तो वहां ताला लगा था. देव प्रकाश मधुकर ग्राम पंचायत में सचिव है और परिवार के साथ ही कल सुबह से इसका पता नहीं है.

न बेड, बिस्तर, स्ट्रेचर
एफआईआर में देव प्रकाश मधुकर को पुलिस ने भी मुख्य आरोपी बनाया है. पुलिस की एफआईआर के मुताबिक करीब 80 हजार लोगों के जुटने की इजाजत मांगी गई थी. लेकिन ढाई लाख से ज्यादा लोग कार्यक्रम में पहुंच गये.

 2.5 लाख के पुलिस के दावे की पुष्टि करता है ये वीडियो. हो सकता है 2.5 लाख से भी ज्यादा की भीड़ रही हो.. क्योंकि बताया जा रहा है कि 3 किलोमीटर तक जाम की स्थिति बनी हुई थी.

सवाल तो ये भी है कि जब इतनी भीड़ जुट गई थी तो फिर प्रशासन और स्वास्थ्य विभाग ने स्थानीय स्तर पर तैयारी क्यों नहीं की थी? कल जब लाशों को अस्पताल लाया गया तो किसी को टैंपो में लाया तो किसी को पिकअप वैन में.अस्पताल में भी न तो डॉक्टरों की तैयारी थी.. न बेड, बिस्तर, स्ट्रेचर की. लाशें बरामदे में पड़ी हुई थी.

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