हाथरस वाला बाबा मिल भी गया तो क्या कर लेगी यूपी पुलिस? अब उठ रहे हैं ये सवाल
हाथरस हादसे को बीते 2 दिन से ज्यादा का वक्त बीत गया है. अब भी तमाम मृतकों की शिनाख्त नहीं हो पाई है और उनकी बॉडी अलग-अलग अस्पतालों में पड़ी है.
हाथरस में 121 लोगों की मौत के बाद उत्तर प्रदेश की पुलिस बाबा भोले की तलाश कर रही है. बाबा की तलाश में यूपी पुलिस की टीमें हाथरस, एटा, कासगंज ,मैनपुरी, इटावा फर्रूखाबाद, मथुरा, आगरा ,मेरठ और कानपुर जैसे शहरों में छापेमारी कर चुकी है. पुलिस के हाथ अब तक कुछ भी नहीं लगा है, लेकिन सवाल है कि अगर यूपी पुलिस को बाबा मिल भी गया तो पुलिस क्या ही कर लेगी. क्या यूपी की पुलिस बाबा को गिरफ्तार करेगी. या फिर बाबा से सिर्फ सेवादारों के नाम, उनका पता और उनकी लोकेशन लेकर बाबा को छोड़ देगी. क्या पुलिस के हाथ लगने के बाद भी बाबा साफ बच जाएगा. आखिर क्या होगा बाबा का अगर वो पुलिस के हाथ लग भी गया तो, आज बात करेंगे विस्तार से.
हाथरस हादसे को बीते 2 दिन से ज्यादा का वक्त बीत गया है. अब भी तमाम मृतकों की शिनाख्त नहीं हो पाई है और उनकी बॉडी अलग-अलग अस्पतालों में पड़ी है. इस बीच बाबा भोले उर्फ नारायण साकार हरि उर्फ नारायण विश्वहरि की तलाश में उत्तर प्रदेश पुलिस की टीम अलग-अलग ठिकानों पर दबिश दे रही है. हाथरस में जहां ये हादसा हुआ, वहां के आस-पास के गांवों के सेवादारों को हिरासत में लेकर पूछताछ भी की जा रही है. बाबा तक पहुंचने के लिए यूपी पुलिस दिल्ली, उत्तराखंड, हरियाणा और पंजाब पुलिस की भी मदद ले रही है, लेकिन पुलिस को बाबा मिल नहीं रहा है. वहीं बाबा ने एक स्टेटमेंट जारी कर खुद को निर्दोष करार दिया है. और यही काम बाबा के वकील एपी सिंह ने भी किया है. ये वही एपी सिंह हैं, जिन्होंने निर्भया के दोषियों की फांसी कई बार टलवाई और सीमा हैदर का भी केस लड़ा. अब वो बाबा के बचाव में दलील दे रहे हैं.
लेकिन असली सवाल तो ये है कि क्या बाबा को बचाव के लिए किसी वकील की जरूरत है. शायद नहीं, क्योंकि 121 लोगों की मौत, 100 से ज्यादा घायल और इतने बड़े हादसे के बावजूद पुलिस के मुकदमे में सिर्फ एक सेवादार और कुछ अज्ञात लोग हैं, बाबा तो इस केस में कहीं है ही नहीं. तो फिर पुलिस चाहे जितनी दबिश दे, चाहे जहां तलाश करे, चाहे जिससे पूछताछ करे, वो बाबा तक पहुंचकर करेगी भी क्या. क्योंकि कोई केस तो है ही नहीं. और अगर लोगों के दबाव में पुलिस ने कोई केस दर्ज कर भी लिया तो बचाने के लिए तो एपी सिंह हैं हीं.
बाकी तो पुलिस भले ही 30 से ज्यादा लोगों को हिरासत में लेकर पूछताछ कर रही हो, कॉल रिकॉर्ड खंगाल रही हो, लेकिन हकीकत यही है कि कानून के लंबे हाथ बाबा के किसी भी खास आदमी तक नहीं पहुंच सके हैं, बाबा की बात तो छोड़ ही दीजिए. कॉल रिकॉर्ड खंगालकर पुलिस को पता है कि 2 जुलाई को हादसे के ठीक बाद बाबा ने किससे किससे बात की, कितनी देर बात की. पुलिस को ये भी पता चल गया है कि हाथरस से निकलकर हादसे के बाद बाबा अपने मैनपुरी वाले आश्रम में गया था. लेकिन पुलिस उस आश्रम में तब पहुंची जब बाबा वहां से अपने लोगों को निकालकर जा चुका था. तो सवाल तो पुलिस पर हैं हीं. क्या वाकई पुलिस बाबा तक पहुंचना चाहती है या फिर मंशा कुछ और है. क्योंकि बाबा तक पहुंचने के बाद पुलिस क्या करेगी, ये शायद उसे भी नहीं पता. और ये भी नहीं पता कि आखिर पुलिस बाबा को खोज ही क्यों रही है, जब पुलिस के मुताबिक उसका इस पूरे कांड से कोई लेना देना ही नहीं है, जिसमें 121 निर्दोषों की मौत हो चुकी है.
बाकी तो जो सरकारी प्रक्रिया होती है, वो जारी है. मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के आदेश पर इलाहाबाद हाईकोर्ट के रिटायर्ड जज बृजेश श्रीवास्तव की अध्यक्षता में तीन सदस्यीय टीम इस पूरे मामले की जांच में भी जुट गई है. टीम दो महीने में रिपोर्ट देगी. वहीं ऐसे भीड़ भाड़ वाले आयोजन के लिए एसओपी बनाने का भी निर्देश दिया गया है, जिसके तहत भीड़ एक हजार की हो या फिर एक लाख की, उसका पालन करना ही होगा. लेकिन सवाल जस का तस है कि इस बाबा को लेकर आखिर यूपी पुलिस की मंशा क्या है, जिसके सत्संग में 121 लोगों की मौत हो गई और पुलिस अब तक ऐसा कुछ भी नहीं कर पाई है कि उसके इकबाल पर सवाल न खड़े किए जाएं.