अलीगढ़ जेल पहुंचे नारायण साकार हरि के वकील डॉ एपी सिंह, हाथरस कांड के मुख्य आरोपी से की मुलाकात
UP News: हाथरस कांड में मुख्य आयोजक देव प्रकाश मधुकर अलीगढ़ की जेल में बंद है. बाबा साकार हरि के अधिवक्ता डॉ एपी सिंह अलीगढ़ जेल पहुंचकर उनसे मुलाकात की.
Hathras News: हाथरस के सिकंद्राराऊ में 2 जुलाई को नारायण साकार हरि के सत्संग में भगदड़ में 121 से ज्यादा लोगों की मौत हो गई थी. पुलिस ने मुख्य आयोजक देव प्रकाश मधुकर सहित अन्य लोगों को आरोपी बनाया था. पुलिस ने मुख्य आरोपी मधुकर को गिरफ्तार कर अलीगढ़ जेल भेज दिया था. मधुकर के साथ उस मामले से जुड़े कई और लोग भी अलीगढ़ जेल में बंद है. आज उन लोगों से मिलने सुप्रीम कोर्ट व बाबा साकार हरि के अधिवक्ता डॉ एपी सिंह अलीगढ़ जेल पहुंचे. उन्होंने अलीगढ़ जेल में बंद उन सभी लोगों से बातचीत की.
मीडिया से बात करते हुए एपी सिंह ने कहा कि 2 जुलाई को घटना हुई मानव मंगल मिलन सद्भावना समागम की उसमें 9 पुरुष है दो महिलाएं हैं. कुछ को हमने एसआईटी के सामने समर्पण किया था. जैसे मधुकर अस्पताल में इलाज करा रहा था उसको वहां से सौंपा था. वह सब ज्यूडिशरी कस्टडी में इनको भेजा गया था और एसआईटी ने इनसे पूछताछ कर ली. अब इन्हें न्यायालय में पेश करके इन्हें यहां भेजा गया है. इन सबसे मुलाकात की है. वह रह तो ठीक रहे हैं यहां कोई मानव अधिकारों के हनन जैसी कोई बात नहीं है. जो बीमार है उनका इलाज दिया जा रहा है कुछ गंभीर बीमारियों से ग्रसित है उनका इलाज चल रहा है लेकिन प्रक्रिया है जेल की. वह सारी उसमें उन्होंने भी वही चीज बताई है जो इस घटना में हुई थी जो मुझे वहां इंजर्ड ने बताई थी जो मैं अस्पताल गया था जो उन्होंने बताया था.
"15-16 लोगों ने जहरीला स्प्रे लेकर मचाई भगदड़"
उन्होंने कहा कि, एक व्यक्ति उसमें था ही नहीं यहां पर वह अन्यंत्र था उसकी अलग प्रोसिडिंग करूंगा मैं, लेकिन 10 लोगों ने यही बात बताई की 15 -16 लोग जहरीला स्प्रे लेकर उन्होंने भगदड़ की और उनकी गाड़ियां एटा की तरफ काली सफेद स्कॉर्पियो बोलोरो थी, वह सबको बिठाकर ले गए. यह घटना हुई और इससे पहले 30 से 35 मिनट पहले नारायण साकार हरि जी वहां से जा चुके थे. साजिश थी षड्यंत्र था. साजिश षड्यंत्र को मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कहा है. जिस षड्यंत्र के बारे में नारायण साकार हरि जी को जब पता चला कि जब लोगों ने उन्हें बताया सेवादारों ने तो उन्होंने भी अपने स्टेटमेंट में कहा है और मैं भी इसमें शुरू से ही यह बता रहा हूं. आपके सामने सब कुछ पता चल रहा है.
उन्होंने इस घटना को लेकर कहा कि, सनातन धर्म को बदनाम करने की साजिश थी. वह साजिश नारायण साकार हरि मानव मंगल मिलन को बदनाम करने की थी. वह साजिश उत्तर प्रदेश की सरकार को बदनाम करने की साजिश थी. उत्तर प्रदेश सरकार को बदनाम किया जाए और वह साजिश राजनीतिक दलों की भी हो सकती है. जो उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को अस्थिर करना चाहते हैं.
राजनीतिक दल कर रहे राजनीति
आपको भी याद है कि हाथरस रेप प्रकरण भी हुआ था उस समय भी इसी तरह की साजिश रच करके जिनका ट्रायल भी हमने किया और आरोपित हुए. यहीं से आरोपित हुए सीबीआई केस था उसे समय भी राजनीतिक दलों ने हाथरस के वूलगढ़ी को भी उन्होंने अपना इशू बना लिया था. इसमें भी राजनीति कर रहे हैं. वह पूरी तरह से निर्दोष है उनका कोई इससे लेनदेन नहीं है. वह 30 से 35 मिनट पहले पंडाल से जा चुके थे. पंडाल में बीच में नेशनल हाईवे है एक रास्ता अलीगढ़ के लिए जाता है और एक एटा के लिए जाता है जिस तरफ एटा की तरफ जाते हैं उसे लेफ्ट साइड में जब अलीगढ़ की आते हैं उसके राइट साइड में पंडाल था और लेफ्ट साइड में घटना हुई. उस जहरीले पदार्थ से मृत्यु हुई और उसके बाद भगदड़ हुई.
मैं उत्तर प्रदेश की महामहिम राज्यपाल का सम्मान भी करता हूं क्योंकि उन्होंने मुझे एक प्रकरण में राहत भी दी थी वह बहुत सम्माननीय है माननीय है. मैं भी आपके सामने कहना चाहता हूं कि किसी भी व्यक्ति को अंधविश्वास पाखंड में नहीं पढ़ना चाहिए. कोई ऐसा कारण नहीं है जो किसी के उस बीमारियां दूर हो जाए चाहे कुछ भी हो सही हो जाए. यह कभी नहीं होता है यह इलाज से सही होता है. यह अंधविश्वास है.
उन्होंने अपने बयान में कहा कि, नारायण साकार हरि ने कभी नहीं कहा यह अंधविश्वास है. वह मानवता भाईचारा भलाई सत्य का साथ यह सब है. नारायण साकार हरि के यहां पर पैर छूने का भी प्रचलन नहीं है. पैर भी वहां छुए नहीं जाते हैं. चरण रज की बात करें तो उनके पंडाल में पीछे से पहुंचे वहां कारपेट बिछी हुई थी. कारपेट से ऊपर चढ़कर गए मंच पर गए अपनी ब्रह्म वाणी दी. उसके बाद नीचे उतर कर चले आए. सैंडल या जूते वह पहने रहते हैं. कार्पेट पर चलकर कार्पेट पर गाड़ी खड़ी होती है कार्पेट पर गाड़ी से चले गए. वहां चरण रज की कोई बात नहीं होती है.
उन्होंने कहा कि, नारायण साकार हरि वह कभी लंबे काफिले में नहीं चलते हैं ना उनके पास कोई गाड़ी है. बड़ी जिम्मेदारी के साथ मैं कह रहा हूं कि उनके नाम कोई आश्रम नहीं है. उन्हें जो वीआरएस पुलिस की पेंशन मिलती है उससे अपना जीवन यापन करते हैं. कभी किसी के भोजन करते नहीं, किसी होटल रेस्टोरेंट किसी के निवास पर रहते नहीं, आश्रम में रहते हैं. आश्रम की व्यवस्था आयोजन कमेटी या आयोजन समिति करती है.