आगरा: एक तरफ सरकार जहां वैक्सीन को लेकर चारों तरफ जागरूकता अभियान चला रही है, वहीं दूसरी तरफ ताज नगरी आगरा में एक ऐसा मामला सामने आया है जो यह स्पष्ट कर देता है कि किस तरीके से वैक्सीन को लेकर लापरवाही बरती जा रही है. 


वैक्सीन लगी नहीं...और मैसेज आ गया


दरअसल 28 वर्षीय हीरेन्द्र नरवार मधु नगर देवरी रोड के निवासी हैं. कोरोना महामारी को लेकर इन्होंने भी वैक्सीन लगवाने के लिए अपना रजिस्ट्रेशन कराया. इनको वैक्सीन की डेट पांच जून समय दोपहर 11 से 2 बजे दिया गया. हीरेन्द्र खुशी खुशी पोर्टल पर दिए हुए सेंटर विभव नगर पहुंचते हैं. जहां अपनी डिटेल देने पर स्वास्थ्य कर्मी इनसे कहते हैं कि आपका रिकॉर्ड शो नहीं हो रहा आप इंतजार करिए. करीब आधा घंटे इंतजार के बाद भी जब शो नहीं हुआ तो हीरेन्द्र बिना वैक्सीन लगवाए घर वापस आ गए. ताज्जुब की बात ये है कि, कुछ देर बाद ही हीरेन्द्र के मोबाइल पर एक मैसेज आता है और उसमें लिखा होता है, कि हीरेन्द्र आपको पहली डोज कोवीशिल्ड सफलतापूर्वक लगा दी गयी है.


स्वास्थ्य विभाग ने फिर की लापरवाही 


इस मैसेज के बाद हीरेन्द्र परेशान हो जाता है, वो स्वास्थ्य विभाग द्वारा दिये गए कुछ हेल्प लाइन नंबरों पर फ़ोन करता है और वहां से उसे जवाब मिलता है कि आप आज की बात भूल जाइए और दो दिन बाद सोमवार सात जून को उसी विभव नगर सेंटर पर चले जाइये आपको वैक्सीन लग जायेगी. इस पर हीरेन्द्र ने राहत की सांस ली और सात जून को दिए हुए समय पर सेंटर पहुंच गया. यहां हीरेन्द्र को वैक्सीन लगा दी गयी, और जो सरकारी कार्ड दिया उसमें जो वैक्सीन लगाई गई कोवेक्सिन उसे अंकित कर दिया गया. कार्ड में यह भी लिखा गया कि दूसरी कोवैक्सीन डोज आपको एक महीने बाद लगवानी है. इसके बाद हीरेन्द्र घर आ गए. 


कोवैक्सीन या कोवीशील्ड


वैक्सीन लगवाने के एक दिन बाद हीरेन्द्र ने जब अपने सर्टिफिकेट के लिए आरोग्य सेतु खोला और सर्टिफिकेट डाउनलोड किया तो हीरेन्द्र फिर परेशान हो गया उसके सर्टिफिकेट पर वैक्सीन का नाम कोवीशिल्ड लिखा हुआ था, जबकि उसने कोवेक्सीन लगवाई थी जो सरकारी कार्ड में भी अंकित की गई. अब वीरेंद्र परेशान और चिंतित है कि आखिर वो यकीन किस पर करे?  सेंटर से मिले सरकारी कार्ड पर या आरोग्य सेतु से मिले सर्टिफिकेट पर . वो समझ नहीं पा रहा है कि उसे अब कोवीशिल्ड लगवानी है या कोवेक्सीन. हीरेन्द्र स्वास्थ्य अधिकारियों से अपील कर रहा है, कि उसे बताया जाए कि आखिर ये लापरवाही कैसे और क्यों हुई? क्या सिर्फ वही इसका शिकार हुआ और और भी ऐसे लोग हैं जिनके साथ ऐसा हुआ. 


अब इस वाकये के बाद समझ नहीं आता कि यक़ीन किस पर किया जाए? एक तरफ जागरूकता और दूसरी तरफ लापरवाही, आखिर कौन है इसका जिम्मेदार. 


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