Shamsi Jama Masjid vs Neelkanth Temple case: बदायूं में शम्सी जामा मस्जिद बनाम नीलकंठ मंदिर मामले की सुनवाई एक अधिवक्ता के निधन की वजह से मंगलवार को नहीं हो सकी. शम्सी शाही मस्जिद इंतजामिया कमेटी एवं वक्फ बोर्ड के वकील असरार अहमद ने कहा कि मामले की सुनवाई अब 17 दिसंबर को होगी. अदालत ने तीन दिसंबर को मुस्लिम पक्ष से 10 दिसंबर तक अपनी दलीलें पूरी करने को कहा था.
दीवानी न्यायाधीश (सीनियर डिवीजन) अमित कुमार सिंह ने सुनवाई की अगली तारीख 10 दिसंबर तय की थी. यह मामला 2022 में शुरू हुआ था जब अखिल भारत हिंदू महासभा के तत्कालीन संयोजक मुकेश पटेल ने दावा किया था कि मस्जिद स्थल पर नीलकंठ महादेव मंदिर था. यह मामला पड़ोसी संभल जिले में पिछले महीने एक मस्जिद के सर्वेक्षण के अदालती आदेश के खिलाफ विरोध प्रदर्शन के दौरान हुई हिंसा के बाद सुर्खियों में आया.
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2022 में दर्ज हुआ है मामला
बदायूं की जामा मस्जिद के बारे में याचिकाकर्ताओं का दावा है कि यह मस्जिद एक पुराने मंदिर को नष्ट करके बनाई गई थी. शम्सी जामा मस्जिद सोथा मोहल्ला नामक एक ऊंचे क्षेत्र पर बनी है और इसे बदायूं शहर की सबसे ऊंची इमारत माना जाता है. इसे देश की तीसरी सबसे पुरानी और सातवीं सबसे बड़ी मस्जिद भी माना जाता है जहां एक बार में 23,500 लोग आ सकते हैं.
हिंदू नेता मुकेश पटेल ने किया 2022 में जामा मस्जिद में महादेव मंदिर होने का दावा था. मुस्लिम पक्ष को सुनने के बाद हिंदू पक्ष को सुना जाएगा. मामले में सरकार की ओर से बहस पूरी हो चुकी है, पुरातत्व विभाग ने इसे अपनी संपत्ति बताया है.