प्रयागराज. यूपी में कोरोना संक्रमण को लेकर एक जनहित याचिका पर आज फिर इलाहाबाद हाईकोर्ट में सुनवाई होगी. कोर्ट ने सरकार से मेडिकल कॉलेजों के अपग्रेडेशन प्लान के साथ मांगी रिपोर्ट है.


बता दें कि पिछली सुनवाई के दौरान हाईकोर्ट ने यूपी में स्वास्थ्य सुविधाओं को लेकर तल्ख टिप्पणी की थी. कोर्ट ने कहा था कि यूपी के छोटे शहरों और गांवों में स्वास्थ्य सेवाएं 'राम भरोसे' हैं. इसके अलावा हाईकोर्ट ने योगी सरकार को खुद वैक्सीन बनाने और दूसरी कंपनियों को वैक्सीन बनाने के फार्मूले दिए जाने का सुझाव दिया था. इसके अलावा कोर्ट ने बीएचयू, गोरखपुर, प्रयागराज, आगरा, मेरठ मेडिकल कॉलेजों को SGPGI स्तर का बनाने को भी कहा था.


साथ ही आदेश दिया था कि हर छोटे शहरों में 20 एंबुलेंस और हर गांव में ICU सुविधा वाली 2 एम्बुलेंस हो. हर नर्सिंग होम में ऑक्सीजन और वेंटिलेटर की व्यवस्था, 30 बेड से ऊपर के हर हॉस्पिटल में ऑक्सीजन प्लांट सुनिश्चित करने का भी आदेश दिया था.


सुप्रीम कोर्ट से मिली राहत
हालांकि, सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को हुई सुनवाई के दौरान हाईकोर्ट के फैसले पर रोक लगा दी. सुप्रीम कोर्ट ने सभी हाईकोर्ट से कहा कि ऐसा आदेश न दें जिनका पालन असंभव हो.


योगी सरकार ने अपनी दलील में कहा था कि हाईकोर्ट के सभी आदेश का अनुपालन करना संभव नहीं है. राज्य सरकार ने सुप्रीम कोर्ट से मामले की सुनवाई कर रही बेंच बदलने की भी मांग की है. सरकार की ओर से चीफ जस्टिस की अध्यक्षता वाली डिविजन बेंच में मामले की सुनवाई की मांग की गई है जबकि अब तक जस्टिस सिद्धार्थ वर्मा और जस्टिस अजीत कुमार की डिवीजन बेंच मामले की सुनवाई कर रही थी.


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