कानपुर. हैलट अस्पताल में मुर्दों को रेमडेसिविर इंजेक्शन लगाने के मामले में कर्मचारियों में भारी नाराजगी देखने को मिल रही है. एक तरफ जहां मामले की जांच चल रही है. वहीं दूसरी तरफ नर्सिंग स्टाफ ने आज सीएमएस हैलट अस्पताल डॉ. ज्योति सक्सेना का दफ्तर घेर लिया. नर्सिंग स्टाफ ने आरोप लगाते हुए कहा कि इस पूरे मामले में सच छिपाने की कोशिश की जा रही है. उन्होंने नर्सिंग स्टाफ को बदनाम करने का भी आरोप लगाया है.
सीएमएस से लगाई इंसाफ की गुहार
नर्सिंग स्टाफ की नाराजगी प्राचार्य-उप प्राचार्य के आमने-सामने आने के बाद देखी जा रही है. आज नर्सिंग स्टाफ नाराज होकर हैलट अस्पताल की सीएमएस डॉ. ज्योति सक्सेना के पास पहुंचा और उनका घेराव करते हुए नर्सों को बदनाम करने का आरोप लगाया. नर्सों ने कहा कि उनकी छवि को धूमिल करने का षड्यंत्र किया जा रहा है. मामले में दोषियों को बचाने की कोशिश हो रही है और उन पर दोष मढ़ा जा रहा है. यही नहीं पूरे मामले में सच छिपाने की कोशिश की जा रही है. नर्सों ने सीएमएस से न्याय दिलाने की गुहार भी लगाई. नर्सिंग स्टाफ ने इस पूरे मामले में खुद को बेकसूर बताया है. वहीं सीएमएस ने कहा कि लिखा पढ़ी ना होने के चलते मामले में घालमेल हुआ है.
दो लोग निलंबित
बता दें कि मामले की जांच के लिए कमेटी का गठन हुआ था. कमेटी ने अपनी जांच पूरी कर कार्यवाहक प्रिंसिपल डॉ. ऋचा गिरी को रिपोर्ट दी थी. इसमें न्यूरोसाइंसेज कोविड अस्पताल में तैनात सिस्टर इंचार्ज मंजुलिका मिश्रा और फार्मासिस्ट नागेंद्र वाजपेई को प्रथम दृष्टया दोषी पाया गया. साथ ही न्यूरोसाइंसेज कोविड अस्पताल के अधीक्षक और अस्पताल के सभी चार फ्लोर पर तैनात दो-दो नर्सिंग स्टाफ को शो कॉज नोटिस भी दिया गया था. मामले में प्राथमिक रूप से 2 लोगों का निलंबित कर दिया गया है. वहीं, 8 कर्मचारियों पर कार्रवाई की तलवार लटक रही है.
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