लखनऊ. हाथरस कांड में पीड़िता का आधी रात को बिना परिजनों की मौजूदगी और मंजूरी के किया गया अंतिम संस्कार अब प्रदेश की योगी सरकार के लिए राजनीति के साथ-साथ अब कोर्ट में भी किरकिरी का सबब बन सकता है. हाई कोर्ट की लखनऊ बेंच ने मामले का स्वत संज्ञान लिया. सोमवार को मामले पर सुनवाई करते हुए पीड़ित परिवार से शुरू हुई सुनवाई करीब 2 घंटे चली. सरकार की तरफ से भी अपने तर्क दिए गए लेकिन कोर्ट ने कुछ ऐसे सवाल पूछ लिए, जवाब मांग लिए जिसके लिए सरकार ने वक्त मांगा और कोर्ट की तरफ से जवाब दाखिल करने के लिए 2 नवंबर का वक्त दे दिया गया है. हाथरस कांड में अब अगली सुनवाई 2 नवंबर को होगी.



कोर्ट के सवाल और वकील के जवाब


हाथरस कांड में हाई कोर्ट की लखनऊ बेंच ने पीड़िता के शव को आधी रात में जलाए जाने के मामले का स्वत संज्ञान लेते हुए सोमवार को सुनवाई की. सरकार की तरफ से डीजीपी हितेश चंद्र अवस्थी, एडीजी लॉ एंड आर्डर प्रशांत कुमार, अपर मुख्य सचिव गृह अवनीश अवस्थी के साथ-साथ डीएम और एसपी हाथरस भी कोर्ट में पेश हुए. वहीं, दूसरी तरफ पीड़िता के माता-पिता, दोनों भाई, और भाभी भी कोर्ट में लाई गईं. करीब 2:15 बजे हाईकोर्ट ने सुनवाई शुरू की. बंद कमरे में सुनवाई पीड़ित परिवार से शुरू हुई. कोर्ट के सामने पीड़ित परिवार ने साफ कहा कि उनको तो पता ही नहीं कि अंतिम संस्कार उनकी बेटी के शव का हुआ है या किसी और के शव को पुलिस ने जला दिया. आखिरी वक्त पर चेहरा तक नहीं देखने को मिला. हमसे रजामंदी भी नहीं ली गई थी. पीड़ित पक्ष को सुनने के बाद कोर्ट ने डीएम हाथरस से पूछा कि रात में बिना परिजनों की मंजूरी लिए किसके आदेश पर अंतिम संस्कार करवा दिया? ऐसी क्या जरूरत पड़ी कि रात में ही अंतिम संस्कार करवाना पड़ा? कोर्ट की नाराजगी का रुख देखते हुए डीएम हाथरस ने स्वीकार किया कि रात में अंतिम संस्कार करवाने का फैसला जिला प्रशासन का था. ऊपर से किसी भी अधिकारी ने कोई आदेश नहीं दिया था. स्थानीय प्रशासन के द्वारा बताया गया कि रात में अंतिम संस्कार कराने के लिए पीड़ित परिवार भी राजी है, जिसके बाद सैकड़ों की संख्या में गांव वालों की मौजूदगी और परिवार के अन्य लोगों के सामने अंतिम संस्कार करवाया गया.


लखनऊ में बैठ अफसरों की भूमिका पर उठाये सवाल


दलील सुनने के बाद भी कोर्ट ने मीडिया में आई रिपोर्ट कि... बिना परिवार की मौजूदगी और रजामंदी के पुलिस ने शव को जला दिया, पर भी सवाल पूछा. फिर मीडिया में ऐसी खबरें क्यों सामने आई? कोर्ट ने इस बात पर भी नाराजगी जताई कि हाथरस कांड में जिला प्रशासन ने संवेदनशीलता और जिम्मेदारी के साथ काम क्यों नहीं किया? हालांकि सरकार की तरफ से पक्ष रख रहे अपर महाधिवक्ता वीके शाही ने पीड़िता की मौत के बाद कुछ राजनीतिक दलों के द्वारा हंगामा कर खड़ा करने और कानून-व्यवस्था की स्थिति बिगड़ने के इंटेलिजेंस इनपुट का भी जिक्र किया. लेकिन कोर्ट संतुष्ट नहीं हुई और पूछ लिया हाथरस में बिगड़ी स्थिति को देखते हुए क्या क्या कदम उठाए गए थे और अंतिम संस्कार के फैसले पर लखनऊ में बैठे जिम्मेदार अफसरों ने क्या भूमिका निभाई? इस पर कोर्ट ने जवाब तलब किया. तमाम अन्य बिंदु पर कोर्ट ने सवाल पूछे तो सरकार ने अपना पक्ष रखने के लिए वक्त मांग लिया और कोर्ट की तरफ से 2 नवंबर की अगली तारीख मुकर्रर कर दी गई.


दो नवंबर को अगली सुनवाई


करीब 2 घंटे चली सुनवाई के बाद पीड़ित परिवार पुलिस की सुरक्षा में हाथरस रवाना कर दिया गया है. करीब 2 घंटे चली इस सुनवाई के दौरान कोर्ट के द्वारा पूछे गए सवाल और बीच-बीच में की गई टिप्पणी से इतना जरूर है कि कोर्ट आधी रात में शव को जलाए जाने की घटना पर गंभीर है, नाराज है. इसीलिए मामले को अच्छे से समझने के लिए सरकार को भी वक्त दे दिया. 2 नवंबर को सरकार अपना जवाब दाखिल करेगी और जिसके बाद कोर्ट अपने फैसला  सुनाइएगी.


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